भारतीय संविधान की धारा 14 के अनुसार समान न्याय के वायदे का मुंबई कानपुर उन्नाव तथा मुजफ्फरपुर की घटनाओं के संदर्भ में आकलन

NewsBharati    17-Aug-2020 14:18:10 PM
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800 साल की गुलामी के बाद 15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हुआ तथा देश में सामंती व्यवस्था के स्थान पर प्रजातांत्रिक व्यवस्था लागूकी गई ! जिसे सर्वसम्मति से स्वीकार संविधान के द्वारा चलाए जाने का प्रण लिया गया ! संविधान की मूल भावना है देश के कानून की नजर में सब नागरिक समान हों तथा सबको सबको समय पर उचित न्यायप्रदान किया जाए ! संविधान में नागरिकों के मौलिक अधिकारों के अलावा संविधान की धारा 14 में यह साफ साफ कहा गया है कि कानून की नजर में सब समान है तथा राष्ट्र की सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि देश के किसी भी नागरिक के इस अधिकार का हनन ना हो ! संविधान कीइसी भावना का विस्तार धारा 15 16 तथा 17 में भी है और इसी मूल भावना से सामंती शासन प्रणाली खत्म होती है ! परंतु क्या मुंबई में दिशासाली यान तथा सुशांत सिंह राजपूत की संदेह आत्मक प्रस्तुतियों परिस्थिति यो में मौतों की मुंबई पुलिस द्वारा जांच संविधान की उपरोक्त भावनाओं के अनुरूप हो रही है !
 
पूरा देश तथा मीडिया तरह-तरह के साक्ष्य प्रस्तुत करके यह सिद्ध कर चुका हैकी इन दोनों की हत्या की गई थी जबकि मुंबई पुलिस इन दोनों को आत्महत्या सिद्ध करने पर तुली हुई है ! यह सब केबल वहां के सत्ताधारी राजनीतिज्ञों के इशारों पर हो रहा है !मुंबई की इस घटना से लग रहा है जैसे सामंतों के साथ खून माफ होते थे इसी प्रकार मुंबई में यह दो खून भी माफ हो जाएंगे ! इसी प्रकार उत्तर प्रदेश के उन्नाव में कुछ समय पहले एक युवती का सामूहिक बलात्कार उसी के गांव के विधायक ने कर दिया था! यह विधायक सत्ताधारी दल से होने के कारण इसके विरुद्ध उन्नाव की पुलिस पीड़िता की पुकार सुनने के लिए तैयार नहीं थी इस युवती के परिवार ने न्याय की पुकार लखनऊ में स्थित उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों तक से की परंतु फिर भी इन्हें कहीं पर भी न्याय का भरोसा नहीं दिया गया ! आखिर में निराश होकर इस पीड़िता ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के आवास के सामने आत्मदाह का प्रयास किया जिसको मीडिया ने पूरे देश में दिखाया !
 
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इसके बाद उत्तर प्रदेश सरकार के आदेशों के बाद ही उन्नाव पुलिस ने इस केस में प्राथमिकी दर्ज की ! परंतु इसमें भी विधायक साहब को नामजद नहीं किया गया ! जिसके बादपीड़िता के परिवार को उत्तर प्रदेश के उच्च न्यायालय में न्याय की गुहार लगानी पड़ी जिसके बाद उच्च न्यायालय के आदेश पर पुलिस ने विवश होकर विधायक के विरुद्ध कार्रवाई की ! इसके बाद भी साक्ष्य मिटाने के लिए युवती के परिवार की 2 महिलाओं की सड़क दुर्घटनाओं में हत्या कर दी गई ! युवती के पिता को सबक सिखाने के लिए बेशर्मी की सारी सीमाओं को पार करते हुए उन्नाव पुलिस ने उसे एक झूठे मुकदमे में गिरफ्तार करके थाने में इतना पीटा कि उसकी जेल में जाते ही मौत हो गई ! इसके बाद माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेश पर यह मामला उत्तर प्रदेश से बाहर दिल्ली में स्थानांतरित किया गया जहां पर आखिर में इस पीड़िता को न्याय मिला !
 
इसी प्रकार मुंबई की घटना से पहले पूरे देश ने कानपुर में पुलिस की लंबे समय से चली आ रही अपराधियों को शह देने की पूरी कहानी को एक सिनेमा की तरह देखा ! जिसमें पुलिस के द्वारा तैयार किए हुए माफिया सरगना विकास दुबे ने पुलिसकर्मियों की सहायता के द्वारा ही एक पुलिस बल का सामूहिक संहार कर दिया ! इसमें एक पुलिस उप अधीक्षक तथा आठ पुलिसकर्मी शामिल थे ! अपनी क्रूरता की पराकाष्ठा दिखाते हुए विकास दुबे ने घायल उपाधीक्षक की टांग को कुल्हाड़ी से काटा जिसमें अंदाजा लगाया जा सकता है कि पीड़ित को कितनी पीड़ा हुई होगी ! इस कुख्यात अपराधी ने 2004 में सरेआम आम सभा से भागकर अपने प्राण बचाने के लिए एक राज्य मंत्री के द्वारा स्थानीय पुलिस थाने में शरण लिए जाने के बावजूद भी इसने पुलिस कर्मियों के सामने इस मंत्री को गोलियों से भून दिया ! इसके बाद न्यायालय में मौके पर मौजूद पुलिसकर्मी अपनी गवाही से मुकर गए तथा विकास दुबे बाइज्जत बरी हो गया ! इसी प्रकार सत्ताधारी राजनीतिक शीशे पर कानपुर पुलिस विकास दुबे को मदद करती रही और वह अपराधों की सीढ़ियां चढ़ता रहा !
 
इस प्रकार उसने उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध औद्योगिक क्षेत्र कानपुर को अंडरवर्ल्ड में परिवर्तित कर दिया इसी प्रकार पुलिस की कार्यप्रणाली को बिहार के मुजफ्फरपुर के महिला आश्रय स्थल की घटना के संदर्भ में भी देखा जा सकता है ! इस आश्रय स्थल में अनाथ और बेसहारा महिलाओं को रखा जाता है परंतु पुलिस तथा प्रशासन की नाक के नीचे इस आश्रय गृह का संचालक इन महिलाओं का शारीरिक शोषण पैसों के लिए करता रहा एक प्रकार से वह महिलाओं से वेश्यावृत्ति करारहा था परंतु मुजफ्फरपुर की पुलिस सत्ता धारियों की शह पर इस सब से अनजान बनी रही !इस प्रकार देश के प्रमुख प्रमुख शहरों में वहां पर संगठित अपराधियों ने पुलिस की परोक्ष सहायता से ही अंडरवर्ल्ड ओं का मजबूत नेटवर्क स्थापित कर दिया है जो समय समय पर तरह-तरह के संगठित अपराध करते रहते हैं !
 
उपरोक्त के अलावा समाज के अंदर व्यापक स्तर पर अव्यवस्था तथा अपराधिक हरकतों की अनदेखी करने के कारण तरह-तरह के सांप्रदायिक दंगे पूरे समाज को अवस्थित तथा उसमें अशांति फैलाते रहते हैं ! अभी कुछ समय पहले पूरे देश ने देखा कि दिल्ली के शाहीन बाग क्षेत्र में नागरिकता संशोधन कानून के विरुद्ध वहां के मुस्लिम समाज ने धरना देकर वहां की एक प्रमुख सड़क जो नोएडा को दिल्ली से जोड़ती है को पूरी तरह से अवरुद्ध किया हुआ था ! यह धरना पूरे 4 महीने तक चलता रहा जिसके कारण इस पूरे क्षेत्र की औद्योगिक तथा शैक्षिक व्यवस्था अस्त व्यस्त हो गई ! इसके बाद इस धरने के दौरान उठे सांप्रदायिक तनाव के कारण दिल्ली के पूर्वी और उत्तरी क्षेत्रों में सांप्रदायिक दंगे उस समय शुरू हुए जब अमेरिका के राष्ट्रपति भारत के दौरे पर थे ! इस दौरे के समय पूरा विश्व मीडिया दिल्ली में उपस्थित था और इसने दिल्ली के के दंगों की खबरें पूरे विश्व में प्रसारित की ! इन दंगों के के समय देखने में आया की शाहीन बाग धरने के समय में जो तनाव पैदा हो रहा था उस के संदर्भ में दिल्ली पुलिस को संभावित दंगों को रोकने के लिए जो कदम उठाने चाहिए थे वह नहीं उठाए ! इस कारण देश की राजधानी में बड़े स्तर पर दंगे हुए जिसमें सैकड़ों लोग मारे गए तथा हजारों करोड़ की संपत्ति तबाह हो गई !
 
इसी प्रकार आज पूरा देश कोरोनावायरस से पीड़ित है ! पूरे देश में इसके प्रसारण के लिए दिल्ली के निजामुद्दीन में तबलीगी जमात के मुख्यालय में एक विश्वव्यापी सम्मेलनमैं एकत्रित जनसमूह को जिम्मेदार माना जा रहा है ! इस सम्मेलन में दुनिया के उन देशों के निवासी भी सम्मिलित हुए थे जहां पर कोरोनावायरस पहले से फैला हुआ था ! इन संक्रमित लोगों ने इस वायरस को वहां पर एकत्रित जन समूह में फैलाया इसके बाद यह जनसमूह पूरे देश में फैल गया ! जिससे भारत में कोरोनावायरस दिन रात फैलने लगा ! यह सब दिल्ली पुलिस की निगरानी में होता रहा क्योंकि निजामुद्दीन पुलिस थाने की दीवारें तबलीगी जमात के मुख्यालय से मिलती हैं ! इस सम्मेलन से पहले भारत सरकार की इस प्रकार के सम्मेलनों को रोकने की एडवाइजरी जारी हो चुकी थी ! परंतु फिर भी दिल्ली पुलिस इसकी मूकदर्शक बनी रही ! इसी प्रकार 2013 में केवल एक छोटी मोटी महिला छेड़छाड़ की घटना को उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा ठीक प्रकार से ना निपटाने के कारण वहां के मुजफ्फरनगर में सांप्रदायिक दंगे शुरू हुए ! इन दंगों की जांच में यह साफ हो चुका है की पूरे 3 महीने तक यह दंगे चलते रहे तथा बार-बार पुलिस की ढिलाई के कारण बड़े-बड़े जनसंहार भी होते रहे जिनके कारण इनमें बहुत से लोग मारे गए तथा कई हजार करोड़ की संपत्ति का नुकसान हुआ !
 
इस प्रकार देखा जा सकता है कि संविधान के अनुसार हर नागरिक की सुरक्षा और न्याय की भावना का देश में कहीं पर भी संतोषजनक पालन नहीं किया जा रहा है ! जिसके कारण कानून व्यवस्था से निराश होकर देश के नागरिक कानून को अपने हाथ में लेकरस्वयं न्याय करने की कोशिश करते हैं ! जिससे रोजाना नए-नए अपराध देखने में आते हैं ! धीरे धीरे यही अपराधी बड़े-बड़े अपराध करने लगते हैं ! विशेषज्ञों के अनुसार देश में मार्क्सवादी आंदोलन की जड़ में आम नागरिकों के साथ किए जा रहे अन्याय और उनको समान अवसर उपलब्ध न कराए जानेका कारण ही है ! यह आंदोलन शुरू हुआ जो बाद में धीरे-धीरेअसामाजिक तत्वों के हाथ में पड़ने के कारण आतंकवाद में परिवर्तित हो गया ! और देश के बहुत से राज्यों में इस प्रकार के असंतोष को बढ़ावा देने की परिस्थितियों के कारण मार्क्सवादी आतंकवाद फैलता चला गया जैसे बिहार झारखंड पश्चिम बंगाल आंध्र प्रदेश आदि !
 
इसको देखते हुए अब समय आ गया है जब देश की जनता को देश की सरकार को इस स्थिति पर विचार करने के लिए विवश करना चाहिए ! देश की भावनाओं को समझते हुए देश की लोकसभा में इस प्रकार की व्यवस्था पर गंभीर विचार-विमर्श होना चाहिए और इस विमर्श के आधार पर निर्णय लिए जाने चाहिएजिससे देश की पुलिस व्यवस्था देश के नागरिकों को सुरक्षा तथा न्याय दिलवाने में सक्षम बन सके ! इस दिशा में देश के भूतपूर्व पुलिस अधिकारी श्री प्रकाश सिंह ने प्रयास किए थे ! उन्होंने 1996 में देश की उच्चतम न्यायालय में पुलिस सुधारों के लिए याचिका दायर की थी ! जिस पर 2006 में उच्चतम न्यायालय ने देश की सब राज्य सरकारों तथा केंद्रीय सरकार को आदेश दिए थे कि वह पुलिस सुधार लागू करें परंतु इन सरकारों ने पुलिस पर अपना कब्जा बनाए रखने के लिए इन सुधारों को पूर्ण रुप से लागू नहीं किया है ! जिसके कारण समय-समय पर राजनीतिक संरक्षण में अपराध होते रहते हैं और मुंबई की तरह पुलिस अपने आप को असहाय पाती रहती है !
इसलिए शीघ्र अति शीघ्र स्थिति को सुधारने के लिए इस पर नागरिकता संशोधन कानून की तरह लोकसभा में कानून पारित होना चाहिए ! और देश की पुलिस को पश्चिमी देशों की तरह बनाने का प्रयास किया जाना चाहिए ! इस प्रकार देश में सच्चे अर्थों में लोकतंत्र कायम होगा और स्वयं को सुरक्षित महसूस करके राष्ट्रीयता की भावना हर देशवासी के हृदय में मजबूत होगी !