पूरे विश्व में पिछले करीब 2 साल से कोरोना महामारी के कारण चिंता और भय का वातावरण चारों तरफ बना हुआ है ! इस वातावरण को और भी गंभीर मीडिया की खबरें बना रही हैं जिनमें केवल कोरोना कीगंभीरता की खबरें ही होती हैं ! ऐसे समय में अक्सर आम आदमी घबराकर अपना धैर्य खोने लगता हैऔर अपने आसपास के वातावरण को को स्वयं के लिए और गंभीर बना लेता है ! इस समय पूरी मानवता के लिए धैर्य धारण करने का समय चल रहा है और इस संकट की घड़ी में धैर्य की परीक्षा भी हो रही है ! इस परीक्षा के बारे में मानस में वर्णन आता हैजब बनवास के समय भगवान राम अत्रि ऋषि के आश्रम में पहुंचे वहां पर ऋषि पत्नी अनुसूया ने सीता जी को संसार की व्यवहारिक बातों का ज्ञान कराने के लिए बहुत से उपदेश दिए !
उनमें एक यह भी था कि संकट के समय में ही स्त्री और पुरुष दोनों की परीक्षा होती है ! इसके लिए उन्होंने कहा था--- धीरज धर्म मित्र अरु नारी ! आपद काल परखिए चारी !! तात्पर्य है धैर्य धर्म मित्र और स्त्री की परीक्षा विपत्ति के समय ही होती है ! देखने में आता है कि अक्सर जब जीवन में कोई संकट आता है तब कभी-कभी पति पत्नी के बीच में उस संकट के कारण कड़वाहट बढ़ जाती है और उनका वैवाहिक जीवन तहस-नहस हो जाता है ! सती जी ने यह ज्ञान इसलिए दिया क्योंकि उस समय भगवान सीता जी के साथ बन में वनवास रूपी संकट को काट रहे थे ! सती अनसूया के ज्ञान की बातों के कारण आज भी हमारे देश में सती जी को आदर के साथ याद किया जाता है !
इस संकट की घड़ी में हर व्यक्ति को यह याद रखना चाहिए कि यह संकट पूरे विश्व के लिए है और इसमें पूरे विश्व की मानवता के धैर्य और आचरण की परीक्षा हो रही है स्वयं परिवार और अपने आसपास के समाज को बचाने को ही इस समय आचरणऔर धर्म के रूप में देखा जा रहा है ! धर्म और आचरण को इतने समय तक केवल धैर्य के साथ ही बनाए रखा जा सकता है ! इस प्रकार कह सकते हैं कि यह धैर्य की परीक्षा का समय है ! इस परीक्षा में जो उत्तीर्ण होगा बाद में वह जीवन में गर्व से कह सकता है कि मैंने उस संकट के समय में भी संकटों पर विजय प्राप्त की और अपनी और अपने परिवार की रक्षा की ! पति पत्नी जीवन में दो पहियों के रूप में होते हैं जिस प्रकार गाड़ी बगैर पैरों के नहीं चल सकती उसी प्रकार दोनों के सहयोग के द्वारा ही जीवन सुगमता से चल सकता है !
इस प्रकार इस समय स्त्री पुरुष दोनों को एक दूसरे से सहयोग करके इस परीक्षा को पार करना चाहिए ! इसी क्रम में मनुष्य को अपने आसपास तथा अपने मित्रों की सहायता करनी चाहिए ! क्योंकि अच्छे समय में मित्रता का प्रदर्शन अक्सर किया जाता है परंतु मित्रता की भी असली परीक्षा संकट के समय ही होती है ! और इस संकट काल में जो मित्र अपने मित्र की सहायता कर रहा है वह वास्तव में मित्र है !
इसलिए रामचरितमानस की उपरोक्त बातों को ध्यान में रखते हुए हमें अपने धैर्य मित्रता और पति पत्नी के संबंध की परीक्षा में उत्तीर्ण होना चाहिए !
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