हमारे देश ने बीसवीं सदी में हर क्षेत्र में उन्नति की है और देश विकसित देशों की सूची में प्रवेश करने वाला है ! ऐसे समय में देश की राजधानी दिल्ली और अन्य बड़े महानगरों में चारों तरफ पानी पानी और बाढ़ के हालात बन गए हैं जो देश की छवि को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर धूमिल करने के लिए पर्याप्त है ! यह एक गंभीर विचार का प्रश्न है कि पिछले कुछ वर्षों से देश के प्रमुख राज्यों के ज्यादातर शहरों में सामान्य मानसून के मौसम में भी बाढ़ जैसे हालात क्यों बन जाते हैं इसे इंदौर के उदाहरण से समझा जा सकता है ! 1970– 73 सालों के सितंबर महीने में 24 घंटे में 17 इंच पानी गिरने का रिकॉर्ड दर्ज किया गया और 1942 43 में उससे भी ज्यादा पानी बरसा और यहां पर बाढ़ की स्थिति पैदा नहीं हुई !
परंतु वर्तमान समय में उससे आधी भी बारिश होने पर शहरों में चारों तरफ जलभराव और बाढ़ की स्थिति पैदा हो जाती है !इस प्रकार की स्थिति का मुख्य कारण है पिछले 40– 50 वर्षों में देश के महानगरों में जो अकल्पनीय, अनियोजित और वेतरतीब विकास हुआ है उसके कारण वर्षा के समय उसके बुरे परिणाम शहरी क्षेत्रों में बाढ़ के ऊपर आने लगे हैं ! आजकल देश के सारे टीवी चैनल दिल्ली की बाढ़ के कारण हुई दुर्दशा को दिन-रात दिखा रहे हैं और गुहार लगा रहे हैं कि पानी देश के उच्चतम न्यायालय मैं पहुंचकर न्याय की गुहार लगा रहा है ! मुंबई में भी जब कुछ साल पहले एक दिन में करीब 30 इंच बारिश हो गई थी तब वहां भी हालात भयावह हो गए थे ! इस सब का मुख्य कारण है नदी एवं जलभराव क्षेत्रों को लेकर निर्माण की राष्ट्रीय नीति का पालन नहीं होना ! सड़कों पर वर्षा के पानी की निकासी के लिए जो क्रॉसिंग होना चाहिए वह या या तो बनाया ही नहीं गया है और यदि कहीं पर बना भी दिया गया है तो उसका आकार इतना छोटा है कि पानी की निकासी सही प्रकार से नहीं हो पाती ! देखा गया है कि 1980 के बाद जितनी भी कॉलोनी शहरों में बनी है उनमें कहीं भी बरसात के पानी की निकासी पर कोई योजनाबद्ध कार्य नहीं किया गया है और ना ही इसके प्रावधान के लिए भूमि चिन्हित की गई है !
जहां पर देस में हर तरफ विकास की योजनाएं बन रही है तथा राष्ट्र विकसित देशों की सूची में शामिल होने वाला है वहीं पर देश की राजधानी और देश के प्रमुख शहरों की जलमग्न तस्वीर इनमें अव्यवस्था की कहानी हमारी विकास की छवि को धूमिल करती हैऔर हमें भी इस प्रकार के हालात पाकिस्तान की श्रेणी में लाकर खड़ा कर देते हैं जैसा कि पाकिस्तान में 2022 में हुआ था !
महानगरों में इस व्यवस्था का मुख्य कारण है की अब देश की आबादी केवल कृषि को को अपना मुख्य रोजगार नहीं मानती और यह आवादी रोजगार के लिए देश के शहरों की तरफ पलायन कर रही है ! इन शहरों में बिल्डरों तथा माफिया ने शासन प्रशासन की मिलीभगत से ऐसी जगह बस्तियां बसाने शुरू कर दी है जिन पर जल क्षेत्रों का स्वामित्व होता था ! इसका उदाहरण है दिल्ली के यमुना क्षेत्र में बसाई गई बस्तियां जिनमें आजकल जल चारों तरफ भरा हुआ है और यहां पर स्थान ना बचने के कारण यह जल दिल्ली के अन्य क्षेत्रों में फैल गया है !इसी प्रकार के हालात देश के अन्य शहरों के भी हैं क्योंकि ज्यादातर शहरों के पास नदिया होती है और इनके जलभराव के क्षेत्रों को जनसंख्या के दबाव के कारण भवनों के लिए घेर लिया गया है !
शहरों में नदियों के किनारे जो खुले मैदान होते थे उनमें चारों तरफ केवल भवन और गैरकानूनी बस्तियां नजर आ रही है इसके परिणाम स्वरूप देश के ज्यादातर महानगर चारों तरफ फैल गए और इनमें ऐसी कोई भूमि नहीं बची है जिसको प्राकृतिक आपदाओं से बचने के लिए इस्तेमाल किया जा सके ! इस समय पूरे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में 80% भूमि पर केवल भवान ही नजर आ रहे हैं !आजकल हमारे देश में रियल स्टेट एक मुख्य उद्देश के रूप में स्थापित हो गया है जिसमें अपराधिक तत्व प्रशासन की मिलीभगत से इन भवनों का निर्माण कर रहे हैं !अक्सर अदालतों द्वारा इन भवनों को गैरकानूनी करार दिया जाता है जिसका उदाहरण नोएडा में यूनिटेक की ट्विन टावर के रूप में देखने में आया ! यूनिटेक कि इस 40 मंजिला इमारत को उच्चतम न्यायालय से गैरकानूनी घोषित होने के बाद अदालत के आदेश पर गिरा दिया गया था ! देखने में आया है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के अधिकांश शहरों में बहुत बड़ी संख्या में भवन खाली पड़े हैं और आंकड़ों के अनुसार इस क्षेत्र में करीब तीन लाख भवन खाली पड़े हैं !यह सब रियल स्टेट के उद्योग को चलाने वालों और संबंधित शहर के विकास प्राधिकरण के अनैतिक सहयोग से संभव हुआ है !
देश के महानगरों में नगर विकास प्राधिकरण स्थापित हो चुके हैं ! इन प्राधिकरण की मुख्य जिम्मेदारी होती है संबंधित शहर में भवन निर्माण, सड़क, जल निकासी तथा अन्य जन सुविधा के कार्यों की योजना बनाना तथा इनका निर्माण करवाना !परंतु इस बार की बाढ़ से तो ऐसा प्रतीत नहीं होता कि दिल्ली विकास प्राधिकरण ने अपने कार्य क्षेत्र में योजनाबद्ध तरीके से भवन निर्माण और पानी निकासी का कोई कार्य किया है ! दिल्ली में उच्चतम न्यायालय तथा उसके आसपास के पूरे क्षेत्र में पानी निकासी की उचित व्यवस्था ना होने के कारण यहां के निवासियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है ! इतनी घनी आबादी वाले क्षेत्र में पानी भरने के दुष्परिणामों के फल स्वरूप इसके बाद तरह-तरह की बीमारियां जैसे मलेरिया डेंगू इन क्षेत्रों मेंआएंगी तब फिर टीवी चैनल इसको दिखाकर उतनी अपनी टीआरपी बढ़ाएंगे तथा औपचारिकता पूरी करने के लिए बड़े नेता और सरकारी अधिकारी इन क्षेत्रों के दौरे करके सीजन की समाप्ति कर देंगे !
बाढ़ के प्रति सरकारों की गंभीरता इसी से देखी जा सकती है कि दिल्ली में पिछले 2 साल से बाढ़ नियंत्रण समिति की बैठक ही नहीं हुई है ! इस समिति में दिल्ली और केंद्र सरकार , सेना व केंद्रीय जल आयोग सहित विभिन्न एजेंसियों के बीच समन्वय सुनिश्चित किया जाता है ! इस समिति की बैठक को आयोजित करने की जिम्मेदारी संबंधित राज्य सरकार की होती है ! दिल्ली सरकार ने राज निवास के कहने के बावजूद इस समिति की बैठक नहीं बुलाई जिसके कारण देश की राजधानी जैसे शहर में बाढ़ पर नियंत्रण करने के लिए योजना पर विचार विमर्श नहीं हो सका और ना ही बाढ़ को रोकने के लिए कोई योजना बनाई गई और इसी का परिणाम है कि दिल्ली के महत्वपूर्ण क्षेत्रों में इस प्रकार का जल भराव हुआ और यहां की गलियों में नौकाओं से जरूरी सामान जनता तक पहुंचाया जा रहा है ! यह केवल दिल्ली तक ही सीमित नहीं है इसी प्रकार के हालात अन्य राज्यों में भी है !
हमारे देश में ज्यादातर इस प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं को प्रकृति का कहर समझकर इस पर ध्यान नहीं दिया जाता और इसके कारण तरह-तरह की परेशानियां और संपत्ति का विनाश होता है ! ज्यादातर शहरों में बेतरतीब भवन निर्माण तथा जल निकासी के क्षेत्रों पर अवैध कब्जा के कारण इस प्रकार की स्थिति का सामना देश को करना पड़ रहा है ! इसी के परिणाम स्वरूप जिस प्रकार 2022 में पूरा विश्व पाकिस्तान की बाढ़ को देखकर पाकिस्तान की स्थिति का आकलन कर रहा था तो क्या अब पूरा विश्व भारत को भी उसी स्थिति में देखकर उसे पाकिस्तान की तरह नहीं मान रहा होगा !
जागरूक व्यवस्था की जिम्मेदारी है कि किसी भी प्राकृतिक या मानसिक आपदा के बाद उसे चाहिए कि वह उन कारणों की जांच करें जिनके कारण इन आपदाओं ने जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है ! इसलिए इस साल देश के ज्यादातर महानगरों में आई बाढ़ के बाद आवश्यकता है कि राष्ट्रीय स्तर पर एक अध्ययन दल का गठन किया जाए जो उन कारणों का पता लगाएं कि जिन के कारण इतनी कम बारिश में भी देश के महानगरों में इतनी बाढ़ क्यों आई !
इस समिति की सिफारिशों के आधार पर महानगरों मैं कार्यरत विकास प्राधिकरण के लिए एक कार्य सूची बनाई जानी चाहिए जिसके अंतर्गत संबंधित महानगर में कॉलोनियों की स्थापना तथा विभिन्न पहलू जैसे जल निकास कूड़े का निस्तारण इत्यादि की व्यवस्था का भी प्रावधान होना चाहिए ! इसके बाद जहां पर भी इस व्यवस्था में कमी देखी जाए वहां के संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध सख्त कार्यवाही उसी प्रकार होनी चाहिए जैसे भारतीय सेना में की जाती है ! यदि भारतीय सेना में इसी प्रकार का कोई हादसा होता है तो वहां पर इंक्वायरी यह तय करती है इस हादसे को रोकने की जिम्मेदारी किसकी थी और उसके बाद जिम्मेवारी तय करके संबंधित अधिकारी के विरुद्ध सख्त से सख्त कानूनी कार्रवाई की जाती है ! यदि इस प्रकार प्रशासनिक व्यवस्था में कार्यरत अधिकारियों के विरुद्ध भी फ् ऐसे ही प्रावधान हो तो भविष्य में दिल्ली गाजियाबाद और आगरा जैसी बाढ़ की स्थिति देश के किसी भी शहर में पैदा नहीं होगी !
- भारत तेजी से विश्व पटल पर अपने आप को एक विकसित देश के रूप में प्रस्तुत कर रहा है तो हमें अपने रहन सहन और शहरों की व्यवस्था को भी उसी स्तर का बनाना होगा जिससे पश्चिमी देश हमें भी एक व्यवस्थित समाज के रूप में स्वीकार करना शुरू कर दें !