200 साल की अंग्रेजों की गुलामी के बाद भारत 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ परंतु अंग्रेजों ने जाते-जाते भारतवर्ष को उत्तर पूर्व के अरुणाचल से लेकर पंजाब के अमृतसर तक अशांत तथा अनिश्चित सीमाएं दी ! तात्पर्य कि पूरे 200 साल में अंग्रेज चीन के साथ सीमाओं को निर्धारित नहीं कर पाए ! जिसका परिणाम है की आजादी के कुछ समय बाद ही जब भारतवर्ष पूरी तरह से संभल भी नहीं पाया था उस समय 1959 में चुपचाप चीन ने भारत के अक्साई चीन का 48000 स्क्वायर किलोमीटर क्षेत्र अपने कब्जे में कर लिया था ! आजादी से कुछ समय पहले अंग्रेजों ने मैकमोहन लाइन के द्वारा भारत और चीन की सीमा निर्धारित की थी ! जिसको चीन ने कभी माना ही नहीं ! चीन-भारत के अक्साई चीन पर यह सब इसलिए कर पाया कि क्योंकि इस पूरे क्षेत्र में लगने वाली सीमाएं ऊंचे ऊंचे पहाड़ी क्षेत्रों पर से गुजरती हैं ! जहां पर आजादी के फौरन बाद भारत की संचार व्यवस्था तथा सड़कें इत्यादि नहीं पहुंच पाई थी ! इसलिए इन क्षेत्रों में भारतीय सुरक्षा बल प्रभावशाली तरीके से इस क्षेत्र की निगरानी नहीं रख पाए जिसका फायदा उठाकर चीन ने भारत के इस क्षेत्र पर कब्जा कर लिया था !
पिछले लंबे समय से चीन की सोच विस्तार बादी रही है जिसके द्वारा उसने पूरे तिब्बत पर कब्जा कर लिया इसके साथ ही उसने अपने सारे पड़ोसी देशों जैसे नेपाल, भूटान, बर्मा और भारतवर्ष की जमीनों पर जहां भी मौका मिला है कब्जा किया है ! इस कारण पूरा दक्षिण एशिया अशांत है ! परंतु अब आजादी के 75 साल बाद भारत ने जहां हर क्षेत्र में तरक्की की है वहीं पर उसने अपनी सारी सीमाओं तक सड़क मार्ग और संचार व्यवस्था फैला दी है ! इसी के अंतर्गत असंभव कहे जाने वाले पूर्वी लद्दाख के काराकोरम दर्रा तक भारत ने लेह--श्योक-- दौलत बेग ओल्डी तक 255 किलोमीटर लंबी सड़क 13000--16000फुट तक की ऊंचाई पर बना दी है ! इस सड़क का निर्माण 2001 में शुरू हुआ था जो अब 2020 में पूरा हो चुका है ! यह सड़क हर मौसम में खुली रहेगी और इसके द्वारा लद्दाख के आखिरी छोर जो चीन की सीमा से मिलता है तक हर समय भारतीय सेना आसानी से पहुंच सकेगी ! और इसी का प्रदर्शन भारतीय सेना मई से इस क्षेत्र में कर रही है !!इस सड़क को चीन अपने लिए सबसे बड़ा खतरा मान रहा है ! क्योंकि उसकी पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह को जोड़नेवाले प्रसिद्ध काराकोरम हाईवे के नजदीक तक भारत की यह नई सड़क जाती है ! इसके अलावा इस सड़क के बन जाने के कारण भारतवर्ष का दौलत बेग ओल्डी हवाई अड्डा जो 16000 फुट की ऊंचाई पर है पूरी तरह से हरकत में आ गया है ! अब यहां से हर प्रकार के लड़ाकू विमान उड़ान भर सकते हैं ! इस प्रकार जिस क्षेत्र को चीन भारत के लिए असंभव समझकर स्वयं इसका मालिक समझ रहा था उस पर अब भारत प्रभावशाली तरीके से स्थापित हो गया है ! और यह भारत का बदलता हुआ स्वरूप चीन को रास नहीं आ रहा है ! जिसके कारण वह बार-बार पूर्वी लद्दाख में भारतीय सेना के साथ में टकराव की स्थिति पैदा कर रहा है और परोक्ष रूप से वह भारत पर दबाव डालकर उसे लद्दाख क्षेत्र से दूर रखना चाह रहा है !
चीन की बेचैनी का दूसरा सबसे बड़ा कारण है भारत के द्वारा अपने जम्मू कश्मीर राज्य में धारा 370 तथा 35A को हटाना जिसके फल स्वरूप अब जम्मू कश्मीर राज्य में चारों तरफ विकास और निवेश होगा और आम कश्मीरी की दशा सुधरेगी और वह अलगाववादियों के चंगुल से मुक्त होगा ! भारत के इस कदम से पाकिस्तान के कश्मीर को हड़पने के मंसूबे चकनाचूर हो गए हैं ! और इस प्रकार पाकिस्तानी सेना जो अपने देशवासियों को भारत के कश्मीर पर कब्जे के झूठे सपने दिखा रही थी अब उसकी सच्चाई पाकिस्तानी जनता के सामने आ गई है ! इसमें और भी आग पर घी डालने का काम भारत सरकार के उस निश्चय ने किया है जिसके द्वारा अब भारत सरकार पाक अधिकृत कश्मीर को भी कश्मीर में मिलाने की योजना बना रही है ! कश्मीर में अब भारतीय कानून पूरी तरह लागू होने के कारण अब पाकिस्तान समर्थित अलगाववादियों की हरकतों पर भी पूरी तरहलगाम लग गई है ! इस कारण अब कश्मीर घाटी में पाकिस्तान के इशारों पर धरने प्रदर्शन इत्यादि भी खत्म हो गए हैं !यह अलगाववादी जम्मू कश्मीर राज्य को जानबूझकर पिछड़ा रखना चाहते थे जिससे यह वहां की जनता को यह कहकर बहका सके कि भारत सरकार उनके साथ सौतेला व्यवहार कर रही है ! इसके लिए वह विकास के लिए आए धन को भ्रष्टाचार के द्वारा खा रहे थे और वहां के सत्ताधारी राजनीतिक इन पर वोट बैंक की राजनीति के कारण कोई कार्यवाही नहीं कर रहे थे एक प्रकार से इस राज्य में विकास के सरकारी धन की लूट हो रही थी जिसका वर्णन वहां पर राज्यपाल रहे श्री जगमोहन ने अपनी किताब में किया है कि किस प्रकार वहां पर राज्य सरकार की नौकरियां अपने चहेतों को दी जाती थी और विकास के धन की हेराफेरी होती थी ! यह अलगाववादी यहां पर चुपके चुपके आतंक का माहौल पैदा करके वहां की जनता को पाकिस्तान के समर्थन के लिए दबाव डालते थे जिसका प्रदर्शन अक्सर यह शुक्रवार की नमाज़ ओं के बाद किया करते थे !
घाटी को भारत के समर्थकों से पूरी तरह खाली करने के लिए इन्होंने कश्मीरी पंडितों को वहां से पूरी तरह प्रताड़ित करके बाहर निकाल दिया था जिसके बाद इनके विरुद्ध कोई आवाज वहां पर नहीं उठती थी !अब भारत केद्वारा जम्मू कश्मीर के दरवाजों को पूरे देश के लिए खोलने से पाकिस्तान के कश्मीर को हड़पने के सपने को चकनाचूर कर दिया है ! ऐसीनिराशाजनक स्थिति में पाकिस्तान अपने सबसे बड़े संरक्षक तथा मित्र चीन के पास पुकारकी है ! चीन को भी पाकिस्तान की मदद के लिए इस समय इसलिए भी मजबूर होना पड़ रहा है क्योंकि उसने पाकिस्तान में साझा आर्थिक गलियारा के लिए बहुत बड़ा निवेश पाकिस्तान में कर दिया है ! यह योजना पूरे 80 बिलियन पाउंड की है जिसका बहुत सा धन वह अब तक खर्च कर चुका है ! पाकिस्तान और चीन ने यह योजना अगस्त 2015 में शुरू की थी इसके अनुसार चीन अपने शिंजियांग प्रांत को काराकोरम सड़क मार्ग के द्वारा पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह से जुड़ेगा ! इसके अतिरिक्त इस सड़क के आसपास चीन पाकिस्तान में जगह जगह औद्योगिक क्षेत्र स्थापित करके वहां पर अपने उद्योगों का विस्तार करेगा ! इसके लिए चीन ने पाकिस्तान में आधारभूत ढांचा जैसे सड़क तथा बिजली इत्यादि पर भी धन खर्च करना शुरू कर दिया है जिससे उसकी औद्योगिक औद्योगिक गतिविधियों को यह सब मिल सके ! इस प्रकार से चीन पाकिस्तान में अपना बहुत बड़ा आर्थिक निवेश करके अपना औद्योगिक विकास करना चाह रहा है !इसमें जमीन पाकिस्तान की होने के कारण उसे हर समय डर है कि पाकिस्तान कहीं अपना रुख ना बदल ले ! इसलिए वह हर हालत में पाकिस्तानी सरकार और उसकी सेना को खुश रखना चाहता है ! और इसी कारण वह बार-बार भारत के साथ सैनिक टकराव के मौके ढूंढता रहता है जैसे कि 2017 में सिक्किम के डोकलाम में किया थाऔर इसी की पुनरावृति अब पूर्वी लद्दाख में कर रहा है !
इसके अलावा तीसरा सबसे बड़ा कारण है दक्षिणी चीन महासागर में चीन के प्रभुत्व को भारत के द्वारा चुनौती दिया जाना ! जैसा की सर्वविदित है भारत ने इस क्षेत्र के प्रमुख देशों जैसे ऑस्ट्रेलिया जापान फ्रांस तथा अमेरिका के साथ एक गठजोड़ करके इस दक्षिणी चीन महासागर में चीन को चुनौती दी है ! अब इस गठजोड़ के कारण अमेरिका के लड़ाकू युद्धपोत इस क्षेत्र में भारत के युद्ध पोतों के साथ लगातार गश्त कर रहे हैं ! इस प्रकार भविष्य में कभी भी चीन के आयात और निर्यात का यह मार्ग भी बंद हो सकता है ! चीन इस महासागर के रास्ते से ही अपनी ऊर्जा का 80% कच्चा तेल आयात करता है तथा उसका 60% निर्यात भी इसी के द्वारा होता है ! यदि इस रास्ते में उसको कोई रुकावट आएगी तो उसका पूरा आर्थिक विकास रुक जाएगा ! इसी के कारण चीन ने पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह को अपनाया है जिससे उसे हर समय समुद्री रास्ता उपलब्ध रहे ! !परंतु अब काराकोरम हाईवे के आसपास भारतीय सेना का प्रभाव बढ़ने के कारण उसको ग्वादर बंदरगाह के उपलब्ध होने में भी शंका पैदा हो गई है !
उपरोक्त तीनों कारणों से बौखलाया चीन अपने सबसे जरूरी कोरा काराकोरम हाईवे को सुरक्षित करने के लिए भारतीय सेनाओं को पूर्वी लद्दाख क्षेत्र से पीछे धकेलना चाहता है ! जिससे वह अपनी गतिविधियों को निरंकुश होकर चलाता रहे ! परंतु वह भूल गया कि यह भारत 1962 का भारत नहीं है जब भारत नया नया आजाद हुआ था और लंबी गुलामी के कारण भारत में कहीं पर कोई विकास नहीं था ! जिसका फायदा उठाकर उसने चुपके से अक्साई चीन पर कब्जा कर लिया था ! संचार व्यवस्था के उपलब्ध ना होने के कारण उसका यह कब्जा भारत को पूरे 3 साल बाद 1962 में पता लगा जिसके कारण 1962 का युद्ध हुआ जिसमें दुर्भाग्य से भारत को सफलता नहीं मिल पाई थी ! परंतु अब भारत चीन को हर मोर्चे पर करारा जवाब देने में सक्षम है ! जिसका प्रदर्शन मई से लेकर आज तक भारतीय सेना पैंगोंग झील के आसपास प्रमुख पहाड़ियों पर कब्जा करके कर रही है ! भारतीय सेना ने पैंगोंग झील के आसपास ऊंची चोटियों पर जैसे ब्लैक टॉप हेलमेट टॉप रेजांगला इत्यादि पर कब्जा करके चीन की घुसपैठ पर सफलतापूर्वक लगाम लगा दी है ! जैसा कि 28-- 29 अगस्तकी रात में देखने में आया था ! जब चीनी सैनिक चोरी-छिपे दोबारा 14 जून वाला दृश्य दोहराने की कोशिश कर रहे थे और भारतीय सैनिकों ने उन्हें समय रहते ही वापस लौटने पर मजबूर कर दिया !
भारतीय सेना ने लद्दाख के क्षेत्र में पर्याप्त मात्रा में सैनिकों की नियुक्ति, तोपखाना तथा टैंकों के द्वारा अपनी रक्षा व्यवस्था को पूर्णतया चाक-चौबंद बना दिया है जिसको चीन ने अच्छी प्रकार समझ लिया है ! इसलिए वह कभी भी भारत के साथ युद्ध करने की सोचेगा भी नहीं ! केवल वह छोटी मोटी झड़पों के द्वारा अपना प्रभुत्व दिखाने की कोशिश करेगा जिससे उसका मित्र पाकिस्तान खुश हो सके जैसा कि आजकल पाकिस्तान में देखा जा सकता है ! चीन यह भी भली भांति जानता है की भारत के साथ खुला युद्ध उसकी आर्थिक व्यवस्था तथा विश्व में फैला उसका व्यापार को भी पूरी तरह बर्बाद कर देगा ! इसलिए वह कभी भी भारत जैसे शक्तिशाली देश से और छोटे-छोटे देशों जैसी हरकतें करने की सोचेगा भी नहीं ! इसलिए किसी ने ठीक कहा है की युद्ध की तैयारियों से युद्ध को रोका जा सकता है और यही भारत-चीन विवाद में सिद्ध हो रहा है !