भारत में भ्रष्टाचार में भी सरकारी कर्मचारियों को कानून का सुरक्षा कवच उपलब्ध है

NewsBharati    11-Jan-2021 15:28:04 PM
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आईपीसी की धारा 34 के अनुसार-----
 
यदि किसी आपराधिक कार्य को एक से अधिक व्यक्तियों द्वारा उन सभी के मंसूबों को पूरा करने के लिए किया जाता है तो ऐसे अपराध में सभी अपराधियों की मंशा एक समान होती है ! और वह अपने कार्य को पूर्ण करने के पहले से ही आपस में प्लानिंग करते हैं ऐसे व्यक्तियों में से हर एक व्यक्ति उस अपराध कार्य को करने के लिए सभी लोगों के साथ अपना दायित्व निभाता है तो ऐसी स्थिति में अपराध में सम्मिलित प्रत्येक व्यक्ति सजा का कुछ इस प्रकार हकदार होता है जैसे वह अपराधिक कार्य उसी व्यक्ति द्वारा किया गया हो !
 
इस धारा के अनुसार जब कोई सार्वजनिक भवन या पुल इत्यादि मैं भ्रष्टाचार के कारण निर्माण में घटिया निर्माण सामग्री के इस्तेमाल के कारण यह अपनी समय सीमा से पहले ध्वस्त होते हैं तो क्या उपरोक्त कानून के अनुसार इन भवन और पुलों के ठेकों में बड़ी-बड़ी रिश्वत खाने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों के विरुद्ध अपराधिक मुकदमे नहीं चलाई जाए जाने चाहिए ! परंतु ऐसा होता नहीं है अक्सर केवल दिखावे के रूप में संबंधित अधिकारी को या तो तबादला कर दिया जाता है या उसे कुछ समय के लिए सस्पेंड कर दिया जाता है ! !अभी कुछ समय पहले गाजियाबाद के पास मुरादनगर में श्मशान घाट में भवन की छत गिरने से 25 लोगों की मौत हो गई ! इस भवन का निर्माण करने वाले ठेकेदार ने बताया है कि इस भवन के ठेके की धनराशि का 28% हिस्सा वह पहले ही मुरादनगर के नगरपालिका अधिशासी अधिकारी को रिश्वत के रूप में दे चुका है ! इसके बाद अन्य निरीक्षकों को 12 प्रतिशत दिया गया है !
  
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तो बचे हुए 60% में से उसने अपना मुनाफा कमाने के बाद केबल 40% धनराशि से इस भवन का निर्माण किया जिसके कारण घटिया भवन सामग्री लगाई गई और उसी का परिणाम है कि अचानक यह भवन गिर गया जिसमें बेगुनाह पब्लिक के 25 लोगों की जान चली गई ! इसी क्रम में महाराष्ट्र के भंडारा में एक अस्पताल में आग लगने से 10 मासूम नवजात बच्चों की दर्दनाक मौत हो गई तो क्या उपरोक्त कानून के अनुसार इन योजनाओं के धन को भ्रष्टाचार में खाने वालों के विरुद्ध अपराधिक कार्रवाई संभव है ! इसी प्रकार अक्सर खबरें आती हैं की जहरीली शराब पीने से लोगों की मौत हो गई ! अभी कुछ दिन पहले उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में जहरीली शराब पीने से 5 लोगों की मौत हो गई और 20 लोगों की आंखों की रोशनी चली गई ! उत्तर प्रदेश में ही फरवरी 2019 में यहां के 3 जिलों सहारनपुर, मुजफ्फरनगर और मेरठ में जहरीली शराब पीने से करीब 100 लोगों की जानें चली गई और और बहुत से लोगों की आंखों की रोशनी चली गई थी !
 
इसी प्रकार पंजाब में समय-समय पर सैकड़ों लोगों की जाने इसी प्रकार की जहरीली शराब के कारण जाती रहती है ! परंतु अभी तक संबंधित क्षेत्र के पुलिस और आबकारी विभाग के कर्मियों के विरुद्ध कोई अपराधिक कार्यवाही नहीं हुई है ! जबकि जहरीली शराब का धंधा संगठित अपराधी करते हैं जो इसे एक व्यापार की तरह बड़े स्तर पर चलाते हैं और इसमें उन्हें उस क्षेत्र के पुलिस और आबकारी विभाग के कर्मियों की पूरी सहमति और मदद उपलब्ध रहती है ! इसलिए कानून के अनुसार जहरीली शराब पीने के कारण होने वाली मौतों में जहर द्वारा हत्या की कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए जिसमें संबंधित पुलिस और आबकारी विभाग के कर्मियों को भी सह अभियुक्त बनाया जाना चाहिए ! परंतु क्या आज तक हमारे देश में ऐसा हुआ है ! ज्यादातर ऐसे मामलों के उजागर होने के बाद जिले के पुलिस अधीक्षक एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में घोषणा करते हैं की संबंधित छेत्र के पुलिसकर्मियों को या तो पुलिस लाइन में हाजिर कर दिया गया है या उन्हें सस्पेंड कर दिया गया है ! जहां पर वह पूरे वेतन और सुविधाओं के साथ कुछ दिन आराम करके फिर वापस किसी दूसरे क्षेत्र में उसी प्रकार के भ्रष्टाचार में लिप्त होकर मासूम पब्लिक की जिंदगी से खिलवाड़ करते रहते हैं ! उपरोक्त स्थिति यह दर्शाने के लिए पर्याप्त है कि हमारी कानून व्यवस्था में ऐसी कुछ खामियां है जिसके कारण संबंधित सरकारी कर्मी जिन की जिम्मेवारी इस प्रकार के संगठित अपराधों को रोकने की है वह भ्रष्टाचार में लिप्त होने के कारण अपनी जिम्मेवारी को नहीं निभा रहे हैं ! फिर भी कानून प्रभावशाली तरीके से उनके विरूद्ध कार्रवाई नहीं कर पा रहा है !
 
1947 में सरदार पटेल ने अंग्रेजों द्वारा लागू सिविल सर्विस कोड 1919 और पुलिस एक्ट 1861 तथा उनके पूरे कानूनी ढांचे को यह समझ कर अपना लिया था कि यदि इसके द्वारा अंग्रेज सफलतापूर्वक राज कर सके तो स्वतंत्र भारत में हम भी शासन चला पाएंगे ! जबकि अंग्रेजों की भावना हमारे देश में अपने शासन के द्वारा देश का शोषण करना था ! और इस शोषण के लिए वह नौकरशाहों और अपनी पुलिस का प्रयोग करते थे ! इसलिए उन्होंने कानून में ऐसे प्रावधान किए जिनके कारण किसी भी सरकारी कर्मी के विरुद्ध साधारण कानून के द्वारा कार्यवाही करना आसान नहीं होता था ! परंतु स्वतंत्र भारत में भी देश की जनता का इस प्रकार का शोषण भ्रष्टाचार के द्वारा नहीं होना चाहिए ! परंतु देश के नौकरशाह और पुलिस तथा अन्य व्यवस्था लागू करने वाले कर्मी अंग्रेजी कानून के द्वारा मिली सुरक्षा का दुरुपयोग करके सरेआम भ्रष्टाचार के द्वारा देश की जनता का जीवन कष्ट पूर्ण बना रहे हैं ! इस भ्रष्टाचार के कारण ही देशवासियों की मुरादनगर और जहरीली शराब जैसे कांडों में जाने जा रही है ! संविधान की धारा 310 और 311 के अनुसार नौकरशाहों के विरुद्ध कोई भी कानूनी कार्रवाई करने से पहले केंद्र या संबंधित राज्य सरकारों की अनुमति लेना अनिवार्य होता हैऔर यह अनुमति अक्सर राजनीतिज्ञों के संरक्षण में चल रहे भ्रष्टाचार के कारण नहीं मिल पाती है ! इसी प्रकार पुलिस कर्मियों के विरुद्ध भी कार्यवाही करने के लिए सीआरपीसी की धारा 132 और 197 के अनुसार इसी प्रकार संबंधित राज्य सरकारों से कानूनी कार्रवाई करने की अनुमति लेना अनिवार्य है ! यह दोनों प्रावधान इसलिए किए गए थे जिससे नौकरशाह और पुलिसकर्मी बिना किसी स्थानीय और राजनीतिक दबाव के अपना उत्तर दायित्व निभा सके ! परंतु इन दोनों प्रावधानों को सुरक्षा कवच के रूप में इस्तेमाल करके देश में भ्रष्टाचार और आव्यवस्था फैली हुई है ! जहरीली शराब के द्वारा मौतें होती हैं कुछ दिन मीडिया में खबरें छाई रहती हैं उसके बाद सब शांत हो जाता है ! इसी प्रकार बड़े-बड़े पब्लिक भवन गिरते रहते हैं ! सड़कों में निर्माण के कुछ दिन बाद ही गड्ढे देखे जा सकते हैं ! परंतु इस सब के बावजूद राजनीतिक दलों के स्वयं के स्वार्थ के कारण संबंधित कर्मियों की नाही जिम्मेदारी तय की जाती है और ना ही उनके विरुद्ध कोई कानूनी कार्यवाही होती !
 
वहीं पर सैन्य कानून में प्रावधान है की हर प्रकार की गतिविधि के लिए सेना की यूनिट का संबंधित अधिकारी जिम्मेदार होगा ! इसीलिए जब भी सेना में कोई अप्रिय घटना घटती है तो फौरन जांच समिति उस घटना के लिए जिम्मेदार अधिकारी का पता लगाती है ! और उसके बाद बिना किसी रोक-टोक के दोषी अधिकारी के विरुद्ध कोर्ट मार्शल की प्रक्रिया के द्वारा कानूनी कार्रवाई की जाती है ! जिसमें दोषी पाए जाने पर लंबी सजाओ और फांसी तक का प्रावधान है !सेना में यदि कोई अधिकारी अपनी गरिमा के विरुद्ध कार्य करता है तो उसके विरुद्ध भी सेना के कानून की धारा 45 के अनुसार कानूनी कार्रवाई करके उसे सजा दी जाती है ! इसी प्रकार अब समय आ गया है जब हमें देश के नौकरशाहों और अन्य कर्मियों को उनकी जिम्मेदारियों का एहसास दिलाना चाहिए ! जिसके लिए उनके समय में लिए गए निर्णय के अनुसार यदि कोई कमी पाई जाती है या उनके कार्यक्षेत्र में कोई अप्रिय घटना घटी है तो उसके लिए उन्हें सैनिक कानून की तरह जिम्मेवार ठहराया जाना चाहिए ! और उस अपराध के लिए सामान्य अपराधिक कानून के अनुसार ही उन पर मुकदमा चलना चाहिए ! जैसे मुरादनगर में संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध धारा 302 और धारा 34 के अनुसार कार्यवाही होनी चाहिए ! इसी प्रकार जहरीली शराब कांड में इन्हीं धाराओं के अनुसार संबंधित पुलिस और आबकारी विभाग के कर्मियों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए ! यदि यह प्रावधान कर दिए जाते हैं तो देश के शासन तंत्र में राजनीतिक भ्रष्टाचार पर भी लगाम लग सकती है ! क्योंकि संबंधित कर्मी कानून के डर से राजनीतिक दबाव में नहीं आएंगे और हमारा देश का शासन तंत्र स्वच्छ होकर देश को खुशहाल बनाएगा !
 
प्रधानमंत्री मोदी ने अभी कुछ दिन पहले कहा था की नए समय में पुराने कानूनों से काम नहीं चल सकता है ! इसलिए अब समय आ गया है जब देश के शासन तंत्र और कानून व्यवस्था में ऐसे प्रावधान किए जाएं जिनसे सरकारी कर्मियों की जिम्मेवारी निश्चित हो और वह अपने कार्य क्षेत्र में निष्ठा और लगन से कार्य करें !