बांग्लादेश को आजादी और उसका नाम निर्माण करके भी भारत वहां पर हिंदू अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को सुनिश्चित ना कर सका

NewsBharati    16-Aug-2024 10:11:34 AM   
Total Views |
बांग्लादेश में हिंसा और विरोध प्रदर्शन के चलते इस्तीफा देकर भारत आई शेख हसीना ने पूरे घटनाक्रम पर पहली बार चुप्पी तोड़ी है और हसीना ने आरोप लगाया है कि उसकी सरकार को गिरने के पीछे अमेरिका का हाथ है ! उन्होंने कहा कि अमेरिका उनसे सेंट मार्टिन दीप को मांग रहा था जो बंगाल की खाड़ी में स्थित है ! इसके द्वारा अमेरिका बंगाल की खाड़ी में अपना वर्चस्व स्थापित करना चाहता था अमेरिका कि इस मांग को हसीना ने नहीं माना जिसके कारण अमेरिका ने पाकिस्तान की आइएसआई के द्वारा बांग्लादेश में मुस्लिम कट्टरपंथियों के द्वाराअशांति फैलाई ! इसको जनता की आवाज दिखाने के लिए वहां के विद्यार्थियों को इस विद्रोह में आगे रखा ! अमेरिका ने बांग्लादेश के लिए कोई ऐसा कार्य नहीं किया है जिसके कारण उसे यह दीपअमेरिका को देना चाहिए था !
 
Bangladeshi Hindus

परंतु यहां पर यह विचारणीय है की भारतवर्ष ने सन 1971 में बांग्लादेश की स्वतंत्रता के लिए पाकिस्तान से युद्ध कियाऔर16 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान को बुरी तरह परास्त करके बांग्लादेश की स्वतंत्रता की घोषणा की ! इतना सब होने के बावजूद भी मानवता की रक्षा करने के लिए भारत वहां पर हिंदू अल्पसंख्यकों की रक्षा के लिए कोई प्रावधान नहीं कर सका और बांग्लादेश को आजादी देने के बाद भारत ने अपनी सेना को बांग्लादेश से केवल 15 दिन बाद ही वापस बुला लिया !

1969 पाकिस्तान मैं जनरल याहीया खान ने मार्शल लॉ लगाते हुए सैनिक शासन घोषित कर दिया ! उसके बाद पिछले काफी समय से वहां पर जो आम चुनाव नहीं हुए थे उनकी घोषणा 1970 में की ! इन चुनावों में तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान के शेख मुजीबुर रहमान की पार्टीआवामी लीग को पाकिस्तान की राष्ट्रीय असेंबली में बहुमत प्राप्त हुआ जिसके द्वारा वे वहां के प्रधानमंत्री घोषित किए जाने चाहिए थे ! परंतु पश्चिमी पाकिस्तान के तानाशाह ने ने मुजीबुर रहमान को प्रधानमंत्री पद नहीं दिया ! इसके बाद पूर्वी पाकिस्तान मेंअशांति फैल गई और इसके कारण वहां पर चारों तरफ धरने प्रदर्शन होने लगे !

 इनको दबाने के लिए सैनिक तानाशाह ने पाक सेना के लेफ्टिनेंट जनरल टिक्का खान को पूर्वी पाकिस्तान में सेना प्रमुख नियुक्त किया तथा उन्हें इस अशांति को दबाने का आदेश दिया ! टिक्का खान ने सेना के द्वारा पूर्वी पाकिस्तान में चारों तरफअपना भय और आतंक फैलाने के लिए वहां की जनता पर तरह-तरह के अत्याचार करने शुरू कर दिए तथा स्त्रियों का बलात्कारकरना भी शुरू कर दिया ! इसमें भी हिंदुओं के विरुद्ध और भी ज्यादा सख्ती की जाती थी ! पाकिस्तानी सेना ने इसमें सहयोग देने के लिए रजाकार नाम का एकअर्ध सैनिक बल पूर्वी पाकिस्तान के कट्टरपंथियों का बनाया ! यह रचाकर भी पाक सेना की तरह ही वहां के निवासियों पर अत्याचार और स्त्रियों का बलात्कार करते थे !

 इस सब के कारण पूर्वी पाकिस्तान के सताए हुए नागरिकों ने भारत के सीमावर्ती राज्यों बंगाल और असम में शरणार्थियों के रूप मेंशरण लेनी शुरू कर दी जिनकी संख्या एक करोड़ तक पहुंच गई ! इस समय भारत की आर्थिक दशा अच्छी नहीं थी परंतु फिर भी भारत सरकार ने इन शरणार्थियों के भरण पोषण की व्यवस्था की ! पाक सेना और रजाकारों ने पूर्वी पाकिस्तान की तीन से चार लाख महिलाओं के साथ बलात्कार किया था ! इस सब को देखते हुएपूरे विश्व में तथा खासकर भारत की जनता मेंआवाज उठाई कि इस स्थिति में पूर्वी पाकिस्तान जनता को न्याय दिलवाने के लिए भारत को सैनिक कार्रवाई पाकिस्तान के विरुद्ध करनी चाहिए ! इसको देखते हुएभारत सरकार नेअपनी सेना को पूर्वी पाकिस्तान की सीमाओं की तरफ भेजना शुरू कर दिया!!

पाकिस्तानी सेना की इन हरकतों के कारण पूर्वी पाकिस्तान में मुक्ति वाहिनी नाम का एक संगठन वहां के निवासियों ने बनाया जिसका उद्देश्य पूर्वी पाकिस्तान को पाकिस्तान की गुलामी से मुक्ति दिलाना था! मुक्ति वहनी ने भारतीय सेना के साथ मिलकरपाकिस्तान सेना का मुकाबला किया ! इसको देखते हुए3 दिसंबर 1971 को पाक ने भारत के आठ हवाई अड्डों पर हवाई हमला करके भारत के साथ युद्ध की औपचारिक रूप से घोषणा कर दी ! इसके बाद उत्तरीऔरपूर्वी सीमाओं परभारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध शुरू हो गया ! इस युद्ध मेंभारतीय सेना ने जनरल मानेक शाह के नेतृत्व में उत्साह और वीरता से पाकिस्तान सेना को हर मोर्चे जिसमें पश्चिमी तथा पूर्वी सीमा सम्मिलित थी पर बुरी तरह से हराया ! इसके पश्चात 16 दिसंबर 1971 को पाकिस्तानी सेना ने ढाका में भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण करते हुए अपने हथियार डाल दिए ! इसके बाद पूर्वी पाकिस्तान में मौजूद 93 हजार पाकिस्तानी सैनिकों तथा उनके कमांडर जनरल नियाजी को बंदी बना लिया !इस युद्ध में 3000 भारतीय सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए तथा 12000 घायल हुए ! इसके अलावा इस युद्ध में भारत की एक पंचवर्षीय योजना पर होने वाले धन के बराबर धन खर्च हुआ जबकि उस समय देश आर्थिक तंगी से जूझ रहा था !

यह धन देश की विकास योजनाओं पर खर्च किया जाना था ! परंतु मानवता की पुकार के कारण भारत सरकार ने यह धन बांग्लादेश के निर्माण पर खर्च किया !

युद्ध समाप्ति के बाद भारत सरकार और खासकर स्वर्गीय इंदिरा गांधी ने विश्व स्तर पर अपनी लोकप्रियता बढ़ाने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ की मध्यस्थता के बगैर ही बांग्लादेश का निर्माण कर दियाऔरयुद्ध समाप्ति के 15 दिन बाद हीअपनी सेना को बांग्लादेश से वापस बुला लिया ! यहां पर यह विचारणीय है कि पिछले लंबे समय से पूरे पाकिस्तान में जिसमें बांग्लादेश भी सम्मिलित है के अंदर हिंदू अल्पसंख्यकों परतरह-तरह की अत्याचार हो रहे थेजिसके कारणया तो वह पलायन कर रहे थेऔर यावहधर्म परिवर्तन के लिए मजबूर हो रहे थे ! इस सब को वहां की सरकार मुक़ दर्शक बनकर देख रही थी !

 आजादी के समय से ही पूरे पाकिस्तान में सांप्रदायिक दंगे हो रहे थे ! इनमें 1946 में बांग्लादेश में स्थित नोहा खाली नाम के स्थान पर एक भयानक सांप्रदायिक दंगा हुआ जिसमें मुसलमानों ने ने हिंदुओं की बड़ी संख्या में हत्याएं की थी और उनकी महिलाओं के साथ बलात्कार और उनका अपहरण किया था ! इनदंगों को रोकने के लिए स्वयं महात्मा गांधी नोहा खाली गए थे परंतु उसके बावजूद भी इन दंगों को नहीं रोका जा सका ! तभी से पूरे पाकिस्तान में हिंदू अल्पसंख्य कों कोप्रताड़ित किया जा रहा है और उन पर तरह के अत्याचार किए जा रहे हैं जिसके कारण या तो वह पलायन कर रहे हैं या अपना धर्म परिवर्तन कर रहे हैं ! 1947 में पश्चिमी पाकिस्तान में हिंदू वहां की आबादी का 18%तथा बांग्लादेश में 25% थे परंतु आज पाकिस्तान में आबादी घटकर एक परसेंट तथा बांग्लादेश में केवल 5% रह गई है !

इसको देखते हुए1950 में एक हिंदू श्री जगन्नाथ मंडल ने जो उसे समय पाकिस्तान के प्मंत्री मंडल में थे उन्होंने मंत्रिमंडल से अपना त्यागपत्र दे दिया था ! इसी क्रम मेंअभी तक इन दोनों देशों में हिंदुओं पर किए जाने वाले अत्याचारों की खबरें आती रहती हैं !इतना सब होने के बाद भी बांग्लादेश को स्वतंत्रता दिलानेऔर उसका निर्माण करने में अपने 3000 सैनिकों की कुर्बानी और अपनी एक पंचवर्षीय योजना का पूरा धन खर्च करने के बाद भी भारत सरकार बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए कोई पुख्ता इंतजाम नहीं कर पाई ! न्याय और मानवता के आधार पर बांग्लादेश के संविधान में उसके निर्माण के समय ऐसे प्रावधान किये जा सकते थे जिससे वहां की कानून व्यवस्था हिंदू अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित कर सके !

 उस समय बांग्ला देश की सरकार भारत की हर शर्त मानने के लिए तैयार थी क्योंकि भारत ने ही उसे पाकिस्तान की गुलामी से मुक्ति दिलाई थी ! पूरे विश्व के इतिहास में ऐसा कोई उदाहरण नहीं है जहां पर किसी देश ने दूसरे देश को स्वतंत्रता बांग्लादेश की तरह दिलाई हो !

द्वितीय विश्व युद्ध में अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा नागासाकी पर परमाणु बम गिरा कर जापान को अपने कब्जे में ले लिया था ! अमेरिका ने इसके बाद वहां पर अपनी सत्ता तो कायम नहीं की परंतु जापान के साथ समझौता किया जिसके अनुसार जापान अगले 40 साल तक अपनी सेना नहीं रख सकता था ! इसी प्रकार की नीति जर्मन इत्यादि देशों के लिए भी लागू की गई थी ! भारत ने जिस देश को लंबे शोषण तथा गुलामी से मुक्त कराया उसके साथ ऐसा कोई प्रावधान नहीं किया जिसके अनुसार उनके शासन व्यवस्था तथा कानून में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के प्रावधान हो !

इसके अलावा भारत ने बांग्लादेश की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिएबहुत से आर्थिक अनुबंध बांग्लादेश के साथ किये जिन के द्वाराआज बांग्लादेश दक्षिण एशिया की एक उभरती आर्थिक शक्ति बन रहा है ! इसके अतिरिक्त सीमाओं पर भी भारत ने उसे सुरक्षा प्रदान की की ! पूरी बंगाल की खाड़ी में भारत की नौसेना अपनी समुद्री सीमाओं की सुरक्षा के साथ-साथ बांग्लादेश की सीमाओं की सुरक्षा भी कर रही है !परंतुआज उसी बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर तरह-तरह के अत्याचार हो रहे हैंऔर उनकी स्त्रियों का बलात्कार किया जा रहा है जिससे मानवता शर्मसार हो रही है !

इस समय भारत की सरकार को चाहिए की जो भी सरकारबांग्लादेश मेंआती है उसे साफ-साफ शब्दों मेंअल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए प्रबंध करने के लिए कहे अन्यथाउसे बता देना चाहिए कि यदि वह ऐसा नहीं करेगी तोभारत अपने आर्थिक संबंध बांग्लादेश सेसमाप्त कर देगा औरउसके विरुद्ध संयुक्त राष्ट्र संघ में आवाज उठाकर उसको भी पाकिस्तान की तरह एक आतंकी देशघोषित करवा सकता है !

जिसके द्वारा बांग्लादेश की भी आर्थिक स्थिति पाकिस्तान की तरह हो सकती है ! परंतु यह सब होगा तभी जब भारत सरकार बांग्लादेश की सरकार को इसके लिए बाद्य करेगी ! इसराइल एक छोटा सा देश है परंतु पूरे विश्व के यहूदियों को वह संरक्षण उपलब्ध करा रहा है और संरक्षक के रूप मेंकार्य कर रहा है क्या भारत भी इस प्रकार हिंदुओं की रक्षा कर सकता है !परंतु हमारे देश में तो हिंदुओं के हित की बात धर्मनिरपेक्षता की आड़ मेंनहीं की जाती है !परंतु भारतवर्ष में हीअल्पसंख्यकों के हित की बात करनाअपने वोट बैंक को सुरक्षित करना माना जाता है ! बांग्लादेशऔर पाकिस्तान की घटनाओं को देखते हुएअब समय आ गया हैजब भारत सरकार को मानवता के नाते हिंदुओं केहितों की रक्षा के लिए भी विश्व पटल पर प्रयत्न करने चाहिएऔर इसके साथ-साथ अपने देश में भी धर्मनिरपेक्षता कोअसलियत में लागू किया जाना चाहिए !

Shivdhan Singh

Service - Appointed as a commissioned officer in the Indian Army in 1971 and retired as a Colonel in 2008! Participated in the Sri Lankan and Kargil War. After retirement, he was appointed by Delhi High Court at the post of Special Metropolis Magistrate Class One till the age of 65 years. This post does not pay any remuneration and is considered as social service!

Independent journalism - Due to the influence of nationalist ideology from the time of college education, special attention was paid to national security! Hence after retirement, he started writing independent articles in Hindi press from 2010 in which the main focus is on national security of the country.