आत्मा का प्रवास

NewsBharati    25-Mar-2025 10:26:41 AM   
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आत्मा के प्रवास से तात्पर्य है आत्मा का एक शरीर से दूसरे शरीर में प्रवेश करना ! यह अटल सत्य है कि पृथ्वी पर हर जीव ईश्वर का अंश है जिसे आत्मा के रूप में जाना जाता है ! जिस प्रकार ईश्वर नित्य है उसी प्रकार ईश्वर के अंश रूपी आत्मा भी नित्य है जिसका कभी विनाश नहीं होता ! यह आत्मा जीव के शरीर रूपीआवरण में निवास करती है जिसकाअज्ञानी जीव को ज्ञान नहीं होता है और वह स्वयं को केवल शरीर ही समझ लेता है !


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भौतिक भोग विलास में लिप्त मनुष्य हर समय अपने शरीर के लिए नए-नए वस्त्रो की कामना करता रहता हैऔर इसके लिए तरह-तरह के कर्म रूपीप्रयास करता है ! उसी प्रकार आत्मा भी समय-समय पर मृत्यु के बाद नया जन्म लेकर नए शरीर के रूप मेंअपने आवरण को बदलती है !इस प्रकार आत्मा की शरीर बदलने की प्रक्रिया मृत्यु द्वारा पूर्ण होती है !अच्छे वस्त्र धारण करने के लिए मनुष्य सकाम कर्म करके धन एकत्रित करता है !

इसी प्रकार अज्ञानी मनुष्य अपने अंदर विद्यमान आत्मा के लिए नए अच्छे शरीर रूपी वस्त्र जो ईश्वर प्राप्ति है उसके लिए कोई प्रयास नहीं करता है ! इस प्रकार आत्मा से बेखबर जीव संसार में अच्छे बुरे कर्मों में लिप्त हो जाता है ! बुरे कर्म जीव को जन्म और मृत्यु रूपी दुख देने वाले भवसागर में डालते हैंऔर अच्छे कर्म आत्मा को इस आवागमन से मुक्त कराकर परम ब्रह्म की प्राप्ति कराते हैं ! इसकी पुष्टि गीता तथा रामचरितमानस में भगवान ने स्वयं की है ! भगवान राम ने अयोध्या वासियों को बताया था कि– कर्म प्रधान विश्व कर राखा ! जो जस कर्म कर ही तसही फल चाखा ! भगवान ने अपने दोनों अवतारों राम और कृष्णा के रूप में अपने इस कथन की पुष्टि भी की है ! संसार की लीला के लिए प्रभु ने नारद जी की बुद्धि भ्रमित की थी जिसके द्वारा नारद जी शादी करना चाहते थे ! परंतु उसमें प्रभु की लीला के अनुसार नारद जी को निराशा प्राप्त हुई जिसके कारण उन्होंने प्रभु को ही श्राप दे दिया और कहा जिस प्रकार में स्त्री के वियोग से दुखी हूं उसी प्रकार आप भी इसी वियोग से दुखी होंगे ! जिसे सर चढ़! कर ईश्वर ने राम के रूप में लीला करते हुए सीता जी के वियोग में कष्ट सहा !

जीव जन्म लेता है और बचपन जवानीऔरबुढ़ापे के रूप मेंअपनी जीवन यात्रा पूरी करता है ! जवानी में मनुष्य अपने सुख के लिए तरह-तरह के कर्म करता हैऔर जीवन चक्र के अनुसार बुढ़ापे में शरीर के विनाश की तरफ अग्रसर होता है और अंत में मृत्यु के रूप में उसके शरीर का विनाश हो जाता है ! परंतु आत्मा हर समय जीवित रहती है ! संसार में ज्यादातर मनुष्यअपने क्षणिक सुख के लिए शरीर को ही स्वयं मानते हुए उसके भारत पोषण के लिए कर्म करते हैं परंतु जीव का स्वयं तो केवल ईश्वर का अंशआत्मा ही है जिसको आज्ञान- बसवह पहचान नहीं पता है ! इस अज्ञानता के कारणआत्मा की संतुष्टि और उसकी मुक्ति के लिए कोई प्रयास नहीं करता है ! इस आत्मज्ञान को आत्म साक्षात्कार रूप मेंजाना जाता है !

मनुष्य को आत्मा का ज्ञान श्रद्धा के द्वाराआध्यात्मिक पथ परप्रगति करने से ही प्राप्त होता है !इस ज्ञान से उसे अपने अंदर विद्यमानआत्मा का एहसास होता हैऔर इसको जानकर वह ऐसे कर्म करता है जिससे उसकी आत्मा की मुक्ति का मार्ग प्रशांत हो ! परंतु अपनी अज्ञानता बस संसार में हर जीव जन्म तथा मृत्यु के चक्र मेंचक्कर लगाता रहता है ! मनुष्य शरीर को स्वयं समझने के कारण वह मृत्यु के रूप में उसके विनाश के बारे में सोच कर मृत्यु से बहुत भयभीत रहता है ! परंतु आत्म साक्षात्कार प्राप्त व्यक्ति मृत्यु रूपी अंत को एक वस्त्र बदलने के रूप में लेता हैऔर वह खुशी-खुशी इसे स्वीकार भी करता है ! मृत्यु के समय मनुष्य के द्वारा किए गएअच्छे बुरे कर्मों का लेखा- जोखा उसके सामने उसे नजर आने लगता है जिसके द्वारा किए हुए पाप कर्मों के परीप्णाम स्वरूप वह ईश्वर का नाम भी नहीं ले पता है ! इसी क्रम मेंआत्म साक्षात्कार प्राप्त व्यक्तिअपने शुभ कर्मों के परिणाम स्वरूपअंत में मृत्यु को खुशी-खुशी स्वीकार करता हुआ ईश्वर में लीन हो जाता है जिसे मोक्ष प्राप्ति कहा जाता है !

इस प्रकार प्रभु का नाम स्मरण करते हुए आत्मसाक्षात्कार प्राप्त व्यक्ति जन्म मृत्यु के आवागमन के चक्र से मुक्त होकर परम शांति को प्राप्त होता है जो मनुष्य योनि कापरम लक्ष्य है !

Shivdhan Singh

Service - Appointed as a commissioned officer in the Indian Army in 1971 and retired as a Colonel in 2008! Participated in the Sri Lankan and Kargil War. After retirement, he was appointed by Delhi High Court at the post of Special Metropolis Magistrate Class One till the age of 65 years. This post does not pay any remuneration and is considered as social service!

Independent journalism - Due to the influence of nationalist ideology from the time of college education, special attention was paid to national security! Hence after retirement, he started writing independent articles in Hindi press from 2010 in which the main focus is on national security of the country.