भारत चीन के बीच में सीमा संबंधी समझौतो में बदलाव की आवश्यकता

NewsBharati    23-May-2024 14:20:57 PM   
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अभी कुछ समय पहले दिल्ली में प्रसिद्ध जनरल पी एस भगत व्याख्यान माला में अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल टी के परनायक ने संबोधित करते हुए कहा कि चीन के साथ भारत के सीमा संबंधी समझौतो में समय और परिस्थितियों के अनुसार बदलाव की आवश्यकता है ! सेवानिवृत्ति से पहले जनरल प्परनायक भारतीय सेना की उत्तरी कमान के जीओ सी-इं- सी रह चुके हैं ! यह कमान -भारत चीन सीमा की रक्षा करती है !जैसा की सर्वविदित है चीन 1951 से ही भारतीय सीमा में घुसपैठ कर रहा है और अपनी विस्तारवादी नीति कोअपनाते हुए पड़ोसी देशों के क्षेत्त्रो पर कब्जा कर रहा है ! इस नीति के द्वारा चीन ने 16 पड़ोसी देशों की जमीनों पर अवैध कब्जे कर लिए है !
 
India China Border

1951 में तिब्बत पर कब्जा करने के बाद चीन ने एक सड़क जी- 21 का निर्माण किया जिसके द्वारा उसने चीन के मुख्य भाग को तिब्बत की राजधानी लाहसा से जोड़ा ! इस सड़क का काफी हिस्सा लद्दाख के अकसाईचिन से गुजरता है !परंतु इसकी सूचना भारत सरकार को 1954 में चल सकी इसके बाद भी इसे सार्वजनिक नहीं किया गया ! इसके बाद 1954 में फिर भी पंडित नेहरू ने चीन के साथ पंचशील समझौता किया जिसका नारा था हिंदी चीनी भाई-भाई !भारत सरकार इस समझौते का अक्षरस पालन करती रही परंतु चीन ने इस समझौते को कभी नहीं माना ! और इसी क्रम में पहले उसने भारत के आक्साइचिन पर कब्जा कियाऔर उसके बाद 1962 में अचानक भारत पर हमला कर दिया ! जिसका भारतीय सेना मुकाबला नहीं कर सकी जिसके कारण चीन की सेनाअक्साईचिन से आगे भारतीय सीमा में अंदर आ गई !

भारत को 1947 में आजादी मिली थीऔर लंबी गुलामी के बाद भारत सरकार का पूरा ध्यान देश की जनकल्याण योजनाओं की तरफ गया जिससे सेना के विस्तार और उसके आधुनिकरण पर कोई ध्यान नहीं दिया गया ! चीन की घुसपैठ की हरकतों को देखते हुए1958 में तत्कालीन सेना प्रमूख जनरल थिमैया ने पंडित नेहरू से सेना की तैयारी के लिए संसाधोनो की मांग की जिसको पंडित नेहरू ने पंचशील समझौते की आड़ मेंठुकरा दिया ! नेहरू के सेना और देश की रक्षा के प्रति इस रवैया को देखते हुएजनरल थीमैया ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था ! इसके बाद चीन की नजर सिक्किम पर टिक गई और उसने 1967 में सिक्किम पर कब्जा करने के लिए नाथुला पर हमला कर दिया ! सिक्किम पर कब्जा करने के बाद चीन की भारत को उसके उत्तर पूर्वी राज्यों से जोड़ने वाले सिलिगुड़ी कॉरिडोर पर कब्जा करने की योजना थी ! परंतु उस समय सेना की सिक्किम में तैनात 17 डिविजन के जीओसी मेजर जनरल सगत सिंह थेजिन्होंनेअपने अदम साहसऔर दृढ़ निश्चय से चीनी हमले का मुकाबला किया और चीनियों कोबुरी तरह से पीछे धकेल दिया !हालांकि इसके लिए उन्हें दिल्ली से सहमति नहीं मिली थी परंतु फिर भी उन्होंने चीन की चाल को नाकाम कर दिया ! इसी क्रम में चीन ने1986 मेंअरुणाचल प्रदेश के सोम द्रोङ्ग चु नाम की घाटी में हेलीपैड बनाने की कोशिश कीऔर इस कोशिश को भी भारतीय सेना ने जनरल सुंदर जी की कमान में नाकाम किया ! चीन की इन हरकतों को देखते हुए दोनों देशों के बीच में शांति स्थापना के लिए बातचीत के दौर शुरू हुएऔर इसके परिणाम स्वरूप1996 में विश्वास बहालीऔर सीमा पर शांति विश्वास बहालीके लिए एक समझौता किया गया जिसके अनुसार दोनों देशों के सैनिक सीमाओं के बीच में नोमैंस लैंड यानी सीमाओं के बीच वाली जमीन पर बिना हथियारों के ग्रस्त करेंगे !

परंतु जून 2019 में पूरे विश्व ने देखा की किस प्रकार चीन ने इस समझौते की शर्तों को नकारते हुए गलवान में भारतीय सैनिकों पर कटीले तार लगे हुए लाठी डंडों सेहमला किया ! गलवान क्षेत्र मेंचीनी सेना कुछअवैध निर्माण कर रही थी जिसके विवाद को सुलझाने के लिए दोनों सेनाओ की एक मीटिंग इस क्षेत्र में निर्धारित की गई थी ! इसके लिएदोनों के दल यहां पर पहुंचे !1996 के समझौते के अनुसार भारतीय सैनिक बगैर हथियारों के मीटिंग स्थल पर पहुंचे परंतु चीनी सैनिक छुपा कर कटीले तार लगे हुए डंडे लेकर आए ! मीटिंग स्थल पर पहुंचते हीचीनी सैनिकों नेइन लाठी डंडों से भारतीय सैनिकों पर हमला कर दिया ! जिसका भारतीय सैनिकों ने वीरता से मुकाबला कियाऔर इस हमले में दोनों देशों के काफी सैनिक मारे गए ! इसी क्रम में 2021 में अरुणाचल प्रदेश के तवांग में चीनी सैनिकों नेएक भारतीय सैनिक टुकड़ी पर इसी प्रकार हमला करने की कोशिश की\और इसका भी गलवान की तरह भारतीय सैनिकों ने करारा जवाब दिया ! इस प्रकार देखा जा सकता हैकी किस प्रकारचीन1996 केविश्वास बहाली के समझौते का सरेआम उल्लंघन कर रहा है!

इसके बाद पूरे विश्व मेंआर्थिक विकास का युग आयाऔर इसी के द्वारा विश्व में अंतर्देशीय व्यापार को बढ़ावा देने के लिए प्रसिद्ध गैट नाम का समझौता किया गया ! इसके अनुसार भारत चीन के दोनों के बीच में व्यापारिक गतिविधियां शुरू हो गई !इनको देखते हुए फिर से दोनों के बीच सीमा संबंधी तनाव को दूर करनेऔर विश्वास बहाली के लिए कई मिटेंगे हुई और इसके बाद 2010 में एक समझौता किया गया इस समझौते की मुख्य भावना दोनों के बीच में विश्वास बहाली था इसकी मुख्य शर्ते इस प्रकार हैं--- दोनों पड़ोसी देश पंचशील की पांच शर्तों को मानते हुए एक दूसरे के साथ शांति से रहेंगे, दोनों एक दूसरे के सामरिकऔर ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को ध्यान में रखते हुएएक दूसरे की राष्ट्रीय भावनाओं और कठिनाइयों का पूरा ध्यान रखेंगे,सीमावर्ती क्षेत्र मेंसीमाओं के निर्धारण भौगोलिक संरचना के आधार परकिया जाएगा,एक दूसरे की सीमा में हथियारों तथा नशीले पदार्थों की तस्करी कोरोका जाएगा और सीमावर्ती क्षेत्रों की आबादी के हितों का ध्यान रखा जाएगा ! उपरोक्त समझौते की शर्तों का मुख्य उद्देश्य विश्वास बहाली और सीमा के विवादित मुद्दों को सुलझाते हुए शांति स्थापना था !

परंतु चीन ने 1949 से पूरे दक्षिण एशिया में केवल विस्तारवादी नीति को ही अपनाया है जिसके अनुसार उसने पड़ोसी देश भारत भूटान म्यांमार सोवियत संघ के देशो इत्यादि की भूमियों पर अवैध कब्जा किए ! बाद में इन कब्जों को वैध ठहरने के लिए उसने इन क्षेत्रों को ऐतिहासिक दृष्टि से अपना बताकरअपने कब्जों को सही ठहरने की कोशिश की ! इसी प्रकार उसने भारत के अक्साई चिन क्षेत्र को तिब्बत का हिस्सा बात कर उसको1951 में हीअपने कब्जे में ले लिया ! इसी प्रकार चीन भारत के अरुणाचल प्रदेश के 20 मुख्य शहरों और गांव के के नाम तिब्बती भाषा में बताकर अरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत बता रहा है और इस पर कब्जे के सपने देख रहा है ! इसके बाद वह पूरे लेह लद्दाख को भी इसी आधार पर अपना बनाने की योजना बना रहा है ! क्योंकि यहां पर बौद्ध आबादी बहुतआयात में है !

2010 के समझौते के अनुसार दोनों देश एक दूसरे के सामरिक हितों की रक्षा करेंगे परंतु चीन ने पाकिस्तान के साथ साझा आर्थिक गलियारे के रूप में भारत केजम्मू कश्मीर और पंजाब से लगने वाली जमीनी सीमाऔर पाक के ग्वादर बंदरगाह के द्वारा हिंद महासागर में भी भारत की गतिविधियों पर लगाम लगाने की कोशिश की है ! ग्वादर बंदरगाह से वह भारत के आर्थिक हिस्सों को नुकसान पहुंचाने के लिए हिंद महासागर मेंअपनी गतिविधियां बढ़ा रहा है ! इसी को देखते हुएअमेरिका और भारत ने मिलकर क्वॉड नाम का नौसैनिक समझौता किया है !जिसके अनुसार दक्षिणी चीन सागरऔर हिंद महासागर में क्वाड समझौते केचारों देश ऑस्ट्रेलिया जापान भारतऔर अमेरिकाकी नौसेना मिलकर इस क्षेत्र में चीनी हमले का मुकाबला करेंगे !

1962 के भारत- चीन युद्ध के बाद से आज तक सीमा पर सैनिक टकरावों से देखा जा सकता है कि चीन समझौता की शर्तों के कोई परवाह नहीं कर रहा है ! बल्कि वह ऐतिहासिक पृष्ठभूमि का नाम देखकर अरुणाचल प्रदेशऔर पूरे लद्दाख क्षेत्र को अपना बनाने की कोशिश कर रहा है ! पड़ोसी के साथ शांतिपूर्ण पूर्वक रहने के पंचशील के सिद्धांत को धता बताकर चीन ने भारत के पूरे उत्तर पूर्वी राज्यों में मणिपुर, नागालैंड इत्यादि में आतंकवादी संगठनों को तैयार कियाऔर इन्हें हर प्रकार की सैनिक सहायता उपलब्ध कराई ! जिसका उद्देश्य पूर्वी राज्यों कोभारत से अलग करना था ! परंतु भारतीय सेना और इसके केंद्रीय सशस्त्र बलों ने इन आतंकवादी संगठनों का बहादुरी से मुकाबला करते हुए इनका सफाया किया !

अपने इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए चीन ने सिलिगुड़ी कॉरिडोर पर कब्जा करने के लिए दो बार प्रयास किए हैं पहले1967 में सिक्किम पर कब्जा करके वह सिलिगुड़ी कॉरिडोर पर कब्जा करना चाहता था इसके बाद 2017 में उसने भूटान भारतऔर चीन की सीमा पर स्थित ढोकलाम नाम के स्थान पर एक सड़क बनाने की कोशिश की जिसका मुख्य उद्देश्य इसी प्सिलिगुड़ी कॉरिडोर पर कब्जा करना था ! परंतु भारतीय सेना ने इसका दृढ़ता से विरोध कियाऔर 70 दिन के तनाव के बाद चीन ने इस सड़क निर्माण को बंद किया ! गलवान की घटना के बाद से चीनने इस क्षेत्र मेंअपनी सीमा के पास सैनिक छावनिया और तरह-तरह के निर्माण कार्य शुरू कर दिए हैं जिनके द्वारा इस क्षेत्र में तनाव की स्थितिऔर भी गंभीर हो गई है ! चीन की इन हरकतों के कारण 2019 के बाद से दोनों देशों की सेना पूरी तैयारी के साथ सीमाओं पर डटी हुई है ! इसी के करण भारत ने पूरे भारत- चीन सीमा पर हवाई सुरक्षा के लिए पांच हवाई पट्टियां तैयार की है और स्ट्राइक कोर नाम का 20000 सैनिकों दल भारत चीन सीमा पर तैनात कर दिया है !इसमें मुख्यलड़ाकू टैंक होते है जोदुश्मन के देश में घुसकर प्रहार करने में सक्षम होते हैं ! यह सब भारत ने चीन की1962 जैसी हरकत को दोबारा दोहराने से रोकने के लिए किया है !

जनरल परनायकउत्तरी कमान के जीओसी-इंसी रह चुके हैंजहां पर उन्होंने चीन की सब हरकतों को बहुत नजदीक से देखा हैऔर जिनको रोकने की पूरी जिम्मेदारी उन पर थी ! इस सब को देखते हुए उन्होंने महसूस किया है कि चीन 1996और 2010 के समझौताओ की शर्तों को बिल्कुल भी नहीं मान रहा है इसलिए अब चीन को साफ-साफ यह बताने का समय आ गया है की किस प्रकार वह समझौते की शर्तो का उल्लंघन कर रहा है जिसको देखते हुएअब ऐसे समझौते किए जाने चाहिए जिनको चीन वास्तव में सम्मान दे !

Shivdhan Singh

Service - Appointed as a commissioned officer in the Indian Army in 1971 and retired as a Colonel in 2008! Participated in the Sri Lankan and Kargil War. After retirement, he was appointed by Delhi High Court at the post of Special Metropolis Magistrate Class One till the age of 65 years. This post does not pay any remuneration and is considered as social service!

Independent journalism - Due to the influence of nationalist ideology from the time of college education, special attention was paid to national security! Hence after retirement, he started writing independent articles in Hindi press from 2010 in which the main focus is on national security of the country.