हिन्दू समाज की एकता समरसता में ही है, गंगासती गांव ने उदहारण प्रस्तुत किया

गंगासती गांव के लोगों ने हिन्दुओं की प्राचीन परंपरा के अनुरूप अपने कमजोर भाई बंधुओं के दुःख में सम्मिलित होकर समाज के सामने एक उत्तम उदहारण प्रस्तुत किया है।

NewsBharati    11-Feb-2022 15:50:47 PM   
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चुनाव समीप आते ही हिन्दू समाज के अनुसूचित वर्ग, जनजाति वर्ग के साथ कथित सवर्णों द्वारा कथित दुर्व्यवहार, अत्याचारों के समाचार देश विदेश के समाचार माध्यमों में मिर्च-मसाला लगाकर परोसे जाने लगते हैं| अभी जबकि अमेरिका में रिकॉर्ड पंद्रह लाख कोविड केस एक दिन में आ रहे हैं व सैकड़ों लोग अस्पताल व उपचार के आभाव में दम तोड़ रहे हैं, न्यूयोर्क टाइम्स जैसे समाचार पत्र अभी भी भारत की छवि को धूमिल करने के प्रयास में लगे हैं| भारत में भी कोविड के केस तेजी से बढ़ रहे हैं परन्तु अस्पताल में भर्ती लोगों का आंकड़ा अभी भी बहुत कम ही है. इसका प्रमुख कारण है 150 करोड़ से अधिक लोगों का टीकाकरण, अमेरिका में लोग टीका लगाने के विरुद्ध अभियान चला रहे हैं| दैव कृपा से हमारे देश में वामपंथ का संक्रमण कम होने का लाभ भी कोरोना से निपटने में कारगर सिद्ध हुआ है| आरम्भ में यहाँ भी कांग्रेस व वामपंथी विचारकों ने टीकाकरण का विरोध किया था परन्तु प्रधानमंत्री द्वारा स्वयं टीका लगवाकर इसका प्रभाव समाप्त कर दिया था|
 
  
samrasta
भारत में चुनाव आते ही जातिवाद का संक्रमण अति भयंकर स्वरुप धारण कर लेता है, वामपंथी बुद्धिजीवियों का बौद्धिक आतंकवाद चरम पर पहुँच जाता है| व्यक्तिगत छिटपुट घटनाओं को जातीय संघर्ष व दमन का स्वरुप दे दिया जाता है व घटना को इस प्रकार चित्रित किया जाता है जिससे पूरा राज्य या देश बदनाम होता है| यदि घटना बीजेपी शासित राज्य की हो तो यह समाचार पुरे विश्व भर से प्रसारित होता है व भारत की छवि, विशेष रूप से हिन्दुओं को कमजोरों व मुस्लिमों के दमनकारी के रूप में चित्रित किया जाता है| यदि घटना गुजरात की हो तो यह एक ऐतिहासिक क्षण हो जाता है, नरेंद्र मोदी के गुजरात मॉडल के रूप में प्रस्तुत कर मोदी की छवि को वैश्विक हानि पहुँचाने का मौका विरोधियों को मिल जाता है|
 
गुजरात के भावनगर जिले के जैसर तालुका के राजपरा गंगासतीना गांव में बनी घटना को स्थानीय मीडिया के सिवाय कहीं स्थान नहीं मिला। राजपरा के अनुसूचित वर्ग के श्री कांजीभाई चिथरभाई का दिनाँक 8 जनवरी को निधन हो गया| गांव की अधिकतर जनसँख्या क्षत्रिय समाज की है, सामान्यतः यही प्रचारित किया जाता है कि राजपूत समाज के लोगों ने दलित समाज के वर को घोड़ी चढ़ने पर पिटाई की या बारात के साथ दुर्व्यवहार किया। परन्तु यहाँ राजपूत समाज न केवल कांजीभाई की शमशान यात्रा में शामिल हुआ परन्तु अंतिम संस्कार में शामिल होने के पश्चात सभी के लिए भोजन का भी आयोजन किया। गंगासती गांव के लोगों ने हिन्दुओं की प्राचीन परंपरा के अनुरूप अपने कमजोर भाई बंधुओं के दुःख में सम्मिलित होकर समाज के सामने एक उत्तम उदहारण प्रस्तुत किया है।
 
यहाँ एक उल्लेख करना आवश्यक है कि मुसलमानों में जाति के हिसाब से अलग अलग कब्रिस्तान होते हैं , जैसे शिया कब्रिस्तान, सुन्नी बरेलवी कब्रिस्तान, ईसाईयों में भी अलग अलग जाति के अनुरूप अलग कब्रिस्तान होते है, परन्तु गुजरात में व अन्यत्र हिन्दुओं का शमशान एक ही होता है , जहाँ सभी का अंतिम संस्कार समान रूप से होता है।
 
 
भावनगर की यह घटना इसलिए दबा दी गयी क्योंकि इससे हिन्दू समाज शक्तिमान होता है जो वामपंथियों व हिन्दू विरोधियों के एजेंडा के विरुद्ध है, वरना अब तक पुरे विश्व की समाचार एजेंसियां अब तक भावनगर कुकवह कर चुकी होती। इससे यह सिद्ध होता है कि इन तथाकथित समाज सुधारकों को समाज के बीच खाई बढ़ने में ही रूचि है खाई पटाने में नहीं, क्योंकि आग लगाकर ही उनकी रोटी पकती है, युवा वर्ग को इस बात को समझना होगा व समाज से भेदभाव मिटाने का कार्य कर रही शक्तियों का साथ देकर असामनता को मिटाने में सहयोग करना होगा, गंगासतीना गांव के लोगों का साधुवाद।
 
 
(यह लेख पाञ्चजन्य में पूर्व प्रकाशित रह चूका है ) 
 

Gopal Goswami

Gopal Goswami is into infrastructure development business since last 25 years in Surat, Gujarat. He has done his Masters in Public Administration and is currently pursuing a PhD in Management from National Institute of Technology (NIT}, Surat, Gujarat. He is an avid reader of Dharma and Indian culture, a strong believer of Vedic values of Sanatan and an active social worker.