चीन और पाकिस्तान को उनकी औकात दिखाता भारत

भारत द्वारा जम्मू कश्मीर में अगले साल जी– 20 शिखर सम्मेलन के आयोजन की घोषणा से चीन और पाकिस्तान की सरकारें बोखला उठी है ! दोनों सरकारों ने भारत सरकार के इस फैसले का इस आधार पर कड़ा विरोध किया है परंतु इस बार नया यह है कि भारत सरकार रक्षात्मक होने की बजाय आक्रामक मुद्रा में है !

NewsBharati    09-Jul-2022 11:09:34 AM   
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भारत द्वारा जम्मू कश्मीर में अगले साल जी– 20 शिखर सम्मेलन के आयोजन की घोषणा से चीन और पाकिस्तान की सरकारें बोखला उठी है ! दोनों सरकारों ने भारत सरकार के इस फैसले का इस आधार पर कड़ा विरोध किया है कि जम्मू कश्मीर एक विवादित क्षेत्र है इसलिए भारत को वहां पर इस तरह का अंतरराष्ट्रीय आयोजन करने का अधिकार नहीं है ! चीन और पाकिस्तान के द्वारा कश्मीर पर भारत के विरुद्ध इस तरह की प्रतिक्रियाएं नई नहीं है ! परंतु इस बार नया यह है कि भारत सरकार रक्षात्मक होने की बजाय आक्रामक मुद्रा में है ! भारत की आक्रामकता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि भारत के प्रधानमंत्री ने पहली बार दलाई लामा को जन्मदिन की बधाई दी है जबकि दलाई लामा को चीन अपना शत्रु मानता है ! परंतु इस सबके बावजूद अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का रुतबा दिन रात बढ़ता ही जा रहा है, जैसे कि जी--20 जैसे आर्थिक रूप से विकसित देशों के संगठन की अध्यक्षता दिसंबर से भारत संभालने जा रहा है ! चीन की इस बौखलाहट का मुख्य कारण यह भी है कि चीन 1949 से 2017 तक भारत को कमजोर पड़ोसी मानता था जिसकी 38 हजार वर्ग किलोमीटर भूमि पर आक्साइचिन क्षेत्र में उसने कब्जा किया हुआ है ! और 2017 में वह भारत के लिए सामरिक दृष्टि से अति महत्वपूर्ण सिलीगुड़ी गलियारे पर कब्जा करने के सपने देख रहा था, जिससे भारत के उत्तर पूर्वी राज्यों को भारत की मुख्य भूमि से काट कर उन पर तिब्बत की तरह कब्जा कर सके ! क्योंकि अरुणाचल प्रदेश को तो शुरु से ही तिब्बत का हिस्सा बताकर इस पर कब्जा करना चाहता है !परंतु भारत ने उसके इरादोंऔर सपनों पर अपनी शक्ति से पानी फेर दिया है ! चीन द्वारा भारत के विरुद्ध स्वयं को शक्तिशाली समझने के पीछे का घटनाक्रम 1949 से लेकर आज तक इस प्रकार है !
 
India slams China Pakistan over G20 meet in Jammu and Kashmir

अक्टूबर 1951 में तिब्बत पर कब्जा करके और इसके अलावा पड़ोस के 14 देशों की भूमियों को अपनी बता कर अपने कब्जे में ले लिया और यह देश चीन की सैन्य शक्ति को देखते हुए चुप रहे ! इसी सोच के द्वारा चीन ने अक्टूबर 1962 में भारत पर हमला करके भारत के अक्साई चीन क्षेत्र की 38000 वर्ग किलोमीटर भूमि को तिब्बत का क्षेत्र बताकर इस पर भी कब्जा कर लिया ! चीन का विस्तार बाद यहीं नहीं थमा इसके अतिरिक्त वह अरुणाचल प्रदेश और पूर्व लद्दाख के क्षेत्रों पर भी दावे कर रहा है जिसके लिए वह बार-बार इन क्षेत्रों में घुसपैठ और झड़पें करता रहता है|

अभी पिछले कुछ सालों से चीन भारत के उत्तर पूर्वी राज्यों को भारत की मुख्य भूमि से काटने के लिए बंगाल राज्य के उत्तरी भाग में स्थित 30 किलोमीटर चौड़े सिलीगुड़ी गलियारे पर कब्जा करना चाह रहा है ! इस गलियारे से जाने वाली सड़क पूरे उत्तर पूर्व के राज्यों को—- आसाम नागालैंड मणिपुर इत्यादि को भारत के मुख्य मार्ग से जोड़ती है ! यह क्षेत्र सिक्किम और भूटान की सीमा पर स्थित चुंबी घाटी के पास डोकलाम से केवल 30 किलोमीटर है , और यहां से तोपों के द्वारा इस गलियारे को कभी भी अमरुद किया जा सकता है ! इस पर कब्जा करने की शुरुआत चीन ने 1967 में नाथूला पर हमला करके की थी जिसका करारा जवाब जनरलसगत सिंह ने दिया था जो उस समय सिक्किम की सीमा की रक्षा के लिए तैनात 17 माउंटेन डिवीजन के जनरल ऑफिसर कमांडिंग थे ! 1967 तक भारत सरकार की नीति चीन के विरुद्ध केवल रक्षात्मक थी और वह चीन के खिलाफ कोई ऐसी प्रतिक्रिया नहीं करना चाह रहा था जिससे चीन नाराज हो !

परंतु जनरल सगत सिंह ने स्वयं सीमा पर पहुंच कर पूरी सैनिक शक्ति का प्रयोग करके चीन को पीछे धकेला ! भारत की प्रतिक्रिया का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उस समय तक सैनिक कमांडरों को चीन के विरुद्ध बिना दिल्ली की इजाजत के तोपखाने के प्रयोग की छूट नहीं थी ! परंतु सगत सिंह ने इसकी परवाह ना करते हुए देश की रक्षा को सर्वोपरि मानते हुए तोपखाने का प्रयोग किया और चीन को कड़ी भाषा में जवाब देकर पीछे लौटने के लिए मजबूर किया ! यदि चीन उस समय अपने इरादों में सफल हो जाता तो वह बड़ी आसानी से गंगटोक से होता हुआ सिलीगुड़ी गलियारे तक पहुंच सकता था ! परंतु भारतीय सेना ने उसका इस प्रकार मुकाबला किया कि वह अपनी सीमा में काफी पीछे तक हट गया ! इसके बाद वह सीमा पर छोटी-छोटी घुसपैठ की हरकतें करता रहा परंतु 2017 में चुंबी घाटी से होते हुए भूटान के डोकलाम पठार तक चीन ने सड़क बनाना शुरू कर दिया ! जिससे इस क्षेत्र में संचार व्यवस्था को बेहतर बना कर वह डोकलाम पर कब्जा कर सके, क्योंकि डोकलाम सिलीगुड़ी गलियारे से केवल 30 किलोमीटर की दूरी पर है ! इसके बाद अरुणाचल प्रदेश पर कब्जा करने की योजना से 1986 मैं अरुणाचल प्रदेश की की सोंग ड्रोङ्गचु घाटी में अचानक घुसपैठ कर दी और वहां पर हेलीपैड का निर्माण करने लगा ! जैसे ही इसका पता भारतीय सैनिकों को लगा उन्होंने चीनी सैनिकों को इस क्षेत्र से खदेड़ा ! इसके बाद तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल सुंदर जी ने पूरी भारत चीन सीमा के लिए संचार व्यवस्था के आधारभूत ढांचे को विकसित करने के लिए भारत सरकार से अनुमति ली और इसके साथ ही चीन सीमा पर सेना को मजबूत करने के लिए सेना के लिए नई कोर और डिवीजन के निर्माण के लिए भी अनुमति मांगी जिसे भारत सरकार ने स्वीकृत कर दिया ! जिसके बाद जनरल सुंदर जी ने एक्सरसाइज चेक कर बोर्ड के नाम से पूरी भारत चीन सीमा पर सैनिकों की अतिरिक्त नियुक्ति करके इसे मजबूत और ऐसा बना दिया जिसमें चीनी सेना घुसपैठ की सोच भी नहीं सकती !

2019 में भारत सरकार ने जम्मू कश्मीर राज्य को भारत के अन्य राज्यों की तरह बनाने के लिए वहां पर लागू दौरे संविधान को समाप्त करते हुए धारा 370 को समाप्त कर दिया ! जिससे यहां के नागरिकों की दोहरी नागरिकता भी समाप्त हो गई और अब वहां पर देश के अन्य हिस्सों के नागरिक भी व्यवसाय और अन्य प्रकार के उद्योग लगा सकते हैं ! भारत के इस कदम से पूरे विश्व को यह संदेश गया कि अब यह राज्य विवादित क्षेत्र नहीं है बल्कि भारत का अभिन्न हिस्सा है, और विवादित क्षेत्र केवल वह क्षेत्र हैं जिन पर पाकिस्तान और चीन का कब्जा है ! जैसे पाक अधिकृत कश्मीर और गिलगित बालटिस्तान ! लंबे समय से पाकिस्तान में आतंकवाद और धार्मिक कट्टरपंथ के चलते वहां पर आर्थिक विकास बिल्कुल रुक गया है जिसके कारण धीरे-धीरे पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति खराब होती चली गई और इसके परिणाम स्वरूप पाकिस्तान दिवालियापन के कगार पर पहुंच चुका है ! वहां पर जरूरी रोजाना की चीजों जैसे तेल इत्यादि के आयात के लिए भी धन नहीं है ! पाकिस्तान की आर्थिक दशा को देखते हुए जिसमें वह कर्ज वापस करने की स्थिति में नहीं है, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोश ने चीन को यह सलाह दी है कि वह पाकिस्तान को और कर्जा ना दे ! इस प्रकार की आर्थिक दशा में पाकिस्तान स्वयं तो भारत के साथ 1 दिन की भी जंग नहीं लड़ सकता इसलिए वह चीन को अपना बड़ा भाई समझ कर यह सोच रहा था कि उसकी भारत के साथ दुश्मनी को चीन निभाएगा इसी कारण चीन ने 2019 में भारत द्वारा जम्मू-कश्मीर में संवैधानिक सुधारों के लागू होने के फौरन बाद पाकिस्तान की शह पर पूर्वी लद्दाख के गलवान क्षेत्र में अचानक हमला कर दिया जिसका भारत ने उसे करारा जवाब दिया और उसे पीछे हटने के लिए मजबूर कर दीया ! इस प्रकार पाकिस्तान और चीन को अपनी औकात भारत के विरुद्ध पता लग गई है !

भारत ने चीन को उसकी औकात आर्थिक विस्तार बाद की बहुचर्चित योजना एक बेल्ट एक सड़क में शामिल ना हो कर भी दिखा दी है ! चीन अपने पड़ोस के देशों में बीसवीं सदी के अंत तक क्षेत्रीय विस्तार बाद करता रहा है ! जिसके द्वारा उसने दक्षिण एशिया और दक्षिण चीन सागर में बहुत से क्षेत्रों पर कब्जे कर लिए परंतु 21वीं सदी में उसने क्षेत्रीय विस्तार बाद के स्थान पर आर्थिक विस्तार बात को अपनाया ! जिससे वह आर्थिक सहायता और ऋण के नाम पर छोटे-छोटे देशों में प्रवेश करता है तथा धीरे-धीरे उनकी अर्थव्यवस्था पर कब्जा कर लेता है ! इसका ज्वलंत उदाहरण है श्रीलंका और हिंद महासागर और अफ्रीका में स्थित देश अभी ! उसके इस जाल में हमारा पड़ोसी पाकिस्तान भी फस चुका है जिसके अंतर्गत ने पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाहऔर बहुत सी भूमि पर कब्जा कर लिया है ! इसके विरुद्ध पूरे पाकिस्तान में काफी आक्रोश है और बलूचिस्तान में खासकर चीन की इस योजना का विरोध करने के लिए एक संगठन बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी के नाम से बन गया है जो बार-बार मौके देखकर चीनी कर्मियों पर हमले कर रहा है ! इस सब को देखते हुए पाकिस्तान भारत के विरुद्ध कोई भी आवाज उठाने की स्थिति में नहीं है|

भारत ने चीन के क्षेत्रीय विस्तार बाद को पूरी भारत चीन सीमा पर आधारभूत ढांचे जिसमें सड़क हवाई पट्टियां और दुर्गम क्षेत्र तक पहुंचने के लिए गुफाओं का निर्माण करके तथा सीमा पर पर्याप्त मात्रा में सेना और लड़ाकू विमान तैनात करके पूरी से रोक दिया है ! जिसका प्रदर्शन 2017 से 20 के बीच डोकलाम तथा 2020 में लद्दाख के गलवान में हो चुका है ! इसी के साथ चीन के आर्थिक विस्तार बाद को रोकने के लिए भारत ने उसकी बहुचर्चित एक बेल्ट एक योजना को नकार करके उसे उसकी जगह दिखा दी है ! भारत की सैन्य शक्ति में आधुनिक मिसाइलों और लड़ाकू विमानों के आ जाने के बाद चीन यह अच्छी प्रकार समझ गया है कि इस क्षेत्र में उसने सैनिक संघर्ष शुरू किया तो भारत उसकी सी पैक या एक बेल्ट योजना के लिए तैयार आधारभूत ढांचे को अपनी मिसाइलों से बर्बाद कर देगा !

उपरोक्त विवरण से चीन को साफ-साफ समझ आ गया है कि भारत 1962 वाला सैनिक और आर्थिक दृष्टि से कमजोर नहीं है बल्कि वह अब बीसवीं सदी का शक्तिशाली भारत है !

और भारत ने उस कहावत सिद्ध कर दिया है की युद्ध की तैयारी से ही शांति की गारंटी हो सकती है !



Shivdhan Singh

Service - Appointed as a commissioned officer in the Indian Army in 1971 and retired as a Colonel in 2008! Participated in the Sri Lankan and Kargil War. After retirement, he was appointed by Delhi High Court at the post of Special Metropolis Magistrate Class One till the age of 65 years. This post does not pay any remuneration and is considered as social service!

Independent journalism - Due to the influence of nationalist ideology from the time of college education, special attention was paid to national security! Hence after retirement, he started writing independent articles in Hindi press from 2010 in which the main focus is on national security of the country.