इजरायल की हवाई सुरक्षा की तरह ही चीनी सीमा पर भारत की सुरक्षा व्यवस्था भी अभेद बन चुकी है

NewsBharati    19-Apr-2024 15:10:01 PM   
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साधारणतया हमलावर का लक्ष्य हमल! वाले देश को मानसिक तथा आर्थिक क्षति पहुंचाने के साथ-साथ उसकी अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा को भी प्रभावित करना होता है ! जैसे की 2003 में अमेरिका ने इराक पर हमला कर करके किया था ! इस बार ईरान ने इसराइल पर 120 मिसाइल तथा 300 ड्रोन से हमला किया परंतु आंकड़ों के अनुसार ईरान के 99% मिसाइल और ड्रोन को इसराइल के आर्यनड्डोम नाम के एयर डिफेंस सिस्टम ने हवा में ही नाकाम कर दिया ! ईरान के हमले को नाकाम करने में अमेरिका, इंग्लैंड, और फ्रांस इत्यादि देशों ने भी इजरायल की मदद की थी ! परंतु इस इस हमले को पूरी तरह नाकाम करने का श्रेय केवल इसराइल को ही जाता है जिसकी उच्च तकनीक के आयरनडोम एयरडिफेंस सिस्टम ने 8 अक्टूबरको हमास के हमले को तथा अभी ईरान के इतने बड़े हमले को नाकाम किया है !
 

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ईरान के इस इस हवाई हमले से स्वयं को बचाकर इसराइल ने एक प्रकार से अपनी एयर डिफेंस तकनीक तथा सिस्टम का विश्व के सामने वास्तविक युद्ध की स्थिति में अपने सिस्टम की कार्य प्रणाली एवं तकनीक का संजीव प्रदर्शन कर दिया है जिसके द्वारा दुश्मन के हवाई हमले का खतरा अनुभव कर रहे देश स्वयं को सुरक्षित कर सकेंगे ! अक्सर हथियारों का निर्माण करने वाले देश जैसे अमेरिका, रूस, फ्रांस इत्यादि अपनी रक्षा सामग्रियों के प्रचार प्रसार के लिए तरह-तरह के प्रदर्शन करते हैं परंतु फिर भी अन्य देशों को इन पर इतना विश्वास नहीं होता जितना इजरायल के एयरडिफेंस सिस्टम पर ईरान के हमले के बाद हो गया है ! ईरान के इस हमले से इजरायल को बहुत से लाभ हुए हैं जिनमे अब वह पूरे विश्व को यह विश्वास दिलाने में सफल हुआ है की ईरान शुरू से ही आक्रमणकारी रहा है और पूरे अरब क्षेत्र में हर प्रकार कीआतंक गतिविधियों में ईरान का हाथ रहा है !
 
 
पिछले लंबे समय से इसराइल पूरे विश्व को बता रहा था कि ईरान एक आतंकी देश है परंतु कोई इस पर विश्वास नहीं कर रहा था परंतु ईरान द्वारा हमास को मदद तथा अब स्वयं मिसाइल से इजरायल पर हमला उसे आतंकी देश सिद्ध करने के लिए पर्याप्त है ! ईरान के हमले के विरुद्ध प्रमुख पश्चिमी देशों और अमेरिका द्वारा उसकी मदद में सीधे आना सिद्ध करता है कियह देश वास्तव में इजरायल के साथ है !अब अमेरिका शीघ्र ही ईरान को एक आतंकी देश घोषित करने की सोच रहा है जिसके बाद ईरान का तेल का व्यापार भी बुरी तरह से प्रभावित होगा ! ईरान की मिसाइल और ड्रोनो के हमले ने एक रात में ही इसराइल को हवाई हमले से बचाव की तकनीक में विश्व में उच्चतम स्थान पर पहुंचा दिया है !अब शीघ्र ही इसराइल कोआयरन रोम सिस्टम केऑर्डर बहुत से देसों से मिलने शुरू हो जाएंगे ! इसके साथ ही इसराइल ने यह सिद्ध कर दिया है की अपनी सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने से दुश्मन के इरादों को नाकाम किया जा सकता है !

इस सब को देखते हुए इसराइल ने ईरानी हमले का जवाब न देकर भी उससे ज्यादा लाभ और ख्याति अपने एयर डिफेंस सिस्टम की कार्य प्रणाली से प्राप्त कर ली है ! हालांकि इजराइल की रक्षा कमेटी ने ईरान पर जबाबी हमले के बारे में बहुत विचार किया परंतु उपरोक्त तथ्यों के प्रकाश में इजराइल जैसा देश जो हर बाहरी हमले का करारा जवाब देता रहा है उसने भी यह तय किया कि उनका जवाब तो ईरान के हमले को नाकाम करके ही दिया जा चुका हैऔर इसके अलावा उसकी एयर डिफेंस प्रणाली का प्रचार ईरान ने स्वयंअपने हमले से कर दिया है ! इसराइल को मिली इस ख्याति से ऐसा प्रतीत होता है जैसे इसराइल और ईरान ने मिलकर यह सब केवल प्रचार प्रचार के लिए किया हो परंतु यह सत्य नहीं है !

ईरान जैसी ही हरकत चीन ने 2019 में लद्दाख के गलवान में की थी ! 1986 मेंचीन द्वाराअरुणाचल प्रदेश के सॉन्गद्रोङ्गचु में हेलीपैड बनाने की नाकाम हरकत के बाद दोनों देशों में विश्वास बहाली के लिए कई दौर की बातचीत हुई और 1996 में दोनों के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर किए जिसमें तय किया गया कि नियंत्रण देख के पास नोमैंस लैंड या सीमाओं के मध्यवर्ती क्षेत्र में दोनों देशों के सैनिक बगैर हथियारों के ही ग्रस्त करेंगे ! इसी समझौते के अनुसार गलवान में दोनों देश की सेनाओ के बीच में कुछ विषयों परबातचीत करने के लिए

एक मीटिंग जून 2019 में एक मीटिंग आयोजित की गई ! इस मीटिंग मेंभाग लेने के लिए के लिए भारतीय सैनिक बगैर हथियारों के गलवान पहुंचे ! परंतु चीनी सैनिक अपने धोखेबाजी की आदत के कारणअपने साथ कटीले तार लगे लाठी डंडे! के साथ आए ! और बिना किसी उकसावे के ही उन्होंने इन हथियारों से भारतीय सैनिकों पर हमला कर दिया ! भारतीय सैनिकों ने निहथे ही इस हमले का जवाब देकर बहुत से चीनी सैनिकों को ढेर कर दिया ! तथा इसके बाद सीमा के आसपास सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण पहाड़ियों पर भी कब्जा कर लिया जिसके बाद अब चीन इस क्षेत्र मेंआसानी से घुसपैठ नहीं कर सकेगा ! चीन के हमले का वही परिणाम हुआ जैसा कि ईरान का इसराइल पर हमले के का हुआ था ! चीन के हमले से पूरे विश्व में चीन की विश्वसनीयता पूरी तरह से खत्म हो गई और इसका दुसप्रभाव उसकी अंतरराष्ट्रीय छवि पर भी पड़ा ! जिससे उसकी आर्थिक गतिविधियां भी प्रभावित हुई ! इस प्रकार जो उपलब्धियां इजरायल को ईरान के हमले से हो रही है वही सब भारत को चीनी हमले से 2019 में हुई थी !

1962 केचीनी हमले के तरह ही भारत ने गलवान के हमले के बाद चीनी सीमा पर अपनी रक्षा तैयारी पर और भी ज्यादा जोर देना शुरू कर दिया है ! सीमा की सुरक्षा के लिए आधुनिक हथियारों, संचार व्यवस्था तथा आधारभूत ढांचे की आवश्यकता होती है ! इसको देखते हुए भारत ने चीनी सीमा पर हवाई सुरक्षा को इजरायल की तरह अभेद बनाने के लिए लद्दाख के पास नियोमा नाम के स्थान पर नए हवाई अड्डे का निर्माण किया है !इसके अतिरिक्त दौलतबेगगोल्डी नाम की हवाई पट्टी का भी विस्तार किया गया है इन दोनों स्थानों पर अब राफेल जैसे लड़ाकू विमान उड़ान भर सकते हैं ! हवाई हमले की पूर्व सूचना देने के लिए भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड कंपनी के बने हुए आकाशतीर नाम के एयरडिफेंस सिस्टम को भी पूरी चीन सीमा पर तैनात कर दिया गया है ! यह सेना के ट्रैकों पर फिट किया गया जाता है जिसके द्वारा यह खतरे वाले स्थान पर शीघ्रता से भेजा जा सके !

यह सिस्टम देश में ही आधुनिकतम तकनीक से बनाया गया है जिसमें यह दुश्मन के हमले की इस पूर्व सूचना समय रहते उपलब्ध कराता है ! इस सूचना के आधार पर दुश्मन के हमलावर हवाई जहाज या मिसाइलओ को गिराने के लिए आकाश मिसाइल की यूनिट तैनात की गई है ! ये मिसाइल लेजर सिस्टम से नियंत्रित होती है जिनको अपने टारगेट से भटकना संभव नहीं होता है ! इनके अतिरिक्त दुश्मन पर मिसाइल हमला करने के लिए आईजीएलए नाम की मिसाइल के 120 लांचर भी पूरी चीन सीमा पर तैनात किए गए हैं ! इनके साथ ही आधुनिक युग के1000 ड्रोन किसी भी चीनी खतरे के लिए हर समय तैयार रहते हैं ! भूमि पर युद्ध के लिए ऊंचाई की पारवाह न करते हुए लद्दाख तथा अरुणाचल प्रदेश में आमर्डकोर की टैंक यूनिटों को भी तैनात कर कर दिया गया है ! दुश्मन के क्षेत्र में भीतर जाकर हमला करने के लिए सेना की स्ट्राइक कोर जिसमें लड़ाकूटैंक यूनिटओ के साथ करीब 15000 सैनिक होते को भी अरुणाचल में स्थापित कर दिया गया है !

सीमा पर शीघ्र अति शीघ्र सैनिक सहायता तथा रसद पहुंचाने के लिए अरुणाचल प्रदेश कीसीमा तक बहुत से पुलो तथा सड़कों का निर्माण किया गया है ! यहीं पर12 मार्च 24 को प्रधानमंत्री ने सेलापास नाम की सुरंग का उद्घाटन किया! जिससे क्षेत्र में आवागमन सुगम बन सके ! 2010से पहले लेह को भारत से जोड़ने के लिए केवल एक सड़क श्रीनगर–लेह थी ! पूरे समय1947 से लेकर आज तक पाकिस्तान का मुख्य देश इस सड़क पर कब्जा करना होता था जिससे वह पूरे लेह लद्दाख क्षेत्र को भारत के मुख्य भाग से अलग कर सके !1999 में कारगिल पर पाकिस्तान हमले का मुख्य उद्देश्य भी यही था ! इसको देखते हुएअब लेह को एक और लंबी सुरंग के द्वारा हिमाचल प्रदेश से भी जोड़ दिया गया है ! इस प्रकारअब लेह लद्दाख भारत के अन्य भागों से दो सड़क मार्गों से जुड़ा हुआ है ! हिमाचल वाला मार्ग बहुत सुरक्षित है जिस तक पाकिस्तान पहुंचने की सोच भी नहीं सकता !इस प्रकारअरुणाचल प्रदेशऔर लेह लद्दाख के लिए संचार व्यवस्थाऔर सड़कमार्गो की व्यवस्था से इन स्थानों की सुरक्षा व्यवस्था और भी मजबूत हो गई है !

चीन सीमा के आसपास भारत की इन रक्षा तैयारों को देखकरअब चीन भारत परपहले की तरह कुदृष्टि डालने की सोच भी नहीं सकता ! इसी कारण गलवान और तवांग झड़पों के बादभी दोनों देशों की सीमाओं पर तनाव की स्थिति नहीं बनी ! आज पूरे विश्व मेंभारत की इस रक्षा तैयारी का लोहा मानते हुए उसे एक महाशक्ति का सम्मान दिया गया है !जिससे भारत की छविअंतरराष्ट्रीय स्तर परऔर भीअच्छी बन गई है ! इससे भारत कीआर्थिक स्थिति भी मजबूत हुई है ! जो भारत पहले रक्षा सामग्री काआयात करता था वह आजकल रक्षा सामग्री का निर्यात करने वाला देश भी बन चुका है !

चीन सीमा पर मजबूत रक्षा तैयारी से भारत ने वह कहावत सिद्ध कर दी है कि यदियुद्ध से बचाना है तो युद्ध की तैयारी करनी चाहिए !

Shivdhan Singh

Service - Appointed as a commissioned officer in the Indian Army in 1971 and retired as a Colonel in 2008! Participated in the Sri Lankan and Kargil War. After retirement, he was appointed by Delhi High Court at the post of Special Metropolis Magistrate Class One till the age of 65 years. This post does not pay any remuneration and is considered as social service!

Independent journalism - Due to the influence of nationalist ideology from the time of college education, special attention was paid to national security! Hence after retirement, he started writing independent articles in Hindi press from 2010 in which the main focus is on national security of the country.