सिविल सेवा चयन प्रक्रिया में बदलाव और सिविल सेवा के अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करने की आवश्यकता

NewsBharati    30-Jul-2024 11:37:35 AM   
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सिविल सेवा की अधिकारी पूजा बेडेकर जो अभी प्रोबेशन पर हैं उनके व्यवहार और हाब-भाव ने देश में सिविल सेवा की चयन प्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं की कैसे एक अभी-अभी भर्ती किया हुआ अधिकारी प्सामंती व्यवहार कर रहा है ! इससे अंदाजा लगाया जा सकता है की सेवा के दौरान यह किस प्रकार का व्यवहार देश की जनता के साथ करेगी ! देश में संघ लोक सेवा आयोग प्रथम श्रेणी के राजपत्रित अधिकारियों जिनमें भारतीय प्रशासनिक सेवा, पुलिस सेवा, विदेशसेवा तथा भारतीय राजस्व सेवा इत्यादि की पूरी भर्ती प्रक्रिया को करती है ! इसके साथ साथ भारतीय सेना के लिए भी अधिकारियों की भर्ती के लिए लिखित परीक्षा संघ लोक सेवा आयोग ही करता है ! परंतु लिखित परीक्षा के बाद उम्मीदवार की योग्यता सेना के लिए सर्विस सिलेक्शन बोर्ड द्वारा की जाती है जो सेना के लिए उपयुक्त विशेषता रखने वाले उम्मीदवार काचयन करता है !सर्विस सिलेक्शन बोर्ड उम्मीदवार को 5 दिन तक सेना के कैंप में रखकर उसकी नेतृत्व क्षमता, ईमानदारी तथा व्यक्तित्व की जांच मनोवैज्ञानिक और जमीन पर जांच करने वाले अधिकारी (जीटीओ ) तथा व्यक्तित्व का परीक्षण विशेषज्ञओ द्वारा करता है !


ias pooja khedkar

सर्विस सिलेक्शन बोर्ड द्वारा चयनित प्रत्याशी को ही सेना में अफसर बनने का मौका दिया जाता है ! परंतु देश की व्यवस्था के प्रमुख अंग सिविल सेवा अधिकारियों की इस सेवा के लिए योग्यता को सर्विस सिलेक्शन बोर्ड जैसी किसी प्रणाली से नहीं जांचा जाता है ! श्री अरुण भाटिया जो स्वयं एक भूतपूर्व आईएएस अधिकारी रह चुके हैं ! इन्होंने टाइम्स नाउ टी वी चैनल पर इस विषय पर हुई चर्चा मेंअपने विचार रखें ! उनके अनुसार भारत की ब्यूरोक्रेसी पूरी तरह से भ्रष्ट हो चुकी हैऔर यहां पर भ्रष्टाचार संस्थागत हो गया है !जहां पर भ्रष्ट कार्यों की फाइल को भी अधिकारी एक दूसरे के लिए आगे बढ़ा देते हैं ! इसके उदाहरण है देश में हुआ कोयला घोटाला 2G तथा ऐसे बहुत से घोटाले है जिनमें देश का हजारों करोड़ का धन रिश्वत के रूप में इसकी रक्षा और सदुपयोग करने वाले सिविल सेवा अधिकारियों और उनकी ही मदद से नेताओं की जेब में चला जाता है ! भाटिया जी के अनुसार लोक सेवा आयोग मुख्य रूप से प्रत्याशी की लिखित योग्यता के आधार पर उसका चयन कर लेता है जिसमें केवल पढ़ाई में अच्छा करने वाले प्रत्याशी उत्तीर्ण हो जाते हैं चाहे उनके अंदर सिविल सेवा के लिए विशेष योग्यता जैसे जन कल्याण के लिए संवेदनशीलता तथा ईमानदारी हो ना हो ! सिविल सेवा परीक्षा तीन भागों में होती है जिसमें प्रारंभिक परीक्षा 400 अंक, मुख्य लिखित परीक्षा 1750 अंक तथा इंटरव्यू 275 अंक अंकों के वितरण से साफ हो जाता है कि लिखित परीक्षा में अच्छे अंक पाने वाले परीक्षार्थी का केवल लिखित परीक्षा के आधार पर ही हो सकता है चाहे उसे इंटरव्यू में कम अंग की प्राप्त क्यों ना हो ! संघ लोक सेवा आयोग की इस चयन प्रणाली में सेना की तरह एक प्रत्याशी की सिविल सेवा के प्लिए योग्यता को नापने का कोई प्रावधान नहीं है !और इसी का परिणाम है किअक्सर सरकार द्वारा बनाई हुई योजनाएं पूरी तरह से सफल नहीं हो पाती हैं जबकि सेना के अधिकारी सीमाओं परअपने उत्तरदायित्व को पूरी तरह से निभाते हैं !

देश में प्रशासन को सिविल सेवा के अधिकारी ही चलाते हैंऔर सरकार की नीतियों को देश में लागू करते हैं ! इस प्रक्रिया के द्वारा हीदेश में कानून व्यवस्था कोलागू किया जाता हैऔर जनकल्याण की योजनाओं कोहर नागरिक तक पहुंचाया जाता है ! प्रशासन के सभी अंगों जैसे भारतीय प्रशासनिक, पुलिससेवा, विदेश सेवा तथा भारतीय राजस सेवा इत्यादि के लिए संघ लोक सेवा आयोग भर्ती की प्रक्रिया को करता है ! इन चारों सेवाओं मेंअलग-अलग प्रकार के कार्यों को उनके अधिकारी करते हैं जिनके लिए इन्हें विशेष प्रकार की कार्य क्षमता की आवश्यकता होती है परंतु इन सब सेवाओं के लिए केवल एक ही भर्ती प्रक्रिया है जिसमें किसी सेवा विशेष के लिए प्रत्याशी की योग्यता को परखने का कोई विशेष प्रावधान नहीं है और केवल किताबी ज्ञान के आधार पर इन सेवाओं में प्रत्याशियों को चुन लिया जाता है ! इसका परिणाम है कि देश में शासन व्यवस्था के उचित रूप में लागू न होने के कारण अक्सर सरकारों की अपेक्षाओं को यह अधिकारी पूरा नहीं कर पाते हैं !इस कारण देश के कुछ राज्य जैसे बिहार, झारखंड, उड़ीसा तथा बंगाल अभी तक पिछड़े राज्यों की श्रेणी में है ! इन राज्यों में जन कल्याण की नीतियों का लाभ आम जनता तक नहीं पहुंच रहा है और इन राज्यों में कानून के स्थान पर यहां माफिया तथा अपराधियों के कानून चलते हैं ! अक्सर प्रशासनिक अधिकारी राजनीतिक दखल का बहाना लेकरअपनी जिम्मेदारियां से बचना चाहते हैं ! यह अधिकारी अपनी कुर्सी को बचाने के लिए सत्ताधारी राजनीतिज्ञ और शक्तिशाली माफिया के इसारों पर काम करते रहते हैं ! जिसके कारण प्रशासन के हर स्तर पर भ्रष्टाचारऔर माफिया पनप रहे हैं क्योंकि इनको प्रशासन का पूरा संरक्षण प्राप्त रहता है ! सिविल प्रशासन में भ्रष्टाचारऔर राजनीतिक दखलअंदाजी का मुख्य कारण है प्रशासनिक अधिकारियों की जिम्मेवारियों को इस प्रकार तय नहीं किया गया जिस प्रकार सेना में किया जाता है !

सेना में सीमाओं की सुरक्षाऔर सेवा की कार्यप्रणाली के लिए हर स्तर पर अधिकारियों की जिम्मेदारी निश्चित की जाती है ! इस जिम्मेदारी का पूरा हिसाब रखा जाता हैऔर इसमें कमी पाए जाने पर संबंधित अधिकारी के विरुद्ध कोर्ट मार्शल प्रक्रिया से शीघ्रता से दंडात्मक कार्रवाई की जाती है ! जैसे कीजम्मू कश्मीर में गलत एनकाउंटर पाए जाने पर संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की गई ! अपनी जिम्मेदारी महसूस करते हुए ही सेना के अधिकारीऔर सैनिक सीमा पर स्वयं का बलिदान करने से भी पीछे नहीं हटते हैं ! कारगिल युद्ध इसी का उदाहरण है जिसमेंअपनी जिम्मेदारियो को पूरा करने के लिए सेना के अधिकारीयो और जवानों नेअपना बलिदान दिया ! जिसका परिणाम है कि आज हमारी कारगिल सीमाएं पूरी तरह सुरक्षित हैं ! सेना में जिम्मेदारी को निभाना कर्तव्य की तरह माना जाता है जिसको सेना का हर व्यक्ति निभाना अपना धर्म समझता है ! परंतु इस प्रकार के प्रावधान और भावनाएं सिविल सेवाओं के लिए नहीं है क्योंकि इन सेवाओं में जिम्मेदारियां को ना तो तय किया जाता हैऔर ना ही सेना की तरह हिसाब लिया जाता है ! सरकार की योजनाएं घोषित होती हैपरंतु उनका क्रियान्वन जमीन पर नहीं होता हैऔर संबंधित अधिकारीके विरुद्ध भी कोई जवाबदारी तय नहीं की जाती है !

जिसका परिणाम है की जनता तक सरकार की योजना नहीं पहुंच पाती हैं ! यदि सेना की तरह ही सिविल प्रशासन में भी जिम्मेदारी तय की जाए तो सिविल प्रशासन के अधिकारी अनैतिक राजनीतिक दखल को भी नकार सकते हैं ! एक पुलिस अधिकारी को अपने क्षेत्र की हर सूचना हर समय प्राप्त होती रहती है परंतु राजनीतिक दबाव के करण पुलिस अधिकारी माफियाओं को अपना संरक्षण देते हैं जैसे की इलाहाबाद में अतीक अहमद कानपुर में विकास दुबेऔर मुंबई में दाऊद इब्राहिम बड़ा माफिया बनक पाकिस्तान में बैठकर भारत कीआंतरिक सुरक्षा के लिए चुनौती बन गया है ! 1993 केमुंबई ब्लास्ट की पूरी योजना और उसका क्रियान्वयन इब्राहिम ने ही पाकिस्तान में बैठकर आतंकियों से करवाई थी !परंतु आज तकदाऊद इब्राहिम कोइतना बड़ा अपराधी बनने मैं सहायक किसी भी मुंबई के पुलिस अधिकारी के विरुद्ध कोई कार्यवाही अभी तक नहीं की गई हैऔर ना ही इसकी जिम्मेदारी तय की गई है ! मुंबईऔर देश के अन्य महानगरों मेंअंडरवर्ल्ड के नाम सेसंगठित अपराध होते रहते हैंपरंतुइसके लिएकिसी भी पुलिस अधिकारी को जिम्मेदार नहीं ठहराया जाता है यदि यह सेना के नियंत्रण में होता तो संबंधित सैनिक अधिकारियों को इसके लिए जिम्मेदार ठहराकर उनके विरुद्ध उचित कार्रवाई की जा सकती थी ! परंतुसिविल सेवाओं में इन अधिकारियों के विरुद्ध कर्तव्य को न निभाने के लिए कार्रवाई करने के लिए बड़ी जटिल प्रक्रिया है जिसमें संबंधित राज्य या केंद्र सरकार से इसके लिए मंजूरी लेनी होती है जो लंबे समय तक प्राप्त नहीं होती क्योंकि इसमें सिविल सेवा के अधिकारी एक दूसरे की मदद के लिए ऐसे मामलों को लटका कर रखते हैं ! इसलिए देश में भ्रष्टाचार और बढ़ते हुए अपराधों पर लगाम नहीं लग रही हैऔर जनता निराश होकर इस तरह की व्यवस्था से ही समझौता करने के लिए मजबूर हो रही है !

जहां प्रशासनिक व्यवस्था का यह हाल है वहीं पर भारतीय सेना नेभारत को एक शक्तिशाली देश के रूप में विश्व में स्थापित कर दिया है ! जिसके कारण भारत आज आर्थिक और सैनिक शक्ति के रूप में जाना जाता है ! सेना मेंएक अधिकारी सीमाओं की रक्षा के साथ-साथ अपनी सैनिक टुकड़ी का रखरखाव भी देखता है ! इस रखरखाव की प्रक्रिया को पारदर्शी उचित रूप में लागू करने के कारण ही सैनिकों का मनोबल ऊंचा होता है जिसके कारण एक सैनिक सीमा पर अपना सर्वस्व निछावर करने के लिए हमेशा तैयार रहता है !सेना मेंअपने कर्तव्य कोउचित प्रकार से निभाने वाले अधिकारी इसलिए है क्योंकि उनकी चाय प्रक्रिया में केवल उस प्रत्याशी को चुना जाता है जिसके अंदर सैन्य सेवा के लिए नेतृत्व के गुण होते हैं ! सेना के लिए उचितऔर सक्षम अधिकारी मिलने का मुख्य कारण है कि इसके लिए अधिकारियों का चयन सर्विस सिलेक्शन बोर्ड करता है ! इस बोर्ड में मनोवैज्ञानिक ,जमीन पर क्षमता को परखने वाले तथा आखिर में व्यक्तित्व काआकलन करने वाले विशेषज्ञओं के द्वारा सेवा के लिए अधिकारियों का चयन किया जाता है !परंतु सिविल सेवा जो पूरे देश में सरकार का प्रतिनिधित्व करती हैऔर जिसके द्वारा देश की अर्थव्यवस्था और विश्व के अन्य देशों के साथ संबंध तथा कानून व्यवस्था की देखरेख करती हैउसके लिएअधिकारियों केचयन को उनकी सेवाओं के अनुरूप नहीं किया जाता है !और इसी का परिणाम है कि जहां देश एक सैनिक शक्ति के रूप में जाना जा रहा है वहीं पर हमारा देश भ्रष्टाचारऔरअपराधों के लिए भी जाना जाता है !

आज के युग मेंहर क्षेत्र में नई तकनीकऔर व्यवस्थाओं को अपनाया जा रहा है इसको देखते हुए यह भी परम आवश्यक है कि देश की व्यवस्था को चलाने वालेअधिकारियों की चयन प्रक्रिया को भी बदला जाना चाहिए ! इसके लिएसेना के सर्विस सिलेक्शन बोर्ड की तरह ही संघ लोक सेवा आयोग को भी एक ऐसा बोर्ड गठन करना चाहिए जिसके द्वारा सिविल सेवा केप्रत्याशी की उसके पद के अनुरूपउसकी क्षमताओं को मनोवैज्ञानिकऔर सेवा के अनुसारआकलन किया जा सके !अन्यथादेश की सरकारे नए-नए कानून बनाती रहेगी परंतु जमीन पर उनकाउतना असर नहीं होगा जितना की एक सक्षम अधिकारीकर सकता है !

Shivdhan Singh

Service - Appointed as a commissioned officer in the Indian Army in 1971 and retired as a Colonel in 2008! Participated in the Sri Lankan and Kargil War. After retirement, he was appointed by Delhi High Court at the post of Special Metropolis Magistrate Class One till the age of 65 years. This post does not pay any remuneration and is considered as social service!

Independent journalism - Due to the influence of nationalist ideology from the time of college education, special attention was paid to national security! Hence after retirement, he started writing independent articles in Hindi press from 2010 in which the main focus is on national security of the country.