अभी कुछ दिन पहले छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में पुलिस की एक गाड़ी पर आईडी ब्लास्ट द्वारा हमला करके नक्सली आतंकियों ने वहां की स्पेशल पुलिस डीआर जी के 10 जवानों की हत्या कर दी ! आईडी ब्लास्ट के बाद आतंकियों ने पुलिस गाड़ियों पर हथियारों से फायर भी किए जिससे दूसरे पुलिस वाले मरने वालों की मदद नहीं कर सके ! इस क्षेत्र में पिछले लंबे समय से नक्सली मार्च से जून तक के महीनों में एक अभियान चलाते हैं जिसे वे काउंटर टैक्टिकल ऑफेंसिव के नाम से पुकारते हैं ! इसका तात्पर्य है कि सुरक्षाबलों के द्वारा उनके विरुद्ध चलाए गए अभियान का सशस्त्र जवाब ! उनका मानना है कि इस मौसम में पतझड़ के कारण जंगलों में पेड़ों के पत्ते गिर जाते हैं जिससे यहां पर दूर तक दिखाई दे सकता है जिससे यह सुरक्षाबलों की गतिविधियों पर नजर रखकर उन पर हमला करते हैं ! इसलिए इस मौसम का पूरा फायदा उठा कर यह सुरक्षाबलों पर घात लगाकर हमला करके अपना आतंक फैलाते हैं ! यह सब ये आतंकी लंबे समय से कर रहे हैं !
6 अप्रैल 2010 में सुकमा जिले के ताड़ मटेला के जंगलों में सीआरपीएफ के 100 से ज्यादा जवान कैंप कर रहे थे जिन पर आतंकियों ने हमला करके 76 जवानों की हत्या कर दी ! इस घटना की सैनिक दृष्टि से जांच करने के बाद पाया गया कि इस कैंप के दौरान सैनिक दृष्टि से सुरक्षा के लिए अपनाए जाने वाली प्रणाली का अनुपालन नहीं किया गया था जिसके कारण आतंकियों को मौका मिला और उन्होंने कैंप पर हमला कर दिया ! इसी प्रकार 25 मई 2013 में बस्तर की झीरम घाटी में कांग्रेस की यात्रा निकाली जा रही थी जबकि यह क्षेत्र घोषित आतंकी गतिविधियों वाला क्षेत्र था फिर भी बिना पूरे सड़क मार्ग को सुरक्षित किए यहां के प्रशासन ने कांग्रेस पार्टी को इतनी गाड़ियों का काफिला निकालने की अनुमति दी !
जिसका फायदा उठाकर आतंकियों ने इन पर हमला किया जिसमें कांग्रेस के प्रसिद्ध नेता विद्याचरण शुक्ल के साथ 34 लोग और भी मारे गए ! इस घटना से पूरे देश में सनसनी फैल गई और यह चर्चा का विषय बन गया ! इस घटना में भी इस प्रकार के क्षेत्र में यात्रा करने के सुरक्षा नियमों की अनदेखी की गई जिसे कारण आतंकी इतनी बड़ी घटना को अंजाम दे सके ! इसी क्रम में 25 अप्रैल 2017 को सुकमा के बुर्का पाल और 21 मार्च 2020 मैं सुकमा के ही मनपा में सीआरपीएफ की टुकड़ी हो पर आतंकियों ने हमला करके क्रमशः 25 और 17 जवानों को मौत के घाट उतारा इन दोनों घटनाओं में भी सीआरपीएफ के गश्ती दल के सैनिक गश्त के दौरान अपनाए जाने वाली सावधानियों को नहीं अपना रहे थे जिसके कारण आतंकी इन पर आसानी से हमला कर सके ! यह सब पिछले 15 साल से लगातार हो रहा है परंतु घटना के समय औपचारिकता के लिए दुख और आक्रोश प्रकट किया जाता है उसके बाद सब शांत हो जाता है ! जबकि इन घटनाओं के बाद इनमें असावधानी बरतने वाले अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए थी और उन्हें इसके लिए दंड देकर एक उदाहरण प्रस्तुत किया जाना चाहिए था जिससे भविष्य में ऐसी घटनाएं ना हो सके ! परंतु देखने में आ रहा है ऐसा कुछ नहीं किया गया जिसके कारण ऐसी घटना लगातार हो रही है !
हमारे देश की सेना छत्तीसगढ़ जैसे क्षेत्रों से ज्यादा आतंकवाद प्रभावित और पाकिस्तान से सीधे समर्थित आतंकवादियों का मुकाबला जम्मू कश्मीर और पंजाब में कर चुकी है ! परंतु सेना ने अपनी सैनिक सिखलाई और प्रणाली को अपनाकर इन आतंकियों की चालों को नाकाम किया है और पंजाब को पूरी तरह इन से मुक्त करके जम्मू कश्मीर को भी करीब-करीब आतंकवाद से मुक्ति दिला दी है ! यहां पर यह विचारणीय है कि आंकड़ों के अनुसार पाकिस्तान की आईएसआई द्वारा प्रशिक्षित और तैयार आतंकी हमारी सेना को अनुपात में उतनी क्षति नहीं पहुंचा सके जितनी क्षति देश के आंतरिक भागों में हमारे अर्धसैनिक बलों को उठानी पड़ रही है जैसे कि छत्तीसगढ़ में सीआरपीएफ के इतने जवान वीरगति को प्राप्त हो चुके हैं ! इसके कारण जहां देश में देशवासियों का मनोबल बुरी तरह से प्रभावित होता है वहीं पर देश की अंतर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठा को भी ठेस लगती है !
अक्सर पाकिस्तानी मीडिया छत्तीसगढ़ जैसी घटनाओं का उल्लेख करके अपने देश के आतंकवाद को उचित ठहराने की कोशिश करता है और कहता है जब भारत जैसा देश आतंकवाद को नियंत्रित नहीं कर सका है तो फिर पाकिस्तान को क्यों कटघरे में खड़ा किया जा रहा है ! अर्धसैनिक बलों की आतंकवादियों के विरुद्ध इन असफलताओं का सैनिक दृष्टि से विश्लेषण करने से यह पाया गया है की इन सैनिक बलों की कार्यप्रणाली सेना की कार्यप्रणाली की तरह नहीं है ! जिसका फायदा उठाकर आतंकी अपने मंसूबों में सफल होकर अपना आतंक बनाए रखते हैं ! सेना जिस भी क्षेत्र में अपना अभियान चलाती है उसकी कार्यप्रणाली उसी प्रकार होती है जिस प्रकार वह सीमाओं पर दुश्मन का सामना करती है, अर्थात सुरक्षा के नियमों का सख्ती से पालन और अनुशासित रहन सहन ! परंतु देश के अंदर आतंकवाद के विरुद्ध चलने वाले अभियानों में अक्सर हमारे सुरक्षा बल उतनी चौकसी नहीं रखते जितनी सीमाओं पर सेना रखती है ! और इसी कमी का फायदा उठाकर आतंकवादी अपने मिसनों में सफल होकरआतंकवाद प्रभावित क्षेत्रों में अपना आतंक कायम रखते हैं ! इससे देशवासियों में देश की आंतरिक सुरक्षा के प्रति संदेह की भावना पैदा होती है और इससे देश की राष्ट्रीय सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है ! 80 के दशक से पाकिस्तान आतंकी गतिविधियों के कारण पूरे विश्व में कुख्यात हो रहा हैं जिसके कारण पाकिस्तान में और देशों से निवेश आना बंद हो गया तथा धीरे-धीरे वह अलग-थलग पड़ गया और आज इसी का परिणाम है कि पाकिस्तान हर दृष्टि से बर्बाद होकर दिवालियापन के कगार पर पहुंच चुका है ! यह सब पाकिस्तान की राष्ट्रीय सुरक्षा की कमियों कारण हुआ है !
आज के युग में आमने सामने की युद्ध के अलावा परोक्ष युद्ध बी उतना ही प्रभावशाली बन गया है ! परोक्ष युद्ध में दुश्मन की आंतरिक सुरक्षा को निशाना बनाया जाता है और जब देश में अराजकता और अशांति फैल जाती है तब उसको अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैलाकर दुश्मन देश की अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा को नष्ट किया जाता है ! जिसके द्वारा उस देश में निवेश आना बंद हो जाता है और देश आर्थिक दृष्टि से बर्बाद हो जाता है ! यही सब पाकिस्तान भी छत्तीसगढ़ जैसी घटनाओं का प्रचार करके भारत को बदनाम करने का प्रयास करता है जिसमें वह सफल नहीं हुआ है ! इसको देखते हुए अब भारत सरकार को चाहिए कि देश के विभिन्न भागों में जहां पर भी आतंकी गतिविधियां चल रही है उनसे सख्ती से निपटने के प्रावधान सेना की निगरानी में करें जिससे कि सशस्त्र सुरक्षा बलों की प्रणालियों को भी सेना की तरह बनाए जा सके !
यहां पर यह विचार करने योग्य है की छत्तीसगढ़ और उसके आसपास के क्षेत्रों में भी सक्रिय आतंकवादी किसी राजनीतिक उद्देश्य से आतंकवाद नहीं फैला रहे हैं बल्कि वह उत्तर प्रदेश और बिहार की तरह अपना आतंक स्थापित करके इस क्षेत्र के विकास कार्यों के धन को लूट रहे हैं !छत्तीसगढ़ जैसे अपेक्षित और पिछड़े क्षेत्रों में विकास ना होने के कारण यहां पर रोजगार के साधन बहुत कम है जिनके कारण यहां के नौजवान बेरोजगार है आतंकी इन बेरोजगार नौजवानों को अपने साथ मिलाकर इनके द्वारा क्षेत्र में सूचना तंत्र स्थापित करते हैं और इनके द्वारा आतंकी घटनाओं को अंजाम दिलवा ते हैं इस प्रकार आतंक स्थापित करके नक्सली आतंकवादी कहानी वाले आतंकवादी उस क्षेत्र में रंगदारी और विकास के कार्यों में लगने वाले धन से अपना हिस्सा वसूलते यह सब उसी प्रकार होता है जैसे देश के अन्य भागों में माफिया करता है !आजकल उत्तर प्रदेश में माफिया के विरुद्ध यहां की सरकार एक संगठित अभियान चला रही है ! इसकी सफलता को देखते हुए छत्तीसगढ़ जैसे क्षेत्रों में भी उसी प्रकार इन नक्सली कहे जाने वाले माफियाओं के विरुद्ध भी यहां की सरकारों को अभियान चलाना चाहिए और इनके ठिकानों को उसी प्रकार नष्ट किया जाना चाहिए जिस प्रकार उत्तर प्रदेश में किया जा रहा है !
छत्तीसगढ़ और आसपास के क्षेत्रों में आतंकवाद का साम्राज चलाने वाले आतंकवादियों को माफिया की तरह समझ कर इनके विरुद्ध कार्यवाही की जानी चाहिए ! हां उस क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति इस प्रकार की है कि उनमें राज्य पुलिस प्रभावी कार्यवाही नहीं कर पाती है इसलिए केंद्रीय पुलिस वालों को राज्य पुलिस की मदद के लिए यहां भेजा जाता है परंतु फिर भी कानून व्यवस्था की पूरी जिम्मेवारी राज्य पुलिस की ही होती है हां केंद्रीय पुलिस बल राज्य पुलिस की सहायता के लिए ही है वहां पर !
वहां की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए वहां पर तैनात पुलिस बलों को सेना के द्वारा अपनाई हुई सुरक्षा प्रणालियों को पूरी तरह अपनाना चाहिए और इस कार्य के लिए सेना के अधिकारियों को इन केंद्रीय सशस्त्र बलों के साथ प्रतिनियुक्ति पर तैनात किया जाना चाहिए ! जिससे यह सेना के द्वारा प्रयोग में लाने जाने वाली प्रणाली को अच्छी प्रकार से यहां पर लागू कर सकें ! इसके साथ साथ इन नक्सली आतंकियों तक आधुनिक हथियार और गोला बारूद पहुंचाने वाले सब रास्तों को बंद किया जाना चाहिए और पता लगाए जाना चाहिए कि किस प्रकार इन तक हथियार और अन्य सामग्री पहुंचती है ! इसके अलावा वहां की जनता में सुरक्षा की भावना पैदा करने के लिए सुरक्षाबलों की चौकियों को पूरे क्षेत्र में स्थापित किया जाना चाहिए जिससे वहां के निवासियों को सुरक्षा की भावना महसूस हो सके !
इन उपायों के साथ जैसे ही क्षेत्र में शांति स्थापित होगी उसके बाद इस क्षेत्र के प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग देश के विकास कार्यों में किया जा सकेगा !