जीवन में मां का स्थान

24 Mar 2023 20:34:03
हर प्राणी के जीवन में मां का स्थान ईश्वर के बाद दूसरा होता है ! अर्थात पृथ्वी पर जीव को संसार के लिए तैयार करने में मा ही सब कुछ करती है ! जिम कॉर्बेट ने अपनी पुस्तक में शेरनी के बारे में लिखा है कि पूरे 2 साल तक वह अपने शिशु का अपनी देखरेख में लालन पालन करती है और उसे शेर कहाने योग्य बनाती है ! मनुष्य एक विवेकशील प्राणी है इसलिए उसके व्यक्तित्व के निर्माण में मां की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है ! शिवाजी के पिता ने हैदराबाद के नवाब की गुलामी स्वीकार कर ली थी परंतु शिवाजी की मां जीजाबाई ने अपने पुत्र के कारण यह गुलामी स्वीकार नहीं की और वह शिवाजी को लेकर पुणे के पास एक छोटे से गांव में रहने लगी ! जहां पर उन्होंने शिवाजी को स्वतंत्र वातावरण में उच्च विचारों के साथ स्वाभिमानी और देश प्रेमी बनाया जिसके बाद शिवाजी छत्रपति और देश के गौरव बने !


mother

रामचरितमानस में तुलसीदास जी ने कहा है कि जैसी रही भावना जाकी प्रभु मूरत देखी तिन तैसी ! इसी भावना के अनुसार सनातन धर्म में मां के चरित्र की कल्पना उन सब रूपों में की गई है जिनके द्वारा एक व्यक्ति का स्वस्थ व्यक्तित्व निर्माण और उसको भय रहित वातावरण मिल सके ! मां के इन्हीं अलग-अलग रूपों का चित्रण नवदुर्गा में नौ स्वरूपों में किया जाता है ! इनमें तप का आचरण करने वाली ब्रह्मचारिणी , ब्रह्मा विष्णु और महेश तीनों की शक्ति वाली ऊर्जावान , आवश्यकता पड़ने पर संतान के सब कष्ट रूपी राक्षसों को समाप्त करने वाली और सिद्धिदात्री के तरह सारी मनोकामनाएं पूर्ण करने वाले स्वरूपों की पूरे 9 दिन तक अलग-अलग दिनों में पूजा की जाती है ! जिनमें मां को शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कालरात्रि एवं सिद्धिदात्री के नाम से जाना जाता है ! इससे प्रेरणा लेकर हर स्त्री को स्वयं को इस प्रकार बनाना चाहिए कि वह अपनी संतान का इन रूपों के अनुसार उसका लालन-पालन कर सके और उसके व्यक्तित्व का निर्माण करके उसे संसार के लिए तैयार करें !

इस प्रकार कहां जाता है कि जीव के लिए प्रकृति का निर्माण करने में मां का बहुत बड़ा योगदान होता है ! स्त्री के मां रूपी स्वरूप के कारण स्त्री का संसार में विशेष स्थान होता है ! इससे सिद्ध होता है कि यदि मां उच्च विचारों वाली है तो उसकी संतान भी उसी प्रकार की होगी ! इसलिए समाज को चाहिए की स्त्री के स्वाभिमान और उसके सम्मान को ऊंचा स्थान दे ! जिससे वह एक स्वस्थ समाज का निर्माण कर सके !

नव दुर्गा की पूजा का मुख्य उद्देश्य स्त्री सम्मान के बारे में पूरी मानव जाति को अवगत कराना ही है ! संसार में जिन जिन समाजों में स्त्री जाति का सम्मान किया जाता है वह पूरा समाज सबसे अग्रणी होता है !
Powered By Sangraha 9.0