सोशल मीडीया साइट्स द्वारा भारत की संप्रुभता पर हमला स्वीकार्य नहीं

25 Feb 2021 14:11:36
सोशल मीडीया साइट्स द्वारा भारत की संप्रुभता पर हमला बढ़ता ही जा रहा है। ताजा उदाहरण माइक्रो ब्लॉगिंग साइट (ट्विटर) और भारत सरकार के बीच बढ़ता विवाद है। इस विवाद के माहौल में भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्राद्योगिकी मंत्रालय के सचिव और ट्विटर की ग्लोबल पब्लिक पॉलिसी वाइस प्रेसिडेंट मोनीके मेशे के बीच हुई वर्चुअल वार्ता में सरकार ने ट्विटर से दोहरे मापदंड न अपनाने और सरकारी आदेशों का उल्लंघन न करने और लोकतांत्रिक संस्थानों का सम्मान करने के लिए कहा है। दरअसल भारत सरकार ने ट्विटर से कुछ विवादित अकाउंट और खालिस्तान समर्थक अकाउंट को डिलीट करने के लिए कहा था। इसे लेकर ट्विटर और सरकार के बीच विवाद है।इसी बीच ट्वटिर ने बुधवार को सरकार के आदेश पर कुछ ट्विटर अकाउंट को प्रतिबंधित कर दिया है।
 
केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने गुरुवार, 11 फरवरी को राज्यसभा में कहा कि सोशल मीडिया का दुरुपयोग करने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। आईटी मंत्री ने कहा कि अगर कोई फेक न्यूज या नफरत फैलाने के लिए सोशल मीडिया का दुरुपयोग करता है, तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। प्रसाद ने सोशल मीडिया कंपनियों को भी सख्त हिदायत दी. उन्होंने कहा, “आपके भारत में लाखों फॉलोअर्स हैं, आप बिजनेस करने और पैसा कमाने के लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन आपको भारतीय संविधान का पालन करना होगा.” आईटी मंत्री ने आगे कहा, “हम सोशल मीडिया का सम्मान करते हैं, इसने आम लोगों को सशक्त बनाया है. डिजिटल इंडिया कार्यक्रम में सोशल मीडिया की बड़ी भूमिका है। हालांकि, अगर फर्जी खबरों और हिंसा फैलाने के लिए सोशल मीडिया का दुरुपयोग किया जाता है तो कार्रवाई की जाएगी.”
 
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इन मतभेदों के बीच केंद्र के आईटी सेक्रेटरी और ट्विटर (Twitter) के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच बुधवार को एक वर्चुअल बातचीत हुई थी।भारत सरकार ने इस बातचीत में ट्विटर से सरकारी नियमों के अनुपालन करने और लोकतांत्रिक संस्थाओं का सम्मान बनाए रखने के लिए कहा।सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि कंपनी के अपने भले ही कोई नियम हों, लेकिन उसे देश के कानूनों का पालन करना ही चाहिये।' विवाद के बीच ट्विटर (Twitter) ने भी बुधवार को बयान जारी किया था और कहा था कि 26 जनवरी 2021 के बाद हमारी टीम ने 24/7 कवरेज प्रदान की है और हमने कंटेंट, ट्रेंड्स, ट्वीट्स और अकाउंटों पर निष्पक्ष रूप से कार्रवाई की, जो कि ट्विटर के नियमों के उल्लंघन कर रहे थे। हमारी वैश्विक नीति की रूपरेखा हर ट्वीट को नियंत्रित करती है।'
 
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इसके साथ ही ट्विटर ने बताया है कि किसी भी मीडिया संस्थान, पत्रकार या एक्टिविस्ट के अकाउंट बैन नहीं किए गए हैं। ट्विटर ने कहा, 'किसी भी मीडिया संस्थान, पत्रकार, एक्टिविस्ट और नेता के अकाउंट के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की है।भारतीय कानून के तहत अभिव्यक्ति की आजादी के अंतर्गत उन्हें अपनी बात कहने का अधिकार है।' मंगलवार को समाचार एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से लिखा था कि भारत सरकार ने ट्विटर को कथित पाकिस्तान और खालिस्तान समर्थकों से संबंधित 1178 ट्विटर अकाउंट बंद करने का आदेश दिया है जो किसानों के विरोध प्रदर्शनों को लेकर ग़लत सूचना और उत्तेजक सामग्री फैलाते रहे हैं। बताया गया कि सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने चार फ़रवरी को इन ट्विटर अकाउंट्स की एक सूची साझा की थी । इन अकाउंट्स की पहचान सुरक्षा एजेंसियों ने खालिस्तान समर्थक या पाकिस्तान द्वारा समर्थित और विदेशी धरती से संचालित होने वाले अकाउंट्स के तौर पर की थी, जिनसे किसान आंदोलन के दौरान सार्वजनिक व्यवस्था को ख़तरा है। बयान में ये भी कहा गया है कि अभिव्यक्ति की आज़ादी निरंकुश नहीं है और इस पर भी उचित प्रतिबंध लागू होते हैं जैसा कि भारत के संविधान के अनुच्छेत 19 (2) में वर्णित है।भारत के सुप्रीम कोर्ट के कई निर्णयों में भी इस सिद्धांत को कई बार सही ठहराया गया है।
 
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भारत ने ट्विटर के प्रतिनिधियों से कहा है कि ट्विटर का भारत में व्यापार करने के लिए स्वागत है लेकिन ट्विटर को भारत के क़ानूनों और लोकतांत्रिक संस्थानों का भी सम्मान करना होगा। सरकार की तरफ़ से जारी बयान में कहा गया है कि, 'ट्विटर अपने नियम और दिशानिर्देश बना सकता है लेकिन भारत की संसद में पारित क़ानूनों का पालन करना ही होगा, भले ही ट्विटर के अपने नियम और दिशानिर्देश कुछ भी हों।' सरकार की तरफ़ से हैशटैग 'फार्मर जेनोसाइड' (किसानों का नरसंहार) को लेकर नाराज़गी भी ज़ाहिर की गई।भारत सरकार ने ट्विटर को इस हैशटैग का इस्तेमाल करके ट्वीट करने वाले 250 से अधिक अकाउंट को प्रतिबंधित करने के लिए कहा है|
 
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ट्विटर ने सरकार के आदेश पर कई अकाउंट भारत में प्रतिबंधित भी किए थे लेकिन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हवाला देते हुए उन्हें कुछ ही घंटों में फिर से चालू कर दिया गया था ।अब फिर से ऐसे अकाउंट प्रतिबंधित किए जा रहे हैं। इससे पहले, सरकार ने ट्विटर को उन 'हैंडल्स' और 'हैशटैग्स' को हटाने का आदेश दिया था, जिनमें दावा किया गया था कि किसान नरसंहार की योजना बनाई जा रही है. सरकार ने कहा था कि इस तरह की ग़लत सूचना और भड़काऊ सामग्री सार्वजनिक व्यवस्था को प्रभावित करेगी. स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, केंद्र सरकार ने ट्विटर को निर्देशों का अनुपालन करने में विफल रहने पर दण्डात्मक कार्रवाई की भी चेतावनी दी थी। इस बीच ट्विटर के एक प्रवक्ता ने अपनी ई-मेल प्रतिक्रिया में कहा था कि 'ट्विटर सार्वजनिक संवाद के सशक्तीकरण और पारदर्शिता के सिद्धांतों पर चलता है। अगर हमें ट्विटर पर संभावित अवैध सामग्री के बारे में वैध क़ानूनी अनुरोध प्राप्त होता है, तो हम इसकी समीक्षा ट्विटर के नियमों और स्थानीय क़ानून, दोनों के तहत करते हैं। यदि सामग्री ट्विटर के नियमों का उल्लंघन करती है, तो सामग्री को हटाया जाएगा।'
 
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इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि 'यदि यह एक विशेष अधिकार क्षेत्र में अवैध होना निर्धारित करता है, लेकिन ट्विटर के नियमों का उल्लंघन नहीं है, तो हम केवल उस स्थान में सामग्री तक पहुँच को रोक सकते हैं। सभी मामलों में, हम अकाउंट धारक को सीधे सूचित करते हैं ताकि उसे पता चले कि हमें अकाउंट से संबंधित एक क़ानूनी आदेश प्राप्त हुआ है। अमेरिकी डिपार्टमेंट ऑफ स्टेट के प्रवक्ता नेड प्राइस ने मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “हम दुनियाभर में अभिव्यक्ति की आजादी समेत सभी लोकतांत्रिक मूल्यों का समर्थन करते हैं. जब ट्विटर की पॉलिसी की बात आती है, तो हम इसे ट्विटर पर ही छोड़ देते हैं.”
 
गूगल, ट्विटर, फेसबुक भारत के नियमों का पालन न करें ,यह संभव नहीं। वाट्स अप द्वारा सरकार द्वारा कठोर निर्णय लेने पर ही पांच बार से ज्यादा फॉरवर्ड की सुविधा वापिस ली गयी है। इसी तरहकिसान आंदोलन की आड़ में हिंसा फैलाने के लिये प्रयोग की गयी टूल किट संबंधी जानकारी भी गूगल द्वारा अब सरकार द्वारा सख्ती दिखाने पर ही उपलब्ध करवाई जा रही है। राजदीप सर देसाई द्वारा भी ट्विटर के द्वारा अपना झूठा विमर्श स्थापित करने का प्रयास किया गया।देश की संप्रभुता पर इन विदेशी सोशल साइट्स द्वारा हमला स्वीकार्य नहीं है। भारतीय संसद द्वारा बनाए गये कानूनों का पालन इन सोशल साइट्स को करना ही होगा।
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