सकारात्मक समाज के पथ प्रदर्शन में मां का महत्व

यदि मां गर्भ के समय सकारात्मक विचार रखती है तो बच्चे में बहुमुखी सकारात्मकता, मिलकर चलने की भावना, नए नए अनुभवों के लिए तैयार रहने वाला और उच्च स्वाभिमान की भावना उसके अंदर जन्म से ही उत्पन्न होंगी, और यदि मां नकारात्मक विचारों में घिरी है तो बच्चे में हीन भावना, संशय, आत्मग्लानि, समाज से अलग-थलग रहने जैसे अवगुण देखे जा सकते हैं

NewsBharati    20-Sep-2021   
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संसार में दो माँ होती हैं पहली जन्म देने वाली और दूसरी प्रकृति मां जिसके तत्वों और गुणों से मनुष्य के शरीर का निर्माण होता है ! जन्म तथा शरीर निर्माण के अलावा भी यह दोनों मां मनुष्य के व्यक्तित्व निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं ! मनुष्य का सकारात्मक या नकारात्मक व्यक्तित्व इन्हीं की देन है ! सनातन धर्म के शास्त्रों और मनोवैज्ञानिकों के अनुसार जिस प्रकार के भाव एक मां बच्चे के गर्भ में होने के समय रखती है उनका प्रभाव गर्भ में पल रहे बच्चे की मानसिकता पर भी पड़ता है ! यदि मां गर्भ के समय सकारात्मक विचार रखती है तो बच्चे में बहुमुखी सकारात्मकता, मिलकर चलने की भावना, नए नए अनुभवों के लिए तैयार रहने वाला और उच्च स्वाभिमान की भावना उसके अंदर जन्म से ही उत्पन्न होंगी, और यदि मां नकारात्मक विचारों में घिरी है तो बच्चे में हीन भावना, संशय, आत्मग्लानि, समाज से अलग-थलग रहने जैसे अवगुण देखे जा सकते हैं !
 
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इसके साथ साथ प्रकृति और उसके मौसम भी उसके व्यक्तित्व पर प्रभाव डालते हैं, जैसे पहाड़ी क्षेत्र या मुश्किल रेगिस्तान उसको जीवट और उसे मुश्किल परिस्थितियों का सामना करने की क्षमता प्रदान करती है ! प्रकृति की इन सख्त हालातों में यदि वहां पर वातावरण भी हिंसक और नकारात्मक होता है तो व्यक्ति जीवन के गलत रास्तों पर चलने लगता है ! अफगानिस्तान में पिछले लंबे समय से राष्ट्रीय स्तर पर नकारात्मक वातावरण बना हुआ है जिसके कारण बड़ी संख्या में वहां की नई पीढ़ियां आतंकवाद के रास्ते पर चल रही है जिसके कारण अफगानिस्तान और उसके आसपास केवल विनाश ही नजर आ रहा है !
 
इतिहास गवाह है कि जिन देशों में स्त्री का उचित सम्मान और स्थान है वहां की संताने विश्व की सुख समृद्धि में वृद्धि कर रही हैं ! वहीं पर पाकिस्तान अफगानिस्तान जैसे देश विश्व को केवल आतंकियों के रूप में हिंसा तथा तनाव दे रहे हैं ! मां की महत्ता को देखते हुए भारत में सनातन धर्मी मां को देवी दुर्गा के रूप में पूजते हैं जो यह दर्शाता है कि मां का स्थान सर्वोपरि है ! वीर शिवाजी की मां जीजाबाई ने शिवाजी के स्वाभिमान की रक्षा के लिए अपने पति का साथ छोड़कर शिवाजी को लेकर वे महाराष्ट्र के एक छोटे से गांव में आ गई थी ! जहां पर उन्होंने शिवाजी को स्वस्थ वातावरण उपलब्ध कराया जिसका परिणाम पूरे विश्व ने वीर शिवाजी के रूप में देखा !इसके अतिरिक्त भारत में इस प्रकार के अनेक उदाहरण हैं कि किस प्रकार एक मा ने अपने बच्चे को सर्वगुण संपन्न बनाकर उसे जीवन में सफलता दिलाई !
 
इस प्रकार मां के महत्व को देते हुए देखते हुए हमें स्त्री और प्रकृति का भरपूर सम्मान करना चाहिए और उनकी रक्षा भी करनी चाहिए जिससे विश्व को सकारात्मक विचारों वाली नई पीढ़ी उपलब्ध हो जो विश्व में चारों तरफ सुख शांति फैलाएं !