पाकिस्तान में बांग्लादेश की तरह ही आजादी के लिए संघर्ष करता बलूचिस्तान

NewsBharati    19-Sep-2024 16:00:01 PM   
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आज के युग में विश्व के हर देश का नागरिक व्यक्तिगत स्वतंत्रता और विकास के अवसरो विकास केसमान अवसर चाहता है ! यही सब 1970 में तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तानऔर आज के बांग्लादेश केनागरिक भी चाहते थे ! यही सब अब पाकिस्तान में बलूचिस्तान के नागरिक चाहते हैं क्योंकि पूर्वी पाकिस्तान की तरह हीआजादी के समय से ही इस प्रकार का व्यवहार वहां की सरकार बलूचिस्तान के नागरिकों के साथ भी कर रही है ! पाकिस्तान के तानाशाहों ने पाकिस्तान में बहुत से प्रदेशों के नागरिकों के व्यक्तिगत अधिकारों का हनन करते हुए उन्हें विकास से दूर रखा अब यह स्थिति पूर्वी पाकिस्तान की तरह ही बलूचिस्तान और सिंध में है ! पूरे पाकिस्तान में सेना समर्थन से वहां का पंजाबी समाज हर जगह छाया हुआ है ! 1970 में शेख मुजीबुर रहमान को स्पष्ट बहुमत प्राप्त हुआ था परंतु पाकिस्तान के सैनिक तानाशाह प्रधानमंत्री के रूप में केवल पश्चिमी पाकिस्तान के पंजाबी सुबे के किसीव्यक्ति को प्रधानमंत्री बनाना चाहते थे जिसके कारण शेख मुजीब रहमान को प्रधानमंत्री पद नहीं दिया गया !
 
balochistan
 
जिसके परिणाम स्वरूप पूरे पूर्वी पाकिस्तान में अशांति और विद्रोह शुरू हो गयाऔर इस प्रकार बांग्लादेश का निर्माण हुआ ! बांग्लादेश के निर्माण के बाद से ही बलूचिस्तान में भी स्वतंत्रता की मांग और जोर-जोर से उठाई जाने लगी ! 1947 से पहले बलूचिस्तान स्टेट ऑफ कलात यानी क्लात रियासत हुआ करता था ! क्लात का यही दृष्टिकोण था किअंग्रेजों के साथ उनके संबंध भारत की अन्य 560 रियासतों की तरह नहीं है इसलिए उनका मामला अन्य रियासतों से अलग है ! इसके लिए अंग्रेजों द्वारा रियासतों के भारत पाकिस्तान मैं विलय का फार्मूला उन पर लागू नहीं होता ! वास्तव में विभाजन से काफी पहले ही कलात रियासत ने इस संबंध में ब्रिटिश अदालत में अपना पक्ष रखा था कि उसकी प्रकृति एवं स्वरूप अन्य रियासतों से अलग है और इस मामले की अदालत में वकील मोहम्मद अली जिन्ना स्वयं उनके इस पक्ष को रख रहे थे जिन्हें पाकिस्तान का गांधी समझा जाता है ! पाकिस्तान बनने के बाद भी कलात इसी पक्ष पर अड़ा रहा कि वह एक स्वतंत्र देश हैऔर आजादी के समय तक भी उसका तत्कालीन पाकिस्तान की राजधानी कराची में दूतावास था ! आजादी के समय पाकिस्तान के तत्कालीन प्रमुख राजनीतिक दलों ने भी बलूचिस्तान की जनता को यह भरोसा दिया कि बलूचिस्तान एक स्वतंत्र राष्ट्र बना रहेगा ! परंतु पाकिस्तान बनने के कुछ समय बाद ही मुस्लिम लीग और उसके प्रमुख नेता जिन्ना इस वादे से पलट गए और बल प्रयोग से बलूचिस्तान का 1948 में पाकिस्तान मेंविलय कर लिया ! पाकिस्तान के पूरे क्षेत्रफल का 40% हिस्सा बलूचिस्तान में है और वहां के अधिकतर खनिज संसाधन और प्राकृतिक गैस इसी प्रांत में पाई जाती है ! इसके अतिरिक्त पाकिस्तान का प्रमुख ग्वादर बंदरगाह भी बलूचिस्तान में है जिसको चीन ने काराकोरम राजमार्ग से जोड़ दिया है !

चीन के साजा आर्थिक गलियारा (सीपीपैक ) की ज्यादातर आर्थिक योजनाएं भी इसी प्रांत में है ! 1947 से पहले बलूचिस्तान में कबीलाई सरदारों का नियंत्रण था जो संकेतात्मक रूप में आज भी वहां कायम है ! लेकिन अब बलूचिस्तान में शिक्षा के प्रसार के बाद वहां एक पेशेवर वर्ग उभरा है जो बलूचिस्तान के विरुद्ध पंजाबियों के वर्चस्व वाले पाकिस्तान के सौतेले और सामंती व्यवहार के कारण हिंसक और अहिंसक दोनों प्रकार के तरीकों के द्वारा बलूचिस्तान की स्वतंत्रता की मांग उठा रहा है ! 2006 से पहले बुगती कबीले के सरदार नवाबअकबर खान बुगती पाकिस्तान में राष्ट्रीय स्तर के राजनेता थे जो वहां पर राष्ट्रीय स्तर पर बलूचिस्तान में की गई नाइंसाफीयों के विरुद्ध आवाज उठाते थे ! 2006 में उनके विरुद्ध पाक सी ने अभियान छेड़ दिया जिसके कारण नवाब बुगती एक पहाड़ की गुफा में छुप गए ! तत्कालीन पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल मुशर्रफ के आदेशों पर गुफा में घुसकर पाक सेना ने नवाब बुगती को बड़ी बेरहमी से मार दिया था ! उनकी बर्बरतापूर्व हत्या के बाद से बलूचिस्तान में विद्रोह और तेजी से उभराऔर उसके बाद बांग्लादेश की मुक्तिबानी की तरह ही वहां बलूचिस्तान लिबरेशन सेना नाम के संगठन का गठन हुआ ! यह संगठन बलूचिस्तान में बाहर सेआकर बसने वाले पंजाबियों और सिंधियों पर हमले के साथ-साथ पाक सेना तथा चीनी संस्थानों में काम करने वाले चीनियों पर हमले कर रहा है ! इस संगठन का मुख्य उद्देश्य है बलूचिस्तान की पहचान की सुरक्षा तथा इसकी पाकिस्तान के आधिपत्य से आजादी ! इस संगठन की शक्ति और दृढ़ता का अंदाज इसी से लगाया जा सकता है कि अगस्त महीने में इस संगठन ने पाक सेना के कैंप पर हमला करके70 लोगों को मार दिया था जिसमें ज्यादातर सैनिक थे !
इस संगठन के गठन का मुख्य कारण है सबसे ज्यादा प्राकृतिक खनिज और गैस समृद्ध होते हुए भी बलूचिस्तान इस समय पाकिस्तान का सबसे गरीब प्रदेश है !

इसका मुख्य कारण है यहां से मिलने वाले राजस्व तथा खनिजों का उपयोग पाकिस्तान के दूसरे प्रांतो में किया जा रहा है ! सीपैक की आर्थिक योजनाओं और उद्योग धंधों से भी बलोच लोगों को लगता है कि इससे केवल बाहरी लोगों का ही भला होगा और इससे उनका कोई विकास नहीं होने वाला है ! ऊपर दिए गए करण से ही बलोच विद्रोही वहां पर सक्रिय पंजाबियों तथा चीनी कर्मचारियों पर हमले कर रहे हैं ! पाकिस्तान सरकार तथा सेना के सौतेले रवैया के कारण ही बांग्लादेश का निर्माण हुआ और उससे कोई सबक ना लेते हुए पाक सरकारवहीं नीति बलूचिस्तान के साथ भी अपना रही है ! परंतु पाकिस्तानी जनता तथा विश्व को ड्रग भ्रमित करने के लिए पाकिस्तान इस विद्रोह को बांग्लादेश की मुक्तिबाहनी की तरह ही इसके लिए भारत को जिम्मेदार ठहरा रहा है !और कह रहा है कि बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी को धन और हथियार भारत ही दे रहा है ! पाकिस्तान के पकतुनवा प्रांत में लंबे समय से तहरीके- तालिबानपाकिस्तान वहां पर पाक सेना पर हमले कर रहा है जिसमें ज्यादातर पख्तून है जिनके घर बलूचिस्तान में है ! इसलिए बी एल ए और टीटीपी दोनों एक दूसरे को पूरा सहयोग कर रहे हैं !

टीटीपी के पास ज्यादातर हथियार अमेरिकी है जिन्हें अमेरिका ने अफगानिस्तान में रूसी सेना से लड़ने के लिए पाकिस्तान के आतंकी संगठनों को दिए थे और यही हथियारबलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी भी इस्तेमाल कर रही है ! पाए गए हथियारों से यह पूरी तरह साबित हो जाता है कि यह हथियारअमेरिकी ही हैं परंतु पाकिस्तानअपनी आदत के मुताबिक इसके लिए भी भारत को ही दोष दे रहा है !

बलूचिस्तान की उपेक्षा के कारण शुरू हुए विद्रोह को समझकरउसका समाधान करने की बजाय पाक सरकार इसके बदले के नाम पर भारत के जम्मू कश्मीर में आतंकवाद चला जिसको पाकिस्तान की आ- स-ई नियंत्रित करती रही है ! जब जब भी जम्मू कश्मीर में भारत सरकार विकास के लिए कोई कदम उठाती है तब- तब पाकिस्तान यहां पर आतंकवाद को बढ़ावा देने लगता है ! अभी जम्मू कश्मीर होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए यहां पर पाक समर्थित आतंकवादी हमले बढ़ गए हैं ! इस बार पाकिस्तान विश्व को यह दिखाना चाहता है कि कश्मीर घाटी के साथ-साथ जम्मू क्षेत्र के निवासी भी भारत से अलग होना चाहते हैं इसलिए इस बार लोकसभा चुनाव के समय से हीपाकिस्तानी आतंकी हमले का केंद्र जम्मू और इसके आसपास का क्षेत्रीय रहा है! इसमें भी पंजाब से लगते हुए कठूवा मेंइनकी गतिविधियां काफी बढ़ गई है ! परंतु भारतीय सेना अपने दृढ़ निश्चय से आतंकवाद पर नियंत्रण कर रही है !इनआतंकी गतिविधियों में में सहयोग देने वाले वहां के निवासियों की पहचान करकेउन्हें कानून के हवाले कर रही है ! इस सबके बावजूद पाकिस्तान की सरकार दिखावे के लिए रिश्तो को सामान्य करने के लिएआपसी बातचीत के प्रस्ताव रख रही है जिसका खंडन भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने ने कड़े शब्दों में कर दिया है ! उन्होंने कहा है कि जब तक पाकिस्तान आतंकी गतिविधियों को बंद नहीं करेगा तब तक उसके साथ कोई बातचीत नहीं होगी !

भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के समय सबसे उपजाऊ जमीनऔर प्राकृतिक संसाधन पाकिस्तान के हिस्से में आए थे जिनका सदुपयोग करकेआज पाकिस्तान विश्व की आर्थिक शक्ति के रूप में उभर सकता था ! परंतुदुर्भाग्य से वहां पर1947 से ही पाकिस्तान सेना ने सत्ता पर कब्जा करना शुरू कर दिया जिसके अंतर्गत ही पाक सेना ने अक्टूबर 1947 मेंकश्मीर पर हमला करके भारत- पाकिस्तान के बीच मेंकश्मीर विवाद को खड़ा कर दिया था ! जो अंग्रेजों के बनाए हुए रियासतों के विलय के कानून के मुताबिककोई विवाद है ही नहीं ! नियम कानून के अनुसार जम्मू कश्मीर का अक्टूबर 1947 में भारत में विलय हो गया था ! इस कानूनी प्रक्रिया के बाद भीबिना किसी आधार के पाकिस्तान जम्मू कश्मीर को एक विवादित क्षेत्र बता रहा है ! इस विवाद के द्वारा पाकिस्तान की सेना वहां की जनता को यह दिखाना चाहती है कि भारत उनका सबसे बड़ा शत्रु है जो उचित नहीं है !
पाकिस्तान के इन आंतरिक तनावों के कारण वहां की अर्थव्यवस्था बुरी तरह से बर्बाद हो चुकी है ! जिसके कारण आज वहां पर भुखमरी चारों तरफ फैली हुई है! जबकिवह अपने पड़ोसी भारत सेअच्छे संबंध बनाकरअपने देश की प्रगति भारत की तरह ही कर सकता थाऔरएक आर्थिक शक्ति बन सकता था जैसा की बांग्लादेश1971 से अब तक करता रहा है औरउसकी गिनतीएक प्रगतिशील देश में हो रही थी ! परंतुवहां की सेना कीसामंती प्रवृत्तियों के कारणआज पाकिस्तान की यह दुर्गति हो रही है !

Shivdhan Singh

Service - Appointed as a commissioned officer in the Indian Army in 1971 and retired as a Colonel in 2008! Participated in the Sri Lankan and Kargil War. After retirement, he was appointed by Delhi High Court at the post of Special Metropolis Magistrate Class One till the age of 65 years. This post does not pay any remuneration and is considered as social service!

Independent journalism - Due to the influence of nationalist ideology from the time of college education, special attention was paid to national security! Hence after retirement, he started writing independent articles in Hindi press from 2010 in which the main focus is on national security of the country.