कानपुर में सरेआम एक कुख्यात अपराधी ने आठ पुलिसकर्मियों की हत्या बड़ी बेरहमी से कर दी तथा उसके बाद आतंक और बढ़ाने के लिए उसके साथियों ने पुलिस के उप अधीक्षक को गोली मारने के बाद उसकी एक टांग को कुल्हाड़ी से बड़ी बेरहमी से काट दिया ! इस क्रूर कांड से एक बार फिर देश की आंतरिक सुरक्षा की भयानक स्थिति सामने आई है कि किस प्रकार कानून की परवाह न करते हुए यह संगठित अपराधी अपना आतंक देश में जगह जगह फैला रहे हैं ! जिसके कारण देश के बहुत से क्षेत्र विकास से कोसों दूर हैं क्योंकि इन क्षेत्रों में कोई भी निवेशक इनके आतंक के कारण निवेश नहीं करना चाहता है जिससे यहां पर रोजगार के साधन उपलब्ध नहीं है ! जिसका परिणाम है कि यहां के निवासी रोजगार के लिए देश के विकसित भागों की तरफ पलायन करते हैं जिसका खुलासा अभी कोरोना महामारी के समय उस समय हुआ जब देश के सात करोड़ मजदूर प्रवासियों की तरह अपने घरों की तरफ लौट रहे थे ! अक्सर इस प्रकार की घटना जब पाकिस्तान में होती है तब पूरा देश यह कहता नजर आता है कि पाकिस्तान में आतंकियों एवं माफिया का राज है तथा पाकिस्तान एक पिछड़ा देश है और इसी के परिणाम स्वरूप पाकिस्तान में बेरोजगारी तथा गरीबी है ! तो क्या कानपुर की उपरोक्त घटना को देखकर पूरा विश्व इस समय भारतवर्ष के बारे में पाकिस्तान की तरह ही बातें नहीं कर रहा होगा !कानपुर जैसी घटनाओं से देश की अंतर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठा को ठेस लगती है ! इससे विश्व के देशों को हमारी आंतरिक सुरक्षा के बारे में गलत तस्वीर मिल जाती है ! आंतरिक सुरक्षा तथा कानून व्यवस्था की स्थिति का आकलन देश की राजधानी दिल्ली की पिछले 6 महीने की स्थिति से ही लगाया जा सकता है ! 2019 में देश की लोकसभा ने नागरिकता संशोधन कानून पारित किया जो देश के किसी नागरिक या संप्रदाय के विरुद्ध नहीं था !
परंतु फिर भी इस को सांप्रदायिक रंग देकर दक्षिण दिल्ली को उत्तर प्रदेश से जोड़ने वाली मुख्य सड़क को नवंबर 2019 में धरना देकर अवरुद्ध कर दिया गया ! इसके कारण इस पूरे क्षेत्र में लंबे समय तक जनजीवन तथा औद्योगिक गतिविधियां ठप हो गई परंतु फिर भी कानून व्यवस्था लागू करने वाली एजेंसियां इसको हटाने मैं असहाय नजर आई ! इस धरने प्रदर्शन के कारण पूरी दक्षिणी और पूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक तनाव बढ़ता चला गया और इस तनाव के कारण दंगों को अंजाम देने के लिए असामाजिक तत्वों ने पूरी तैयारी कर ली थी ! इस प्रकार पूरी तैयारी के साथ 23 फरवरी 2020 को पूर्वी दिल्ली में बड़े पैमाने पर सांप्रदायिक दंगे शुरू हो गए यह दंगे उस समय हुए जब भारतवर्ष में विश्व की महाशक्ति कहे जाने वाले अमेरिका के राष्ट्रपति श्री डॉनल्ड ट्रंप दौरा कर रहे थे ! जिसके कारण पूरा विश्व मीडिया दिल्ली में एकत्रित था तथा इन दंगों की पूरी सूचना पूरे विश्व में पहुंचा रहा था ! यह दंगे पूरे 3 दिन तक बेरोकटोक चलते रहे और कानून व्यवस्था लागू करने वाली एजेंसियां के पास इन दंगों को रोकने के लिए कोई ठोस रणनीति नजर नहीं आई ! दिसंबर 2019 में विश्व में कोरोना वायरस की खबरें फैलने लगी थी तथा भारत में भी जनवरी 2020 में केरल में इसके केस सामने आने लगे थे ! इसको देखते हुए भारत सरकार ने कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए राज्यों को एडवाइजरी फरवरी में जारी कर दी थी तथा 1919 के संक्रमण बीमारी नियंत्रण कानून पूरे देश में प्रभावी कर दिया था ! परंतु फिर भी दिल्ली के निजामुद्दीन में मार्च महीने में तबलीगी जमात के मुख्यालय में एक विश्व धार्मिक सम्मेलन आयोजित किया गया जिसमें विश्व के देशों के 3000 लोग टूरिस्ट वीजा पर सम्मिलित हुए ! इन एकत्रित लोगों में चीन तथा अन्य कोरोना संक्रमित देशों के निवासी भी सम्मिलित थे ! यह सभी लोग पूरे 3 दिन तक एक स्थान पर रुके जिसके कारण कोरोना का संक्रमण इनमें फैल गया इस सम्मेलन के बाद यह एकत्रित लोग पूरे भारतवर्ष में फैल गए जिसके कारण कोरोना संक्रमण पूरे देश में तेजी से फैला ! तबलीगी जमात के मुख्यालय की दीवार निजामुद्दीन में स्थित पुलिस थाने की दीवार से मिलती है पुलिस इतनी नजदीक होते हुए भी इस प्रकार का धार्मिक सम्मेलन उस समय हुआ जब देश में सोशल डिस्टेंसिंग तथा सावधानियां बरतने की एडवाइजरी सरकार के द्वारा जारी की जा रही थी !जब यह स्थिति देश के सबसे सुरक्षित कहे जाने वाले दिल्ली की है तब देश के दूर दराज के स्थानों और प्रदेशों जैसे बिहार झारखंड छत्तीसगढ़ तथा आंध्र प्रदेश में क्या स्थिति होगी इसकी कल्पना से ही रूह कांप उठती है !
कानून व्यवस्था आंतरिक सुरक्षा का मुख्य भाग है और इसके अनुसार देश के सभी नागरिकों के जानमाल स्वास्थ्य तथा सामाजिक समरसता तथा संप्रभुता की रक्षा का दायित्व आंतरिक सुरक्षा का ही विषय है ! और भारत के संविधान की प्रस्तावना में ही पूरे देश में सभी नागरिकों को समान रूप से सुरक्षा प्रदान करने की जिम्मेवारी सरकार की है !परंतु देश में दिल्ली और कानपुर जैसी घटनाओं से यह स्पष्ट हो जाता है कि अभी तक देश की आंतरिक सुरक्षा मजबूत नहीं है ! इसमें करो ना जैसी महामारी, दंगे और संगठित अपराधियों के द्वारा भारत के एक आम नागरिक की सुरक्षा को अभी तक खतरा बना हुआ है ! क्योंकि अभी तक भारतवर्ष में आंतरि क सुरक्षा को गंभीरता से लिया ही नहीं गया है ! इसे राजनीतिज्ञों के वोट बैंक की राजनीति की भेंट चढ़ा दिया गया है ! क्योंकि संविधान के अनुसार कानून व्यवस्था राज्यों का विषय है इसलिए पुलिस राज्य सरकार के अधीन होती है तथा राज्य सरकारें अपने राजनीतिक एजेंडे के अनुसार पुलिस को नियंत्रित करती है ! जिसमें कभी-कभी वोट बैंक की राजनीति के कारण संगठित अपराधी फलते फूलते रहते हैं ! जिस का नमूना कानपुर का विकास दुबे है !~ इसी राजनीति के कारण देश के छत्तीसगढ़ आंध्र प्रदेश बिहार तथा झारखंड में आतंकवाद का प्रसार हुआ इन राज्यों में फैले आतंकवाद और संगठित अपराधों के कारण अंतर्राष्ट्रीय स्तरों पर पाकिस्तान अक्सर भारत को अपने बराबर ही बताता रहता है !
भारतवर्ष में उपरोक्त स्थिति को देखकर यह कहा जा सकता है कि सीमाओं की सुरक्षा के लिए तो पर्याप्त सेना तथा रणनीति है परंतु देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए कोई कारगर रणनीति नहीं है जिसके कारण यदा-कदा देश में दंगे बड़े-बड़े संगठित अपराध जैसे उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में 2013 के दंगे तथा 2016 में हरियाणा में जाट आंदोलन के के समय हुई व्यापक हिंसा ! इसके अतिरिक्त सामाजिक व्यवस्था का रूप बिहार के मुजफ्फरपुर में महिला आश्रय गृह में महिलाओं के साथ हुए दुर्व्यवहार से मिलता है ! अक्सर देश में इस प्रकार की घटनाएं होती रहती है जिन पर कुछ समय के लिए टीवी चैनलों में गरमा गरम बहस हो जाती है और उसके बाद यह सब ठंडे बस्ते में चला जाता है ! परंतु अब यदि देश को एक विकसित तथा महाशक्ति के रूप में स्थापित करना है तो हमें देश में आंतरिक सुरक्षा को भी उतना ही स्थान देना होगा जितना देश की सीमाओं की सुरक्षा को दिया हुआ है !जिस प्रकार देश की सीमाओं को खतरा पैदा करने वाले दुश्मनों के खिलाफ भारत की सेना रणनीति तैयार करती है इसी प्रकार आंतरिक सुरक्षा को बार-बार चुनौती देने वाले कारणों और अपराधियों के विरुद्ध भी उसी प्रकार की रणनीति तैयार होनी चाहिए !हालांकि देश में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हैं और राष्ट्रीय सुरक्षा काही भाग आंतरिक सुरक्षा भी है परंतु संविधान की व्यवस्था के अनुसार इस समय राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार देश की बाहरी सुरक्षा की तरह आंतरिक सुरक्षा में अपना योगदान नहीं दे पा रहे हैं जिसका परिणाम देश ने तबलीगी जमात के सम्मेलन और दिल्ली में हुए दंगों के समय देखा है !अब समय आ गया है जब विकास का मतलब देश की आंतरिक सुरक्षा भी होना चाहिए !अक्सर सत्ता में बैठे हुए लोग भौतिक विकास की बातें करते हैं परंतु इस भौतिक विकास का उपयोग करने वाले मानव को सुरक्षा तथा अच्छा वातावरण देने की कोई बात नहीं करता ! देश में जब भी आंतरिक सुरक्षा को चुनौती देने वाली घटना होती है उसमें चाहिए कि उसके कारणों को समझ कर उनके निवारण का प्रयास किया जाए परंतु ऐसा अभी तकऐसा हुआ नहीं है ! मुजफ्फरनगर तथा हरियाणा के जाट आंदोलन के बाद इन के कारणों की विवेचना के लिए जांच आयोग बैठे तो क्या सरकारों ने इन जांच आयोगों की रिपोर्ट पर कार्यवाही की है तो इसका उत्तर होगा नहीं यह आयोग केवल जनता को शांत करनेके लिए थे !
हमारे देश में 1998 मैं राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की नियुक्ति जिससे इस क्षेत्र का विशेषज्ञ प्रधानमंत्री को राष्ट्रीय सुरक्षा पर उचित सलाह दे सके ! इन्हेंइनकी सलाह को सारगर्भित बनाने के लिए देश की सारी इंटेलिजेंस एजेंसीज जैसे रा , सीबीआई आईबी एनआईए इत्यादि पूरी इंटेलिजेंस उपलब्ध कराती है ! जिनके आकलन के द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार प्रधानमंत्री को उचित सलाह देते हैं ! इसके अतिरिक्त इंटर मिनिस्टीरियल ग्रुप जिसमें देश के प्रमुख मंत्रालय जैसे रक्षा गृह वित्त इत्यादि के प्रतिनिधि तथा तीनों सेनाओं के प्रमुख होते हैं ! यह ग्रुप भी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार को ही उनके कार्य मेंसहायता करने के लिए होता है ! राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की सलाह का सबसे बड़ा योगदान कश्मीर में धारा 370 तथा 35a हटाने का निर्णय रहा है ! परंतु दुर्भाग्य से अभी तक इस प्रकार की प्रणाली आंतरिक सुरक्षा के लिए विकसित नहीं की गई है ! इसके उदाहरण है दिल्ली में सांप्रदायिक दंगों की पृष्ठभूमि पिछले 3 महीने से बनती रही परंतु इस पर कोई कार्यवाही पहले नहीं की गई ! इसके अतिरिक्त कोरोना जैसी महामारी की चेतावनी होने के बावजूद भी दिल्ली में ही तबलीगी जमात का सम्मेलन होता रहा मगर किसी भी केंद्रीय एजेंसी ने इसको रुकवाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया ! और इसी प्रकार देश के विभिन्न हिस्सों में संगठित अपराध फलते फूलते रहते हैं परंतु ना राज्य सरकारें और ना ही केंद्रीय कोई एजेंसी इनका संज्ञान लेती है और ना ही कोई अरे रोकने की कार्रवाई करती है !
इसलिए अब समय आ गया है जब देश को स्वयं को विकसितदेशों की सूची में लाने के लिए अपनी आंतरिक सुरक्षा को अमेरिका तथा पश्चिमी देशों की तरह मजबूत और सुदृढ़ बनाना होगा ! इसके लिए देश में कानून व्यवस्था को लागू करने वाली पुलिस व्यवस्था को मजबूत तथा इसमें उचित सुधार करने होंगे !जिसके द्वारा देश की पुलिस भी देश की सेना की तरह आंतरिक सुरक्षा अपना कर्तव्य निभाते उस समय किसी तरह का बंधन महसूस ना करें !देश की पुलिस को सशक्त और आधुनिक बनाने के लिए भारतीय पुलिस सेवा के एक वरिष्ठ भूतपूर्व अधिकारी श्री प्रकाश सिंह ने काफी पहले आवाज उठाई थी ! इसी प्रयास में उन्होंने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की जिस पर उच्चतम न्यायालय ने 2006 में आदेश पारित किए हुए हैं !परंतु दुर्भाग्य से अभी तक देश में उच्चतम न्यायालय के आदेशों को पुलिस सुधार के लिए लागू नहीं किया गया है ! अब यदि देश में आंतरिक सुरक्षा को भी महत्वपूर्ण समझा जाता है तो केंद्रीय सरकार को चाहिए कि वह नागरिकता संशोधन कानून कराने के लिए जिस प्रकार उसने लोकसभा का सत्र बुलाया था उसी प्रकार देश में पुलिस सुधार तथा आंतरिक सुरक्षा को मजबूत बनाने के लिए सत्र बुलाना चाहिए और इसमें ऐसे कानून पारित किए जाने चाहिए जिनसे देश की राष्ट्रीय सुरक्षा का दायरा आंतरिक सुरक्षा भी बने तथा देश की सेनाओं की तरह देश की पुलिस भी गर्व से अपना कर्तव्य निभा सके !