देश में ब्रिटिश कालीनआपराधिक कानून की जगह लेने वाले तीन संशोधन विधेयकों कोसोमवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू नेमंजूरी दे दी है ! तीनों नए कानून अब भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिताऔर भारतीय साक्ष्य अधिनियम कहे जाएंगे ! जो क्रमशःभारतीय दंड संहिता, आपराधिक प्रक्रियासंहिताऔर भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेंगे ! देश में लागू अंग्रेजों की सामंती कानूनी व्यवस्था में बदलाव की आवश्यकता लंबे समय से महसूस की जा रही थी जिसको सरकार ने इन संशोधनों के द्वारा दूर कर दिया है ! परंतु इन कानून कोलागू करवाने वाली संस्था पुलिस को जब तक देश को गुलाम रखने वाले पुलिस एक्ट 1861 से पूर्णतया मुक्त नहीं करवाया जाएगा तब तक नई कानून व्यवस्था से ज्यादा उम्मीद नहीं की जा सकती ! क्योंकि1857 की असफल क्रांति के बादअंग्रेजों ने पुलिस एक्ट 1861 को देश को पूर्णतया गुलाम रखने के लिए बनाया था ! इस कानून के अनुसार पुलिस पूरी तरह सरकार के अधीन होती हैऔर प्रजातांत्रिक व्यवस्था में सरकारों को जनता का वोट चाहिए जिसके लिए सत्ता पाने के लिए राजनीतिक दलों कोबाहुबलियों और माफियाओं के द्वारा जनता के वोट लेने होते हैं !
जिस कारण सत्तारूढ़ राजनीतिक दलों के इशारे पर पुलिस इन बबूलियों के संगठित अपराधों की अनदेखी और इनमें परोक्ष रूप से सहयोग देना शुरू कर देती है ! इसलिए जब कानून को लागू करने वाली पुलिस ही पक्षपात करते हुए संगठित अपराधोंकी अनदेखीऔरअपराधी को बचाने के लिए साक्ष ही प्रस्तुत नहीं करेगी तब कानून अपराधी को सबूत के अभाव में सजा नहीं दे सकता ! इस प्रकार नए कानून भीपुरानी व्यवस्था की तरह हीअपराधों पर लगाम लगाने में नाकाम साबित होंगे ! 1965 युद्ध में पाकिस्तान सेना के पासआधुनिकतमहथियार थे तथा भारतीय सैनिक पुराने हथियारों से लड़ रहे थे परंतुअपने उत्साहऔर देशभक्ति की भावना सेभारतीय सैनिकों ने इस युद्ध को जीता ! इसी प्रकार यदि हमारी पुलिस व्यवस्था इस भावना से कम करें तो निश्चय से कहा जा सकता हैकि देश कीकानून व्यवस्थाअपराधों पर विजय प्राप्तकर सकती है !परंतु यह विचार का विषय है कि हमारी पुलिस व्यवस्थाअंग्रेजों के द्वारा लागू किए गए पुलिस एक्ट 1861 के द्वारा नियंत्रित है जो उसे अपनी अपनी जिम्मेवारियोंऔर कर्तव्य को निष्पक्ष ढंग से करने से रोकता है !
देश की राष्ट्रीय सुरक्षा के दो भाग होते हैं जिसमें बाहरी सीमाओं की सुरक्षा एवं आंतरिक सुरक्षा है ! बाहरी सीमाओं की सुरक्षा जिम्मेदारी भारतीय सेना की होती हैऔर आंतरिक सुरक्षा को पुलिस संभालती है !सेना में अपनी जिम्मेदारी में जान जानबूझकर कोताही करने वाले सैनिक के लिए सेना कानून की धारा 34 के अनुसार ऐसा प्रावधान है की यदि सेना की सफलताऔर उसके उद्देश्यों में बाधा आए तो ऐसे सैनिक ऐसी हरकतों के लिए कानून के द्वारा मृत्युदंड तक का प्रावधान है !परंतु वहीं पर देश की राज्य पुलिस कोअपनी जिम्मेदारी का एहसास दिलाने के लिए ऐसा कोई प्रावधान नहीं है ! जिसके कारणअक्सर देश के हर हिस्से में बाहुबली और माफिया पाए जाते हैं ! जिन्होंनेअपराध को एक उद्योग का दर्जा देकरअपने लिएअवैध संपत्तियोंऔर धन दौलते कर ली है ! इसके उदाहरण उत्तर प्रदेश केअतीक अहमद, मुख्तारअंसारी, विकास दुबे महाराष्ट्र के दाऊद इब्राहिमऔर बहुत से बाहुबली जिनकी इस प्रकार हरकतों से भारत कीआर्थिक राजधानी कहे जाने वाली मुंबई की छवि प्रभावित हुई है ! इससे साफ जाहिर होता है इन बाहुबलियों को पुलिस केसंरक्षण और प्परोक्ष सहयोग के द्वारा ही यह इतने बड़े माफिया बन पाए ! जिनके कारण एक आम भारतवासी अपने आप कोऔर असहाय महसूस करता है !
क्योंकिउसे पता है की इनके विरुद्ध संबंधित पुलिस कोई कार्यवाही नहीं करेगी ! अक्सर बड़े-बड़े अपराध होते हैं जैसे टारगेट किलिंग अवैध शराबऔर तस्करी इत्यादि ! वहां की पुलिस को इसकी पूरी सूचना होती है परंतु संबंधित पुलिस इन सब की अनदेखी करती रहती है ! जबकि इलाके के संबंधित अधिकारी को अपने इलाके में कानून व्यवस्था को लागू करना चाहिए और ऐसी गतिविधियों को रोकना चाहिए ! इससे सिद्ध होता हैकि संबंधितअधिकारियों को इन अपराधियों की सारी गतिविधियों की पूरी जानकारी होती है परंतु यह राजनीतिक संरक्षणऔर रिश्वत के कारण पुलिस इन अपराधियों के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं करती है तो क्याआंतरिक सुरक्षा में कोताई के लिएसंबंधित पुलिस अधिकारी को सेना के कानून की तरह सजा का प्रावधान नहीं होना चाहिए !परंतु ऐसा नहीं है क्योंकि देश की पुलिस पुलिस एक्ट 1861 के कारणपूरी तरहसत्ताधारियों के अधीन हैऔर सत्ताधारियोंको इन माफिया और बाहुबलियों के द्वारा वोट चाहिए ! जिसके कारण ये पुलिस कोअपनी कार्रवाई नहीं करने देते हैं !
1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधीअपने चुनाव का केस इलाहाबाद हाईकोर्ट में हार चुकी थी !इसके बाद सत्ता से बेदखल होने के डर से उन्होंने देश में इमरजेंसी लागू कर दी जिसके द्वारा पुलिस ने पूरे देश में विपक्षी नेताओं कोबिना किसी अपराधऔर न्यायालय के आदेश के बिना ही जैल में बंद कर दियाऔर यह नेता लंबे समय तक जेल में रहे !
1977 में देश में इमरजेंसी हटीऔर आम चुनाव के कराए गए जिनमे कांग्रेस पार्टी को हार का सामना करना पड़ाऔर जनता दल को केंद्र में सरकार बनाने का मौका मिला !जनता दल में ज्यादातर वही नेता थे जो इमरजेंसी के टाइम मेंजेल में रहे थे !उन्हें अपनी पीड़ा याद थीकी किस प्रकारउन्हें बिना किसी जुर्म के पुलिस ने जेल में बंद दिया था ! इसको देखते हुए केंद्र की जनता सरकार ने पुलिस व्यवस्था में सुधारऔर उसे जनता के प्रति उत्तरदाई बनाने के लिए पुलिस सुधार आयोग का गठन कियाऔर उससे ऐसी सिफारिश देने के लिए कहा जिससे देश की पुलिस देश में कानून को बिना किसी पक्षपात के लागू करें !परंतु दुर्भाग्य से कुछ समय बाद जनता पार्टी सत्ता से बाहर हो गईऔर फिर से केंद्र में कांग्रेस पार्टी की सरकार बन गई जिसनेस् जनता पार्टी द्वारा गठित पुलिस सुधारआयोग की सिफारिशओ को नकारते हुए एक और पुलिस आयोग का गठन किया इस प्रकार1996 तक कई पुलिस आयोग गठित किए गएऔर उनकी रिपोर्ट मेंयही कहा गया था की राज्य पुलिस को इस प्रकारव्यवस्थितकिया जाना चाहिए जिससे राजनीतिकऔर नौकरशाहअपने प्रभाव से उसकी कार्यप्रणाली कोप्रभावित न कर सकें !
संक्षेप मेंइन पुलिस आयोग की रिपोर्ट में कहा गया था कि हर राज्य मेंसुरक्षा आयोग का गठन होना चाहिए जो राज्य पुलिस की कार्य प्रणाली का समय-समय पर आकलन करें जिससे पुलिस पर राज्य सरकारों की तरफ से आने वाले गैर कानूनी दबाव को रोका जा सकेऔर पुलिस के डीजीपी जिले के पुलिस अधीक्षकऔर थाना प्रभारी का कार्यकाल निश्चित अवधि का होना चाहिए ! अपराधों की जांच मेंस्वतंत्रताऔर पुलिसकर्मचारियों कीआत्म सम्मान कीरक्षा होनी चाहिए !
परंतु1996 तककेंद्र सरकार ने पुलिस आयोग की इस रिपोर्ट को लागू करने की तरफ कोई कदम नहीं उठाया इसको देखते हुए भूतपूर्व पुलिस के डीजीपी श्री प्रकाश सिंह ने पुलिस आयोग की रिपोर्ट को लागू करवाने के लिए देश की उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर कर दी !जिस पर 2006 में उच्चतम न्यायालय ने सात सूत्रीय पुलिस सुधारो का आदेश दिया और देश की केंद्रऔर राज्य सरकारों को इन सुधारो कोलागू करने के लिए जनवरी 2007 की समय सीमा तय की !परंतुमीडिया में काफीआवाज उठने के बाद भीअभी तक इन सुधारो परकोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है क्योंकि कोई भी राज्य सरकार पुलिस से अपना नियंत्रण गवाना नहीं चाहती ! किसी भी राज्य मेंअभी तकआंतरिक सुरक्षा के लिए रक्षा आरोग्य गठन नहीं किया गया है ! जिसके कारणअभी तक पुलिस की कार्यप्रणाली मेंराजनीतिक दखलअंदाजी पूरी तरहचल रही है !जिसके कारण जगह-=- जगह अपराधियों नेअपने साम्राज्य खड़े कर लिए हैं ! उत्तर प्रदेश मेंअतीक अहमद2004 से लगातारइलाहाबाद मेंअपनी आपराधिक गतिविधियां चल रहा था जिसके द्वारा उसने बाहुबल के द्वाराबहुत सी संपत्तियों पर कब्जे किएऔरहत्याएं की !इसी प्रकार के राजनीतिक संरक्षण के द्वारा ही कानपुर में विकास दुबे इतना बड़ा अपराधी बना ! उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनीऔर उन्होंने इस प्रकार के माफिया औरजनता की संपत्तियों पर कब्जा करने वालों के विरुद्ध उन्होंने एक अभियान चलाया हैजिसके द्वाराअबमाफिया की गतिविधियांसामने आ रही है की किस प्रकार राजनीतिक संरक्षण के कारण उत्तर प्रदेश की पुलिस इस सब को देखते रहीऔर जगह-जगह माफियाओं ने अपने साम्राज्य खड़े कर लिए !
पुरानेआपराधिक कानून में भीयह प्रावधान था कीअपराध में किसी प्रकार का भी सहयोग देने वाले को भी अपराध सिद्ध किया होने पर उसके लिए सजा निश्चित थी ! तो इसको देखते हुए जबअपराध मेंपुलिस की मिली भगत साफ नजर आती है तो उस स्थिति में संबंधित पुलिस कर्मियों के विरुद्ध भीआपराधिक मुकदमे चलाए जाने चाहिए जैसा की सेना के कानून के अनुसार एक सैनिक के लिए मृत्यु दंड तक का प्रावधान है ! तो ऐसा ही प्रावधानपुलिसकर्मियों के विरुद्ध भी होना चाहिए जिससे वेअपने कर्तव्य के प्रतिऔरउत्तरदाई बन सके!
देश की आंतरिक सुरक्षा की जिम्मेवार पुलिस की इस स्थिति को देख कर एक आम नागरिक का विश्वास शासन तंत्र में डगमगाने लगता है ! जिसका फायदा उठाकर देश विरोधी शक्तियां तरह-तरह कि देश विरोधी गतिविधियां जैसे सांप्रदायिक दंगे तथा तोड़फोड़ की कार्रवाईकरवाने लगती हैं जैसा की1984तथा 2019 मेंदिल्ली दंगों में देखा गया है ! इसलिए आंतरिक सुरक्षा के महत्वपूर्ण तंत्र पुलिस बल को अपने कर्तव्य दायित्व में सक्षम बनाने के लिए शीघ्र अति शीघ्र पूरे देश मेंपुलिस सुधार लागू किए जाने चाहिए जिससे हर राज्य मेंसुरक्षा आयोग अपराधियों पर नजर रखकर नागरिकों में सुरक्षा की भावना को सुदृद्ध कर सके ! इस प्रकार देश कीआंतरिक सुरक्षा बाह्य सुरक्षा की तरह मजबूत बनेगी !