स्थाई शांति के लिए सीमा का आदर जरूरी–प्रधानमंत्री का स सी ओ मीटिंग में चीन को संदेश

NewsBharati    08-Jul-2024 09:59:04 AM   
Total Views |
कजाकिस्तान में स सी ओ मीटिंग के दौरान भारत के विशेष मंत्री श्री जयशंकर ने चीनी विदेश मंत्री वाङ यी से कहा कीभारत और चीन के बीच में स्थाई शांति के लिए वास्तविक नियंत्रण रेखा का का अदर सबसे पहले जरूरी है ! 2020 में चीनी चीनी सैनिकों की घुसपैठ के बाद से ही पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में तनाव की स्थिति बनी हुई है जिसके कारण दोनों देशों की सेना इस पूरे क्षेत्र में आमने-सामने है ! जिसके कारण लगातार दोनों के बीच में छुटपुट झड़पों की खबरेंआती रहती है और हो सकता है यह टकराव एक दिन युद्ध में बदल जाएं ! इस सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी का भाषण भी पढ़ा गया था जिसमें प्रधानमंत्री नेकहा है कि एक दूसरे के क्षेत्र की संप्रभुताकी रक्षा की जानी चाहिए और उनका इशारा सीधा-सीधा चीन की तरफ था जिसने भारत का पूरा अकसाई चिन क्षेत्रअपने कब्जे 1955 से ले रखा है !

PM Modi message to China at SCO meeting

इसके अलावा चीनी सेना बार-बार भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ करती रहती है ! भारत और चीन के बीच में2010 के समझौते में यह साफ-साफ लिखा है की दोनों एक दूसरे की संप्रभुता का आदर करेंगे ! परंतु चीन की करनी और कथनी में बहुत अंतर है ! इसी को देखते हुए भारत के विदेश मंत्रालय का दूसरी बार कार्यभार संभालते ही श्री एस जयशंकर ने भारत चीन सीमा विवाद को सुलझाने कोअपनी प्राथमिकताओं में सबसे ऊपर रखा है !भारत और चीन के बीच में तनाव का मुख्य कारण है1949 से लेकर आज तक अंतर्राष्ट्रीय सीमा का निर्धारण नहीं होना !अंग्रेजी शासन के समय1916 मेंअंग्रेजी शासको ने सीमा निर्धारण के लिए भारत, तिब्बतऔर चीन के बीच एक मीटिंग शिमला की थी ! उस समय तिब्बत एक स्वतंत्र देश थाऔर उसकी सीमा भारत के साथ लगती थी ! यह सीमा निर्धारण की मीटिंग काफी लंबे समय तक चलती रही परंतु चीन ने इस सीमा निर्धारण को कभी मानयता नहीं दी !

परंतु इस मीटिंग में भारत और तिब्बत के बीच में सीमा निर्धारण पर समझौता हो गया था और इस सीमा निर्धारण को मैकमोहन रेखा का नाम दिया गया था जो आज भी भारत और तिब्बत के बीच में सीमा रेखा के रूप में मानी जाती है !परंतु चीन ने अभी तक इसको मान्यता प्रदान नहीं की है और इसी कारण लद्दाख से लेकरअरुणाचल प्रदेश तक पूरी सीमा को चीन ने विवादित माना हुआ है ! बार-बार चीन अरुणाचल प्रदेश को भी दक्षिणी तिब्बत के नाम से बुलाता है ! जिसके कारण भारत और चीन के बीच में तनाव बढ़ता जा रहा है ! इसी कारण बार-बार दोनों देशों की सेनाओ के बीच में गलवान जैसी झड़प होती रहती हैं ! इस सब को देखते हुए यह निश्चित है कि जब तक भारत और चीन के बीच मेंअंतर्राष्ट्रीय सीमा का निर्धारण नहीं होगा तब तक दक्षिण एशिया की इन दोनों शक्तियों के बीच में शांति स्थापित नहीं हो सकती और भारत चीन सीमा पर तनाव की स्थिति बनी रहेगी ! इसी संदर्भ में चीन के साथ विवाद सुलझाने के लिए श्री जयशंकर को लेफ्टिनेंट जनरल परनायक जो भारतीय सेना की उतरी कमान के जीओओ सी एन सी रह चुके हैं, उनके विचारों पर भी ध्यान देना चाहिए !

जनरल परनायक सेना से सेवनित होने के बाद अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल हैंऔर वह यहां पर भी इस सीमा के बारे में पूरी तरह से सजग हैं ! इसी संदर्भ मेंअभी कुछ समय पहले दिल्ली में प्रसिद्ध जनरल पी एस भगत व्याख्यान माला में जनरल परनायक ने संबोधित करते हुए कहा कि चीन के साथ भारत के सीमा संबंधी समझौतो में समय और परिस्थितियों के अनुसार बदलाव की आवश्यकता है अन्यथा चीन बार-बार सीमा उल्लंघन करता रहेगाऔर गलवान जैसी झड़पे सीमा पर होती रहेगी ! जैसा की सर्वविदित है चीन 1951 से ही भारतीय सीमा में घुसपैठ कर रहा है और अपनी विस्तारवादी नीति कोअपनाते हुए पड़ोसी देशों के क्षेत्त्रो पर कब्जा कर रहा है ! इस नीति के द्वारा चीन ने 16 पड़ोसी देशों की जमीनों पर अवैध कब्जे कर लिए है ! 1951 में तिब्बत पर कब्जा करने के बाद चीन ने एक सड़क जी- 21 का निर्माण किया जिसके द्वारा उसने चीन के मुख्य भाग को तिब्बत की राजधानी लाहसा से जोड़ा ! इस सड़क का काफी हिस्सा लद्दाख के अकसाईचिन से गुजरता है !परंतु इसकी सूचना भारत सरकार को 1954 में चल सकी इसके बाद भी इसे सार्वजनिक नहीं किया गया ! इसके बाद 1954 में फिर भी पंडित नेहरू ने चीन के साथ पंचशील समझौता किया जिसका नारा था हिंदी चीनी भाई-भाई !

भारत सरकार इस समझौते का अक्षरस पालन करती रही परंतु चीन ने इस समझौते को कभी नहीं माना ! और इसी क्रम में पहले उसने भारत के आक्साइचिन पर कब्जा किया और उसके बाद 1962 में अचानक भारत पर हमला कर दिया ! जिसका भारतीय सेना मुकाबला नहीं कर सकी जिसके कारण चीन की सेनाअक्साईचिन से आगे भारतीय सीमा में अंदर आ गई ! चीन की घुसपैठ की हरकतों को देखते हुए1958 में तत्कालीन सेना प्रमूख जनरल थिमैया ने पंडित नेहरू से सेना की तैयारी के लिए संसाधनो की मांग की जिसको पंडित नेहरू ने पंचशील समझौते की आड़ मेंठुकरा दिया ! नेहरू के सेना और देश की रक्षा के प्रति इस रवैया को देखते हुए जनरल थीमैया ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था ! इसके बाद चीन की नजर सिक्किम पर टिक गई और उसने 1967 में सिक्किम पर कब्जा करने के लिए नाथुला पर हमला कर दिया ! सिक्किम पर कब्जा करने के बाद चीन की उत्तरी

बंगाल में स्थित सिलिगुड़ी कॉरिडोर पर कब्जा करने की योजना थी ! यह कॉरिडोर पूरे भारत को उत्तर पूर्वी राज्यों से जोड़ता है ! उस समय सेना की सिक्किम में तैनात 17 डिविजन के जीओसी मेजर जनरल सगत सिंह थे जिन्होंनेअपने अदम साहस और दृढ़ निश्चय से चीनी हमले का मुकाबला किया और चीनियों को बुरी तरह से पीछे धकेल दिया ! हालांकि इसके लिए उन्हें दिल्ली से सहमति नहीं मिली थी परंतु फिर भी उन्होंने चीन की चाल को नाकाम कर दिया ! इसी क्रम में चीन ने1986 मेंअरुणाचल प्रदेश के सोम द्रोङ्ग चु नाम की घाटी में हेलीपैड बनाने की कोशिश कीऔर इस कोशिश को भी भारतीय सेना ने जनरल सुंदर जी की कमान में नाकाम किया ! चीन की इन हरकतों को देखते हुए दोनों देशों के बीच में शांति स्थापना के लिए बातचीत के दौर शुरू हुएऔर इसके परिणाम स्वरूप1996 में विश्वास बहालीऔर सीमा पर शांति के लिए एक समझौता किया गया जिसके अनुसार दोनों देशों के सैनिक सीमाओं के बीच में नोमैंस लैंड यानी सीमाओं के बीच वाली जमीन पर बिना हथियारों के ग्रस्त करेंगे !

परंतु जून 2020 में पूरे विश्व ने देखा की किस प्रकार चीन ने इस समझौते की शर्तों को नकारते हुए गलवान में भारतीय सैनिकों पर कटीले तार लगे हुए लाठी डंडों से हमला किया ! गलवान क्षेत्र में चीनी सेना कुछ अवैध निर्माण कर रही थी जिसके विवाद को सुलझाने के लिए दोनों सेनाओ की एक मीटिंग इस क्षेत्र में निर्धारित की गई थी ! इसके लिए दोनों सेना के दल यहां पर पहुंचे !1996 के समझौते के अनुसार भारतीय सैनिक बगैर हथियारों के मीटिंग स्थल पर पहुंचे परंतु चीनी सैनिक छुपा कर कटीले तार लगे हुए डंडे लेकर आए ! मीटिंग स्थल पर पहुंचते ही चीनी सैनिकों ने लाठी डंडों से भारतीय सैनिकों पर हमला कर दिया ! जिसका भार तीय सैनिकों ने वीरता से मुकाबला कियाऔर इस हमले में दोनों देशों के काफी सैनिक मारे गए ! इस प्रकार देखा जा सकता है की किस प्रकार चीन1996 केविश्वास बहाली के समझौते का सरेआम उल्लंघन कर रहा है! \इसके बाद पूरे विश्व मेंआर्थिक विकास का युग आयाऔर इसी के द्वारा विश्व में अंतर्देशीय व्यापार को बढ़ावा देने के लिए प्रसिद्ध गैट नाम का समझौता किया गया !

इसके अनुसार भारत चीन के बीच में व्यापारिक गतिविधियां शुरू हो गई !इनको देखते हुए फिर से दोनों के बीच सीमा संबंधी तनाव को दूर करनेऔर विश्वास बहाली के लिए कई मिटेंगे हुई और 2010 में एक समझौता किया गया ! इस समझौते की मुख्य भावना दोनों के बीच में विश्वास बहाली था ! इसकी मुख्य शर्ते इस प्रकार हैं--- दोनों पड़ोसी देश पंचशील की पांच शर्तों को मानते हुए एक दूसरे के साथ शांति से रहेंगे, दोनों एक दूसरे के सामरिक और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को ध्यान में रखते हुए एक दूसरे की राष्ट्रीय भावनाओं और कठिनाइयों का पूरा ध्यान रखेंगे,सीमावर्ती क्षेत्र में सीमाओं के निर्धारण भौगोलिक संरचना के आधार पर किया जाएगा,एक दूसरे की सीमा में हथियारों तथा नशीले पदार्थों की तस्करी को रोका जाएगा और सीमावर्ती क्षेत्रों की आबादी के हितों का ध्यान रखा जाएगा ! उपरोक्त समझौते की शर्तों का मुख्य उद्देश्य विश्वास बहाली और सीमा के विवादित मुद्दों को सुलझाते हुए शांति स्थापना था !
!
1962 के भारत- चीन युद्ध के बाद से आज तक सीमा पर सैनिक टकरावों से देखा जा सकता है कि चीन समझौता की शर्तों के कोई परवाह नहीं कर रहा है ! बल्कि वह ऐतिहासिक पृष्ठभूमि का नाम देखकर अरुणाचल प्रदेशऔर पूरे लद्दाख क्षेत्र को अपना बनाने की कोशिश कर रहा है ! पड़ोसी के साथ शांतिपूर्ण पूर्वक रहने के पंचशील के सिद्धांत को धता बताकर चीन ने भारत के पूरे उत्तर पूर्वी राज्यों में मणिपुर, नागालैंड इत्यादि में आतंकवादी संगठनों को तैयार कियाऔर इन्हें हर प्रकार की सैनिक सहायता उपलब्ध कराई ! जिसका उद्देश्य पूर्वी राज्यों को भारत से अलग करना था ! परंतु भारतीय सेना और इसके केंद्रीय सशस्त्र बलों ने इन आतंकवादी संगठनों का बहादुरी से मुकाबला करते हुए इनका सफाया किया ! अपने इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए चीन ने सिलिगुड़ी कॉरिडोर पर कब्जा करने के लिए दो बार प्रयास किए हैं पहले1967 में सिक्किम पर कब्जा करके वह सिलिगुड़ी कॉरिडोर पर कब्जा करना चाहता था इसके बाद 2017 में उसने भूटान भारतऔर चीन की सीमा पर स्थित ढोकलाम नाम के स्थान पर एक सड़क बनाने की कोशिश की जिसका मुख्य उद्देश्य इसी प्सिलिगुड़ी कॉरिडोर पर कब्जा करना था ! परंतु भारतीय सेना ने इसका दृढ़ता से विरोध कियाऔर 70 दिन के तनाव के बाद चीन ने इस सड़क निर्माण को बंद किया ! गलवान की घटना के बाद से चीन ने इस क्षेत्र मेंअपनी सीमा के पास सैनिक छावनिया और तरह-तरह के निर्माण कार्य शुरू कर दिए हैं जिनके द्वारा इस क्षेत्र में तनाव की स्थिति और भी गंभीर हो गई है !

उपरोक्त विवरण सेयह स्पष्ट हो जाता है कि1949 से लेकर अब तक चीन ने भारत के साथ अपनी सीमा का निर्धारण नहीं किया है जिसके करण चीन भारत के क्षेत्र में घुसपैठ करता रहता है ! इसी प्रकार उसने 38000 वर्ग किलोमीटरअक्साई चिन पर कब्जा किया था ! इसके अलावा भी उसकी नजर पुराने नेफ़ा और आज केअरुणाचल प्रदेश पर है! इसलिए यदि चीन के साथ स्थाई शांति स्थापित करनी है तो इसके लिए चीन के साथ अंतरराष्ट्रीय सीमा का निर्धारण सर्वप्रथम करना होगा ! चीन द्वारा पूर्व में समझौता के उल्लंघन को देखते हुए इस सीमा निर्धारण में इस प्रकार के प्रावधान किए जाने चाहिए जिससे चीन दोबारा सीमा को उलंगन करने की कोशिश न कर सके ! इसलिए संयुक्त राष्ट्र संघ को भारत और चीन के बीच में सीमा निर्धारण की बातचीत में सम्मिलित किया जाना चाहिए और दोनों के बीच स्थाई शांति के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ के शांति दल को कुछ समय के लिए भारत चीन सीमा पर तैनात किया जाना चाहिए !

Shivdhan Singh

Service - Appointed as a commissioned officer in the Indian Army in 1971 and retired as a Colonel in 2008! Participated in the Sri Lankan and Kargil War. After retirement, he was appointed by Delhi High Court at the post of Special Metropolis Magistrate Class One till the age of 65 years. This post does not pay any remuneration and is considered as social service!

Independent journalism - Due to the influence of nationalist ideology from the time of college education, special attention was paid to national security! Hence after retirement, he started writing independent articles in Hindi press from 2010 in which the main focus is on national security of the country.