मोरारी बापू आपको मुहम्मद तो प्यारा लगता है परन्तु कृष्ण क्यों नहीं ?

NewsBharati    24-Jun-2020 11:54:31 AM
Total Views |
प्रसिद्ध राम कथा वाचक संत श्री मोरारी बापू पर उनके द्वारा ३ वर्ष पूर्व भगवान कृष्ण व उनके परिवार के विरुद्ध की गयी अपमानजनक टिप्पणी व उन पर द्वारका में किये गए हमले का प्रयास कल से मीडिया की सुर्ख़ियों में है। हिन्दू सनातन परंपरा में किसी एक पंथ के द्वारा दूसरे पंथ के भगवान के विषय में की गयी संभवतया यह प्रथम व सबसे अभद्र टिप्पणी होगी। थोड़ा संक्षेप में जानने का प्रयत्न करते हैं सनातन हिन्दू परंपरा में भगवान, देवी , देवता का क्या स्थान है व एक दूसरे से कैसे सम्बद्ध हैं।
 
सनातन हिन्दू धर्म में परम ब्रह्म परमेश्वर के तीन स्वरूपों ब्रह्मा ,विष्णु , महेश व आद्यशक्ति द्वारा उनके मंत्रिमंडल देवराज इंद्र के साथ अग्नि, वरुण ,मरुत, सूर्यादि नवग्रहों के साथ इस सृष्टि का संचालन होता हैं। राम ,कृष्ण व अन्य दशावतार विष्णु के स्वरुप हैं जिन्हे समय समय पर पृथ्वी पर मनुष्य या अन्य स्वरूपों में संसार के उद्धार के लिए भेजा गया । अन्य सभी देव, देवियां, गण , भैरव इत्यादि इन त्रिदेव के ही अंश से विभिन्न समय काल में किन्ही कारणों से ही उत्पन्न हुए हैं। वेद , उपनिषद व पुराणों में इन सभी देवताओं की विभिन्न स्वरूपों में आराधना हुई है ,भगवान के विभिन्न स्वरूपों को सनातन हिन्दू धर्म में अपनी स्वतंत्र आस्था के अनुसार पूजा जाता है, कहीं कोई अन्तर क्लेश देखने को नहीं मिलता,क्योंकि भगवान की किसी भी लीला में ब्रह्मा , विष्णु ,शिव व शक्ति का समावेश होता है ,कहीं भी किसी भी रूप में कोई द्वेष नहीं है।

murari_1  H x W 
 
अरबी मूल के सभी धर्मों यहूदी, ईसाई व इस्लाम का उदय ही मतभेदों से हुआ है, यहूदी धर्म में जन्मे ईसा के अनुयायी ईसाई हो गए व यहूदी धर्म के ही विरुद्ध हो गए , यहूदी, ईसाई या मूर्तिपूजक सनातन में जन्मे मुहम्मद ने इस्लाम धर्म चलाया और यहूदियों, ईसाईयों व सनातनियों का कत्लेआम किया। इस्लाम के अनुयाइयों में मुहम्मद के मरने के समय ही दो धड़े हो गए , मुहम्मद के वंशजों को विधर्मी करार दिया गया जिन्होंने अपने आप को शिया मुसलमानों के तौर पर स्थापित करने की कोशिश की परन्तु खलीफा अबू बकर ने उनको मुसलमान नहीं माना और स्वयं को असली मुसलमान या सुन्नी मुसलमान कहना आरम्भ किया। आगे चलकर सुन्नी भी असंख्य धड़ों में विभक्त हो गए एवं शिया भी। परन्तु यहाँ एक बड़ा अंतर है जहाँ हिन्दू सनातन संस्कृति में सभी पंथ मेलजोल व आपसी सौहार्द से सभी की पूजा पद्धति व आस्था का सम्मान करते हैं वहीँ अरबी धर्मो में सभी धड़े एक दूसरे के खून के प्यासे हैं व मौका मिलते ही एक दूसरे को समाप्त करने पर तुले रहते हैं, १५०० -२००० वर्षों के बाद भी इसमें कोई परिवर्तन देखने को नहीं मिला, जो पढ़े लिखे सुखी समपन्न हैं उनमे भी कोई सुधर नहीं आया क्योंकि मूल सिद्धांत ही गड़बड़ है, आप हो या नहीं हो ,कोई बीच का रास्ता नहीं है ,परन्तु याद रहे भगवान (अल्लाह ,जीसस ) वो एक ही है परन्तु उस एक सच्चा अनुयायी सिद्ध करने में लाखों लोगों को मार दिया गया और मारा जा रहा है।
 
हिन्दुओं में सभी पंथों के लोग एक दूसरे के मंदिरों , पूजा स्थलों , गुरुद्वारों में जाते हैं एक दूसरे की परम्पराओं को सामूहिक रूप से मानते हैं व मनाते हैं। ब्रह्मा जी के मंदिर पुष्कर में स्नान करने हिन्दू,सिख ,जैन , बौद्ध आदि सभी सनातनी जाते हैं। धर्म क्षेत्रों में कुछ धाम विष्णु को समर्पित हैं तो कुछ भगवान शिव को, कुछ शक्ति पीठ के रूप में आद्य शक्ति जगदम्बा को ,कुछ सूर्य को समर्पित हैं तो कुछ अवतारों जैसे राम ,कृष्ण, हनुमान इत्यादि को परन्तु तीर्थयात्रा एवं दर्शन करने हर सनातनी हर एक मंदिर या देवस्थान पर जाता ही है। कुम्भ के स्नान हों या अन्य पवित्र नदियों के स्नान सभी में सनातन के सभी सम्प्रदायों ,पंथों की आस्था है।
 
आज तक कभी भी भगवान राम के अनुयायिओं ने भगवान कृष्णा के अनुयाइयों से या, हनुमान भक्तों का खाटू श्याम भक्तों से विवाद या विरोध रहा हो ऐसा नहीं हुआ है, कभी स्वामीनारायण के हरिभक्तों ने जलाराम बापा के भक्तों से क्लेश हुआ हो ऐसा नहीं हुआ ,यही इस भारत भूमि से उद्भवित सनातन के सभी पंथों की विशेषता है। एक दूसरे की आस्था व भावनाओं का सम्मान यह सनातन हिन्दू परंपरा का मुख्य सिद्धांत रहा है जहाँ एक नास्तिक भी हिन्दू ही कहलाता है। हिन्दू धर्म से परिष्करण हेतु जैन , बौद्ध व सिख संप्रदायों का उद्भव होना व आज भी इन सभी पंथों का एक दूसरे की आस्थाओं का सम्मान इसके उदहारण हैं। इसके उलट यदि आप जीसस को अपना राजा या पैगम्बर नहीं मानते तो आप ईसाई नहीं रह जाते , यदि आप अल्लाह, क़ुरान या मोहमद में आस्था नहीं रखते तो आप मुसलमान नहीं रह जाते व आप को मार देने का का अधिकार किसी भी मुस्लमान को क़ुरान देती है।

murari_1  H x W 
 
सनातन हिन्दू धर्म ने समयांतर में अपने स्वरुप में देश काल व परिस्थिति के अनुकूल परिवर्तन किये, नास्तिकों की टीकाओं से समयानुकूल परिवर्तन लाये व कभी भी रूढ़ि वाद को बढ़ावा नहीं दिया। सनातन हिन्दू धर्म उस नदी के समान है जो अपने धैर्य व सातत्य से पाषाणों को काटकर अपना रास्ता बना लेती है पर उसका प्रवाह नहीं रुकता। हिन्दू धर्म में स्वयं सिद्ध प्रक्रिया है जो उसका आवश्यक परिष्करण करती रहती है , हमने इतिहास में बडी बडी सभ्यताओं को मिट्टी में मिल जाते देखा है क्योंकि उन सभ्यताओं ने अपेक्षित परिवर्तन समय रहते नहीं किये जिसकी वजह से आक्रांताओं ने उनकी संस्कृति को ही लील लिया।
 
आज भी एक सनातनी गर्व से कहता है की 'हम एक भगवान के नाम पर हजारों को मारने के बजाय हजारों भगवानो के साथ भी आपस में प्रेम से रहना पसंद करते है।' 'Its better to live peacefully with Thousands of Gods than killing thousands in the name of one"
 
जब राम कथाकार श्री मोरारी बापू अपना वाणी संयम खो देते हैं , भगवान कृष्ण व उनके वंशजों पर अभद्र टीका टिपण्णी करते हैं तो मन में यह बात घर कर जाती है कि कहीं बापू किसी षड़यंत्र का शिकार होकर सनातन हिन्दू समाज को आघात नहीं पहुंचा रहे हैं ? जब ऐसी टिपण्णी के बाद कृष्ण भक्त उनके विरोध में उतरेंगे तो राम भक्त भी बापू की और से सामने खड़े हो जायेंगे, जो इतिहास में नहीं हुआ क्या अब होगा ? मोरारी बापू पिछले कई वर्षों से व्यास पीठ से अली मौला ,अली मौला व अल्ला हु अकबर करते हुए सुने गए हैं ,हो सकता है इसमें उनकी सद्भावना ही रही हो व मुसलमानों को हिन्दुओं के करीब लाने का प्रयत्न कर रहे हों पर बापू इतिहास साक्षी है आज तक जब भी हिन्दू - मुस्लमान करीब आये नुकसान हिन्दुओं का ही हुआ, किसी ने बेटी खोयी, किसी ने धर्म खोया, लाभ इस्लाम का ही हुआ है।
 
आपका जो वीडियो अभी इंटरनेट पर घूम रहा है ,भले ही वह तीन वर्ष पुराना हो पर आप के स्तर के संत कथाकार जिनको पूरी दुनिया पूजती है यह भाषा व भावना बिलकुल भी शोभा नहीं देती, संत का पहला लक्षण ही संयम है वो चाहे वाणी का हो या अन्य इन्द्रियों का, व्यासपीठ से बोले गए शब्द लोग अपनी पीढ़ियों को पहुंचाते हैं आप वहां से अली मौला कर सनातन की बड़ी हानि कर रहे हैं। हिन्दुओं को पिछले ७० वर्षों में शिक्षा के द्वारा पहले ही पूरी तरह धर्म विमुख कर दिया गया है , ईश्वर अल्ला तेरो नाम केवल हिन्दू बालक ही जानता है मुसलमान का नहीं, आपका कार्य धर्म व् अधर्म के बीच का भेद श्रोताओं को बताना है न कि इस्लाम व हिन्दू धर्म एक ही है यह बताना। क्या आप गाय का काटा जाना उचित मानते हो ? क्या आप धोखे लालच , छल से धर्मान्तरण करना उचित मानते हो ? क्या आप अपनी बहन से विवाह को उचित मानते हो ? जब आप अल्लाह हु अकबर कहते हैं तो क्या आप श्री राम के अस्तित्व पर प्रश्न चिन्ह नहीं खड़ा कर रहे हो ? आप को मुहम्मद में भगवान दिखता है पर कृष्ण में कमियां ही क्यों दिखती हैं ? भूलवश एक बार हो सकता है परन्तु निरंतर होना यह इस बात का संकेत है कि कहीं आप किन्हीं ताकतों के वश होकर तो यह सब नहीं कह रहे हैं जिससे हिन्दुओ के भिन्न पंथ आपस में लड़ पड़ें व पहले से ही जात पात के नाम पर लड़ाये जा रहे हिन्दुओं के विरुद्ध विधर्मियों को एक और नया हथियार मिल जाय ?
 
कल आप जब द्वारका जी में प्रायश्चित करने गए थे व आपका उद्बोधन मीडिया को दिया गया वह प्रायश्चित नहीं परन्तु एक औपचारिकता मात्रा प्रतीत हो रहा था, जहाँ आप पर हाथापाई का भी प्रयास किया गया, आप एक अति प्रतिष्ठित संत व कथाकार हैं ,आपकी गरिमा को ठेस नहीं पहुंचनी चाहिए ,आप पर हुआ हमला निन्दनीय है पर उतना ही निंदनीय आपका कृत्य भी है। आशा करते हैं इस प्रकार का कृत्य की पुनरावृति आप या किसी भी कथा वाचक के द्वारा नहीं होगी जिस से सनातन हिन्दू समाज का विघटन हो व विधर्मियों को मौका मिले।