सम स्थिति द्वारा ईश्वर प्राप्ति

28 Feb 2024 10:23:04
आध्यात्मिम में ईश्वर प्राप्ति केविभिन्न मार्ग जैसे ध्यान, ज्ञान, कर्म और भक्ति योग मार्ग बताए गए हैं ! ज्ञान में मनुष्य ग्रंथो और गुरुओं से ईश्वर के बारे में ज्ञान अर्जित करके ईश्वर भक्ति पर केंद्रित होता है ! इसी प्रकार कर्म मार्ग पर मनुष्य कर्म फल को ईश्वर को समर्पित पर करके स्वयं को ईश्वर से जोड़ने का प्रयास करता है ! भक्ति मार्ग भक्त सीधे भक्ति द्वारा जुड़ने का प्रयास करता है !परंतु इन मार्गो में सफलता तभी मिलती है जब मनुष्य स्वयं को ईश्वर भक्ति के लिए तैयार करता है जिसके लिए परम आवश्यक है सर्वप्रथम मन की सम स्थिति !

realization of god
 

क्योंकि सम स्थिति के बिना उसके मन में उथल-पुथल चलती रहेगी और इसलिए वह पूर्ण रूप से स्वयं को ईश्वर भक्ति के लिए समर्पित नहीं कर पाता ! सतयुग में ध्यान से त्रेता में यज्ञ तथा द्वापर युग में पूजन से मनुष्य ईश्वर प्राप्ति कर सकता था परंतु कलयुग में पाप हर जगह व्याप्त है इसलिए मनुष्य का मन पाप रूप भी समुद्र में मछली बना हुआ है ! जिस पर विजय प्राप्त करना मुश्किल होता है ! इसलिए मन और अंतर आत्मा को शुद्ध करने के लिए पतंजलि द्वारा सुझाए गए यम– सत्य, अहिंसा, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रहऔर असते तथा नियम— शोच, संतोष ,तप ,स्वाध्यायऔर ईश्वर प्रणिधान नियमों से पहले मन को शुद्ध करना चाहिए ! अपरिग्रह का तात्पर्य है जरूर से ज्यादा संग्रह न करनाऔर असते चोरी न करना !

इन सिद्धांतों का पालन करने से धीरे-धीरे मन शुद्ध होने लगता है ! जिसके कारण उसे संतोष प्राप्त होकर वह स्वयं का अध्ययन करता हआ ईश्वरप्रणिधान मैं लीन हो जाता है ! जिस प्रकार सत,त्रेताऔर द्वापर आदि युगों में केवल ध्यान, यज्ञऔर तप से ईश्वर प्राप्ति हो जाती थी वह कलयुग में संभव नहीं है ! क्योंकि इस भौतिकवादी युग में मनुष्य भौतिकता की प्रधानता के कारण काम, क्रोध, मोह आदि में जकड़! रहता है ! इस स्थिति में उसक! मन ईश्वरभक्ति मेंस्थिर नहीं हो पता है ! इसलिए सर्वप्रथम यम और नियम के द्वारा मनुष्य को स्वयं को सम स्थिति में लाना चाहिए इसके बाद स्वत ही भक्ति जागृत होगी और वह ईश्वर प्राप्ति के मार्ग पर आगे बढ़ने लगेगा !


मन पर विजय प्राप्त होने के बाद मनुष्य को स्वयं की आत्मा के दर्शन होंगे जिसके बादआत्मा और परमात्मा का मिलन स्वत हो जाएगा ! इसलिए मनुष्य को धर्म ग्रंथो और गुरुओं के निर्देशन में जीवन के कार्यकलापों को यम और नियम के अनुसार नियंत्रित करते हुए ईश्वर भक्ति प्राप्त करनी चाहिए !
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