1949 में चीन में कम्युनिस्ट शासन स्थापित होने के बाद माओ ने अपने पड़ोसी देशों की भूमियो पर अपनी विस्तार वादी नीति के अनुसार कब्जा करना शुरू किया ! इसी के अंतर्गत चीन ने तिब्बत पर कब्जा करते हुए भारत के अक्साई चीन क्षेत्र की 38000 वर्ग किलोमीटर भूमि पर भी कब्जा कर लिया ! इसी नीति के द्वारा चीन ने अपने 11 पड़ोसी देशों की भूमियों पर कब्जे किए है ! अब नए युग में भूमि विस्तार के स्थान पर चीन एशिया के देशों की अर्थव्यवस्था पर उन्हें कर्ज देने के बहाने कब्जा कर रहा है करा है ! इस प्रकार के कब्जे के लिए चीन ऐसे देश में प्रवेश करता है जिसमें राजनैतिक अस्थिरता और उथल-पुथल चल रही हो जिसके कारण देश की अर्थव्यवस्था डामाडोल हो ! ऐसी स्थिति में चीन उस देश का हितैषी बनकर वहां पर प्रवेश कर जाता है और उसके बाद उस पर कब्जा करता है ! इस समय इसका ज्वलंत उदाहरण श्रीलंका है ! एक समय में श्रीलंका की गिनती एक अच्छी आर्थिक स्थिति वाले देशों में होती थी, क्योंकि हिंद महासागर में समुद्री जहाजों के मुख्य आगमन के मार्ग पर कोलंबो बंदरगाह स्थित होने के कारण विश्व के अलग-अलग देशों का व्यापारिक सामान एशिया के लिए यहीं से गुजरता है ! संबंधित देशों के लिए इन सामानों को श्रीलंका के बंदरगाह पर ही संबंधित देशों के जहाजों पर चढ़ाया उतारा जाता है ! इसके द्वारा श्रीलंका को इन जहाजों से काफी विदेशी मुद्रा की आय होती है ! परंतु चीन का उसके बंदरगाह पर कब्जा होने के बाद श्रीलंका कि यह आय भी बंद हो गई है और इस समय श्रीलंका का सालाना बजट करीब 14 परसेंट के घाटे में चल रहा है ! इस सब का मुख्य कारण है श्रीलंका द्वारा चीन से लिया हुआ कर्ज जिसे चीन ने श्रीलंका के आधारभूत ढांचे जैसे सड़क, बंदरगाह, हवाई अड्डे आदि के लिए दिया था ! श्रीलंका ने 1.1 बिलियन पाउंड का कर्ज वहां पर हंबनटोटा बंदरगाह तथा 15000 एकड़ भूमि को औद्योगिक क्षेत्र में परिवर्तित करने के लिए लिया था ! यह प्रोजेक्ट ऐसे हैं जो कमर्शियल दृष्टि से उचित नहीं थे जिनके कारण इनमें श्रीलंका का उद्देश्य सफल नहीं हुआ और इन पर लिया हुआ कर्जा वह वापस चीन को नहीं कर पाया ! जिसके कारण चीन ने हंबनटोटा बंदरगाह पर अपना कब्जा कर लिया है ! इस समय श्रीलंका पर 64. 9 बिलियन पाउंड का कर्जा है जिसमें अकेले चीन का 8 बिलियन पाउंड कर्जा श्रीलंका पर है ! इस कर्ज़ों की किस्त चुकाने के लिए श्रीलंका के पास पर्याप्त विदेशी मुद्रा नहीं है इसके कारण श्रीलंका में आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया है और वहां पर राजनीतिक संकटस्थिति भी बन रही है ! जिसके परिणामस्वरूप पिछले 2 साल में श्रीलंका में सरकार दो बार बदली गई और इस समय श्रीलंका एक फेल गणराज्य की स्थिति में पहुंच चुका है !
चीन की चर्चित आर्थिक योजना एक बेल्ट एक सड़क में जुड़ने वाला पाकिस्तान पहला देश है ! इसके साथ ही पाकिस्तान में विकास के नाम पर चीन ने पाकिस्तान के साथ साझा आर्थिक गलियारा योजना भी 2011 में शुरू की ! इस योजना के तहत चीन पाकिस्तान में बिजली उत्पादन, सड़क निर्माण और औद्योगिक क्षेत्र विकसित करेगा और इस आधारभूत ढांचे का उपयोग एक बेल्ट एक सड़क योजना को सफल बनाने में किया जाएगा ! इस आधारभूत ढांचे का विकास चीन और पाकिस्तान दोनों मिलकर कर रहे हैं इसके साथ ही श्रीलंका की तरह ही चीन ने पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह को अपने कब्जे में लेने की योजना भी बनाई है ! इसके लिए उसने चीन को पाकिस्तान से जोड़ने वाले राजमार्ग काराकोरम हाईवे को ग्वादर तक बढ़ा दिया है ! इस राजमार्ग के आसपास चीन ने औद्योगिक गतिविधि स्थापित करने के लिए भी जमीनों को कब्जे में ले लिया है ! परंतु अभी कुछ समय पहले मीडिया में खबरें आई है कि पाकिस्तान साझा गलियारा योजना में अपने हिस्से का धन देने की स्थिति में नहीं है क्योंकि पाकिस्तान की आर्थिक दशा श्रीलंका की तरह लड़खड़ा गई है !ऐसी स्थिति में चीन संबंधित देश को व्यापारिक कर्जे के नाम पर ऋण देता है और बाद में जिस व्यापार के लिए ऋण देता है उस पर पूरा कब्जा वह कर लेता है, ऐसा ही वह पाकिस्तान में करने वाला है !इस सब को देखते हुए चीन की इन हरकतों के कारण पूरे पाकिस्तान में बेचैनी है और पाकिस्तान की जनता चीन के साथ साझा गलियारा योजना को पाकिस्तान से हटाने के लिए पाकिस्तान सरकार पर दबाव डाल रही है ! चीन के ग्वादर बंदरगाह पर कब्जे के विरोध में बलूचिस्तान में बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी के नाम से एक संगठन ने चीन के कार्यकर्ताओं पर हमने भी शुरू कर दिए हैं ! 80 के दशक से पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को बढ़ावा देने के कारण वहां पर आर्थिक विकास रुक चुका है क्योंकि इस स्थिति में कोई भी विदेशी निवेशक पाकिस्तान में निवेश नहीं करना चाहता ! इस कारण पाकिस्तान को अपने देश की अर्थव्यवस्था को चलाने के लिए विदेशी कर्जे लेने पड़ते हैं जिसके कारण इस समय पाकिस्तान पर 90.12 बिलियन पाउंड का विदेशी कर्जा है ! जिसमें इस कर्जे का पांचवा हिस्सा चीन द्वारा दिया हुआ है !पिछले कुछ समय से पाकिस्तान की आर्थिक दशा खराब होने के कारण वहां के देशवासियों को भीषण महंगाई का सामना करना पड़ रहा है और वहां पर विदेशों से आयातित जरूरी रोजाना का सामान विदेशी मुद्रा की कमी के कारण उपलब्ध नहीं हो रहा है इसलिए वह दिन दूर नहीं जब चीन पाकिस्तान पर अपने कर्जे की वसूली के बहाने वहां की अर्थव्यवस्था पर कब्जा कर लेगा !
यहां पर यहविचारणीय है कि अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थान जैसे विश्व बैंक, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और एशियन विकास बैंक इत्यादि अपना कर्जा .25% से लेकर अधिकतम 3 परसेंट ब्याज दर पर कर्जा देते हैं परंतु चीन की ब्याज दर 6.3 है ! जिसको कर्ज में डूबे देश इतनी ऊंची ब्याज दर को देने में अपने आप को असहाय पाते हैं ! इसी कारण श्रीलंका और पाकिस्तान चीन के कर्जे की ब्याज राशि को भी देने में असमर्थ हो रहे हैं ! इसलिए चीन का मूलधन उतना ही बना हुआ है ! श्रीलंका की ओर से चीन से मांग की गई कि वह कर्ज की ब्याज दर को कम करें और कर्जे में कुछ रहित दे, इस पर चीन ने साफ कहा है कि वह इसमें कोई नरमी नहीं करेगा क्योंकि उसका कर्जा विश्व के बहुत से देशों में फैला हुआ है और वह इसके द्वारा अन्य देशों को भी इस प्रकार का मौका नहीं देना चाहता ! इस स्थिति को देखते हुए बहुत जल्दी चीन श्रीलंका और पाकिस्तान के उद्योगों तथा उपक्रमों पर कब्जा कर लेगा जिनमें उनका धन लगा हुआ है ! इस प्रकार चीन इन देशों की अर्थव्यवस्था को चीन अपने हाथों में ले लेगा !
यहां पर बांग्लादेश की प्रशंसा की जानी चाहिए क्योंकि दक्षिण एशिया में सर्वप्रथम चीन ने बांग्लादेश को अपने जाल में फंसाना चाहा था परंतु बांग्लादेश ने गरीबी से जूझ कर अपनी आर्थिक दशा को सुधारा और उसने चीन को अपने देश मैं नहीं आने दिया ! इसके कारण आज बांग्लादेश एक विकासशील देशों की श्रेणी में आता है ! इसी क्रम में चीन अपनी विस्तार बादी नीति के द्वारा हमारे पड़ोसी नेपाल को भी लंबे समय से अपने कर्जे के चंगुल में लेने का प्रयास कर रहा है ! नेपाल की सामरिक स्थिति को देखते हुए भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने अपने नेपाल के लुंबिनी दौरे के समय नेपाल के प्रधानमंत्री को यह भरोसा दिया है कि वह नेपाल की आर्थिक स्थिति को सुधारने में पूरी मदद करेंगे और उन्हें चीन के चंगुल में नहीं फंसने देंगे ! इसी प्रकार की कोशिश चीन ने मायनामार मैं भी की थी परंतु मायनामार में 2 साल पहले सैनिक शासन लागू होने के बाद वहां की सरकार ने चीन की इन कोशिशों को सफल नहीं होने दिया !
माओ के कम्युनिस्ट शासन ने 50 में दर्शक से ही अपनी विस्तार वादी नीति शुरू कर दी थी जिसके द्वारा उसने पहले तिब्बत और उसके बाद भारत के अक्साई चिन क्षेत्र की 38000 वर्ग किलोमीटर भूमि पर कब्जा किया ! इसके बाद चीन ने अपने पड़ोसी देशों मंगोलिया, उत्तरी कोरिया, ब्रूनी, मायनामार और सिंगापुर की भूमियों पर कब्जा किया ! भूमि पर कब्जे के साथ-साथ चीन ने दक्षिणी चीन सागर में स्थित देशों मलेशिया इंडोनेशिया वियतनाम तथा जापान देशों के द्वीपों पर भी कब्जे करने शुरू किए इस प्रकार इस समय चीन ने विश्व के 23 देशों की भूमियों और दीपों पर कब्जा किया हुआ है ! इस कारण दक्षिणी चीनी सागर में जहाजों के आने जाने पर उसने नियंत्रण करना शुरू कर दिया इसको देखते हुए अमेरिका भारत जापान और ऑस्ट्रेलिया ने महसूस किया कि दक्षिणी चीन सागर में चीन के विरुद्ध एक संगठन बनाना चाहिए और इसी विचार का परिणाम क्वाड के रूप में सामने आया है ! इस संगठन के अंतर्गत इन चारों देशों की नौसेना दक्षिण चीन सागर में अपना प्रभुत्व स्थापित करने के लिए समय-समय पर नौसैनिक अभ्यास करती रहती है !
चीन की इन विस्तार बादी नीतियों को देखते हुए चीन विश्व के लिए एक बड़े खतरे के रूप में सामने आया है ! इसको देखते हुए विश्व केदेशों को सजग हो जाना चाहिए और चीन के किसी प्रकार के झांसे में नहीं आना चाहिए अन्यथा चीन पाकिस्तान और श्रीलंका की तरह अन्य देशों पर भी कब्जा करने का प्रयास करेगा !