कोरोना कि साथ मांस के कुप्रबंध से निर्माण हुई है , इस तथ्य के बावजूद सारा विश्व इस बीमारी का सामना करने मै इतना तल्लीन है कि, मूल समस्या कि और ध्यान देने को अभी फुरसत नहीं मिली है । मगर उसकी तरफ नजरंदाज किया गया तो परिणाम चूकेगा नहीं । वर्तमान मै हर दिन पचास हजार जानवर विश्व व्यापार से कसाईखाने कि और जा रहे होते है । उसमें सबसे बड़ा परिवहन नाव द्वारा होता है ।
वह पाँच दिन से सौं दिन तक शुरू होता है । नाव द्वारा ले जाए जाने वाले जानवर मारने के लिए ही ले जाने का उद्देश्य होता है इसलिए उनके स्वास्थ्य के ऊपर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता । वह सभी जानवर जब बंदर पर उतारे जाते है तब वह ज्यादा बीमार और अनेक विकारों से ग्रसित होते । पूरे विश्व भर मै महामारी के रोग फैलने का यह एक महत्वपूर्ण कारण है । चीन मै तो हर गाँव मै और हर मोहल्ले मै ऐसे मांस का 'वेट मार्केट' है । इसस मांस मै आधा मांस यह गाय का और आधा मांस यह गोमांस है । गोमांस कि चटक लगा हुआ भयानक महामारी कि पर्वा किए बिना वह खाता रहता है । फिर भी कोरोना के बाद दूसरी तरफ से सोचने वालों कि भी संख्या बढ़ रही है ।
भारतीय गोविज्ञान का ठीक से आकलन किया तो सिर्फ गोबर और गोमूत्र इनके आधार पर विश्व कि सारी खेती एक दसवें के खर्चे पर जैविक करना, अधिक प्रभावकारी वैद्यक देना, पूरे विश्व के लिए पर्याप्त ईंधन कि वो पेट्रोलियन ईंधन से अधिक और सीएनजी से भी अधिक सस्ता होगा । सभी शहर और महानगर इनके कैंपस का सीवेज और मृतपानी इनकी समस्या इससे तो हाल होगी । आजकल गोविज्ञान के आधार पर निर्माण क्षेत्र मै भी बड़े अनुसंधान शुरू हुए है । उससे आवास निर्माण भी कम खर्चे मै होने वाला है । आजतक गोविज्ञान यह विषय हम देश कि समस्या नजरों के सामने रख के समझ रहे थे । अब गोविज्ञान यह विषय वैश्विक स्तर पर उपयोग होने वाला है, सिर्फ यह नहीं बल्कि आने वाली सदियों के लिए भी लाभदायक होने कि संभावना है । मांसाहार व्यवसाय कि अप्रतिबंधित विकास और उनकी नरकमय परिस्थिति इसलिए पिछले डेढ़ दो सों साल मै महामारी के रोग बढ़े है । अब उसको सिर्फ एक पर्याय देके चलने वाला नहीं वह उपयोग कि दृष्टि से अनेकपट आगे है और खर्चे कि दृष्टि से भी अभी के चलन के हिसाब से दस प्रतिशत से तीस प्रतिशत इतने ही निवेश मै मुमकिन है, यह दिखाना पड़ेगा । एक मतलब देश देश मै निरंतर महामारी के रोग फैलाने वाले हर एक देश के 'वेट मार्केट' कि स्थिति क्या है । वहाँ से उत्पन्न हुए रोग कोनसे है और कोनसे भी देश मै कहाँ भी मुमकिन होने वाला गोविज्ञान के उपाय कोनसे है इसपर हमारा जोर रहेगा ।