सत्ता प्राप्ति के लिए भारतीय संस्कृति और उदारता का दुरुपयोग

08 May 2021 10:50:08
पश्चिम बंगाल में 27 परसेंट मुस्लिम आबादी के बल पर सत्ता पर ममता बनर्जी के कब्जे ने एक बार फिर सांप्रदायिकता का सत्ता में योगदान पर विचार करने के लिए हर देशवासी को विवश किया है ! क्योंकि अक्सर देखा गया है कि देश के विभिन्न राज्यों में मुस्लिम अल्पसंख्यक वर्ग के आधार पर ही राजनीतिक दल सत्ता पर कब्जा कर लेते हैं ! और बाद में बहुसंख्यक हिंदू आबादी देखती रह जाती है ! इसके बाद सत्ताधारी दल अपने वोट बैंक को खुश करने के लिए उन्हें तरह-तरह के लाभ और सुख सुविधाएं देते हैं जिसको बहुसंख्यक हिंदू चुपचाप देखते रहने के लिए विवश होते हैं ! इसका मुख्य कारण है भारतवर्ष में बहुसंख्यक समुदाय का कोई निश्चित मार्ग या धार्मिक नियम या कोई ऐसी पुस्तक नहीं है जो हर सनातन धर्मी एक स्वर में मानता हो ! इस स्थिति का इतिहास बहुत पुराना है ! मानवता की उत्पत्ति के समय विश्व में ना कोई संप्रदाय था और ना ही कोई धर्म था ! धीरे धीरे मनुष्य ने एक विवेकशील प्राणी के रूप में सोचते हुए समस्त मानवता के कल्याण के उद्देश्य के लिए कुछ नियम और सिद्धांत तय किए जिन्हें भारतवर्ष में सनातन धर्म का नाम दिया गया ! सनातन धर्म का तात्पर्य है जिसका न शुरुआत है और ना ही अंत है ! तात्पर्य हुआ जो सार्वभौम होने के साथ-साथ सर्व व्याप्त है तथा विश्व के हर मानव के लिए कल्याण कारक है ! इसके साथ साथ इसमें ऐसे कोई बंधन नहीं है जिनके द्वारा किसी मनुष्य को एक संप्रदाय में कुछ नियत कर्म ही करने ही होंगे !

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इस कारण भारत के हर हिस्से मेंसनातन धर्म के अनुयाई अलग-अलग इष्ट देवों की पूजा करते हैं तथा अलग-अलग रीति रिवाज को अपनाते हैं ! जबकि इस्लाम में पूरे विश्व में एक ही नियम कानून है और एक ही उनका इष्ट देव है ! जिस समय विश्व में कोई धार्मिक पुस्तक नहीं थी ना कोई ऐसा ज्ञान का स्रोत था जिसके आधार पर कुछ तय किया जा सकता उस समय आदि काल में भारतवर्ष के तपस्वी ऋषि-मुनियों ने अपनी तपस्या ओं के द्वारा मानवता के कल्याण और आध्यात्मिक उन्नति के लिए वेदों का निर्माण किया ! जिसमें संसार के हर तरह के कार्यकलापों का वर्णन किया गया है और उन्हें करने की विधि भी बताई गई है ! इस प्रकार विश्व में वेद ही सबसे पुराने आदि ग्रंथ है जिन्हें विश्व के हर भाग में श्रद्धा और मान्यता प्राप्त है ! इसलिए भारतवर्ष को विश्व गुरु की उपाधि पूरे विश्व में बहुत समय पहले दे दीगई थी ! बाद में वेदों के आधार पर तरह-तरह के आध्यात्मिक और जीवन के अन्य क्षेत्रों के लिए ग्रंथों का निर्माण किया गया जैसे पुराण उपनिषद इत्यादि इत्यादि ! इसलिए भारत में जीवन शैली को नियंत्रित करने वाली परंपराओं और नियमों को सनातन धर्म का नाम दिया गया इसका तात्पर्य है ना इस का कोई आदि है और ना ही इसका कोई अंत है यह व्यापक है और संसार की पूरी मानवता के कल्याण के लिए है ! इसलिए सनातन धर्म के ग्रंथों में कहीं पर भी हिंदू या अन्य संप्रदायिक सूचक शब्द नहीं है जबकि अन्य संप्रदायों में हर कदम पर संप्रदाय का नाम लिया गया है जिससे उस संप्रदाय के मानने वाले हर समय अपने आप को उसका हिस्सा महसूस करते रहे ! हिंदू शब्द सनातन धर्म के लिए कुछ इतिहासकारों ने प्रयोग किया जो बाद में प्रसिद्ध हो गया अन्यथा इसके मानने वालों का धर्म सनातन ही है ! इसके बाद विश्व के खासकर मध्य एशिया में नई-नई विचारधाराओं ने जन्म लेना शुरू किया और पहली शताब्दी में ईसाई धर्म और सातवीं शताब्दी में मक्का में इस्लाम धर्म की उत्पत्ति हुई ! इस्लाम धर्म की उत्पत्ति के फौरन बाद इसके प्रचार प्रसार के प्रयास बल पूर्वक शुरू हुए और इसी के तहत मध्य एशिया के हमलावरों ने सातवीं शताब्दी से भारतवर्ष के सीमावर्ती क्षेत्रों जैसे अफगानिस्तान इत्यादि में इस्लाम का प्रचार प्रसार शुरू कर दिया ! और बलपूर्वक भारतवर्ष में इस्लाम अपने पैर पसारने लगा !
 
इस्लाम एक संप्रदाय है जिसमें पूरे संप्रदाय के कार्यकलापों को उसकी धार्मिक पुस्तक के अनुसार नियंत्रित किया जाता है और जीवन के हर क्षेत्र में उन्हें इसके नियम कानूनोंके अनुसार ही जीवन यापन करना होता है ! इस प्रकार इस्लाम के अनुयाई सब एक डोर से बंधे हुए हैं ! इसलिए आवश्यकता पड़ने पर इस्लाम के अनुयाई शीघ्र एकत्रित होकर शक्ति प्रदर्शन करते हैं इसी के कारण छोटे-छोटे समूहों में आकर इस्लाम के अनुयायियों ने 10 वीं शताब्दी में भारत की राजधानी दिल्ली पर कब्जा कर लिया और अपनी कट्टर और सख्त प्रणाली के द्वारा भारत के विवेकशील और व्यापक मानसिकता वाले भारत वासियों की सोच का फायदा उठाते हुए देश में चारों तरफ अपने साम्राज्य को बढ़ाया !इसके बाद भारतीयों की उदारवादी सोच का फायदा उठाते हुए पूरे 800 साल तक भारतवर्ष में राज किया ! उसके बाद 17वी शताब्दी में ईसाई धर्म के मानने वालों ने पश्चिमी देशों से इतनी दूर आकर इस्लाम की तरह ही संगठित रहकर पूरे भारत पर अपना कब्जा कर लिया ! इस प्रकार देखा जा सकता है कीएक सांप्रदायिक संगठन के द्वारा विदेशियों ने आकर भारत पर पूरे 1000 साल तक शासन किया और बहुसंख्यक हिंदू इसको निराशा की स्थिति मेंसहते रहे !इस प्रकार कहा जा सकता है की एक मनुष्य के लिए सांप्रदायिक जुड़ाव बहुत जरूरी है जिसके द्वारा वह अपने समुदाय से जुड़ करअपने विश्वास औरस्वतंत्रता की रक्षा कर सकता है ! इस्लाम और ईसाई समुदाय दोनों में नियत धर्म ग्रंथ और दिशानिर्देश होने के कारण दोनों धर्मों के अनुयाई संगठित हो पाए और सत्ता पर कब्जा किया! इस प्रकार देखा जा सकता है की समाज को बांधने और नियंत्रित करने के लिए एक निश्चित मार्ग और दिशानिर्देशों की आवश्यकता होती है जो भारत के सनातन धर्म में नहीं है ! भारतमैं सनातन धर्मके अनुयायियों की देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग मान्यताएं और विश्वास है ! हऔर इस के मानने वालों के विचार कभी भी एक जैसे नहीं हो सकते हैं इसी का परिणाम है कि देश के ज्यादातर भागों में अल्पसंख्यक कहे जाने वाले मुस्लिमों द्वारा द्वारा सत्ता का निर्णय होता है ! पिछले 50 सालों से देश के हिंदू बहुल कहे जाने वाले राज्यों में अक्सर ऐसे राजनीतिक दलों का शासन रहा जिन्होंने इस्लाम के अनुयायियों को अपने पक्ष में रखते हुए सत्ता पर पकड़ हासिल की ! इसका सबसे बड़ा उदाहरण है उत्तर प्रदेश बिहार पश्चिम बंगाल और दक्षिण के राज्यों में भी आजकल इस्लाम के अनुयायियों के द्वारा ही सत्ता का निर्धारण हो रहा है !मुस्लिमों की मदद के कारण ही पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी विश्वास के साथ जीत हासिल कर सकी,जबकि भारतीय जनता पार्टी के प्रधानमंत्री से लेकर प्रदेशों के मुख्यमंत्री तक ने चुनाव में एड़ी चोटी का जोर लगाया! इसलिए अब समय आ गया है जब सांप्रदायिकता शब्द का गलत भावना की परवाह के कारण अक्सर सनातन धर्मी अपने आप को संगठित नहीं करते हैं !इसलिए अब समय आ गया है जब हिंदू धर्म के अनुयायियों को अपने धर्म को मानने वालों के लिए कुछ निश्चित नियम कानून को तय करना चाहिए जिनके द्वारा हिंदू संप्रदाय का पतन रोका जा सके और इस्लाम और ईसाई संप्रदाय की तरह भारतवर्ष में हिंदू संप्रदाय को मानने वाले भी अपने लिए शासन और सरकार तय कर सकें !
 

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उपरोक्त विवरण से यह स्पष्ट हो गया है कि किस प्रकार सनातन धर्म की उदारता व्यापकता और संपूर्ण मानव जाति की कल्याण की भावना का दुरुपयोग किया गया और सत्ता पर कब्जा किया गया ! सत्ता पर कब्जे के बाद में दिन रात सनातन धर्म को बदनाम करने के प्रयास किए गए जिससे इसमें विश्वास खो कर इसके अनुयाई अन्य धर्मों को मानने लगे ! अब समय आ गया है जब जीवन की वास्तविकता को देखते हुए देश के भाग्य का निर्धारण करने वाली सत्ता की चालों को समझा जाए और उसके दुष्परिणामों को रोकने के लिए कदम उठाए जाएं! इसके लिए आवश्यकता हैअब उपरोक्त तथ्यों को जनमानस को समझाते हुए कुछ निर्णय लिए जाएं जिनके द्वारा सनातन धर्मी कुछ निश्चित नियम कानूनों के द्वारा नियंत्रित हो तथा क्षेत्रीय गुरुओं और अन्य इस प्रकार के प्रभावों से मुक्त होकर केवल और केबल हिंदू कहे जा सके ! क्क्योंकि इस समय भारत के हर भाग में सनातन धर्म का अपनी सुविधा के अनुसार व्याख्या की गई है और पूजा पद्धति अपनाई गई है! इस प्रकार देश का सबसे बड़ा संप्रदाय एक प्रकार से बिखरा और टूटा फूटा है ! पिछले लंबे समय से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ इस विषय पर कार्य कर रहा है परंतु इसके विरोधी इसको तरह-तरह की संकीर्णता और सांप्रदायिकता का आरोप लगाकर इस को बदनाम करते हैं ! देश पर लंबे समय तक शासन करने वाली कांग्रेस पार्टी ने अपने वोट बैंक की मजबूती के के लिए राष्ट्रीय श्रमिक संघ सेवक संघ को बदनाम करने की साजिश रची जबकि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एक राष्ट्रवादी संगठन है जिसका मुख्य उद्देश्य देश के हर नागरिक का कल्याण और देश की एकता और अखंडता को बनाए रखना है !देश की वास्तविकता को देखते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ तथा अन्य इसी प्रकार के संगठनों को खुले में आकर जनसभाएं करके पूरे हिंदू धर्म का पुनर्गठन करना चाहिए जिससे अन्य धर्मों की तरह इसमें भी मजबूत संगठन और नियंत्रण तैयार किया जा सके !
 
अभी-अभी पश्चिम बंगाल में जो हुआ है वह केवल राजनीतिक विचारधारा के कारण नहीं हुआ है इसमें पूरा हाथ सांप्रदायिक शक्तियों का रहा है इन शक्तियों को देश के कल्याण की कोई परवाह नहीं है इन्हें केवल सत्ता चाहिए ! अक्सर इस प्रकार के ध्रुवीकरण का परिणाम देश का विघटन होता है और खासकर यदि यह ध्रुवीकरण सीमावर्ती राज्य में हुआ है तो इस ध्रुवीकरण का फायदा देश के दुश्मन उठाते हैं ! जैसा कि 80 के दशक में पंजाब तथा बाद में जम्मू कश्मीर में देखने में आयाथा ! समय रहते स्थिति को संभाल लिया गया अन्यथा आज भारत का पंजाब खालिस्तान के रूप में पाकिस्तान के साथ खड़ा होता ! इस समय पूरे दक्षिण एशिया में चीन सत्ता संघर्ष में लगा हुआ है ! अभी कुछ दिन पहले श्रीलंका में वहां के बंदरगाहपर चीन का नियंत्रण कराने के लिए एक बिल वहां की पार्लियामेंट में पेश हुआ है जिसके विरुद्ध वहां के ज्यादातर राजनीतिक दल हैं ! क्योंकि वह जानते हैं कि चीन इस समय किसी ना किसी बहाने देशोंमैं घुसकर वहां की सत्ता पर कब्जा कर रहा है! जिसकी शुरुआत उसने साझा आर्थिक गलियारे के रूप में पाकिस्तान में कर दी है ! इसी प्रकार इस क्षेत्र के अन्य छोटे-छोटे देशोंकी तरह स्थिति का फायदा उठाकर में चीनकिसी ना किसी बहाने पश्चिम बंगाल में घुसपैठ की कोशिश कर सकता है ! इससे पहले कीचीन वहां के इस सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का फायदा उठाकर वहां पर अपने पैर पसारने शुरू कर दे जैसा कि अक्सर सत्ता के लिए हुआ है इसलिए राष्ट्रवादी शक्तियों को अपने सांप्रदायिक संकीर्ण विचारों से ऊपर उठ कर राष्ट्रवादी सोच के द्वारा जनता में जागृति लानी चाहिए और इस प्रकार 10 वीं शताब्दी के इतिहास को दोहराने का मौका नहीं देना चाहिए !इसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को अग्नि भूमिका निभानी चाहिए !
 
इसलिए आइए देश के हर भाग में विचार-विमर्श करके इस प्रकार के नियम कानून तय किया जाए जिससे सत्ता प्राप्ति में सांप्रदायिकता का प्रभाव ना हो और हिंदू धर्म का पुनर्गठन होकर यह अपनी पुरानी गरिमा को प्राप्त कर सकें !
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