ऐसी विदेशी मिलावट देसी कारोबार के लिए खतरा

NewsBharati    05-Dec-2020 12:45:57 PM   
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चीन से खुलेआम भारत में आने वाले ऐसे सिरप से हिन्दुस्तान के दसियों लाख मधुमक्खी पालकों के बेरोजगार होने की नौबत आ गई है। आज देश भर में कहीं खादी ग्रामोद्योग के तहत, तो कहीं प्रदेश शासन के वनविभाग के मातहत वनवासियों के लिए शुरू किए गए मधुमक्खी पालन की अर्थव्यवस्था को ऐसी मिलावट खत्म कर रही है।आज दुनिया के देशों में कोई कारोबार उसी हालत में चल सकता हैं जबकि वे देश-विदेश की ऐसी साजिश का शिकार न हों।
 
देश की कई बड़ी नामी कंपनियां ग्राहकों को मिलावटी शहद बेच रही हैं। यह खुलासा हुआ है कि सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (CSE) की हालिया जांच में। इसमें पाया गया है कि ज्यादातर ब्रांड्स अपने शहद में चीनी की मिलावट करते हैं। बताया गया है कि सीएसई ने 13 बड़े-छोटे ब्रांड्स के शहद को चेक किया है। इन कंपनियों के शहद में 77 फीसदी तक मिलावट पाई गई। शहद के कुल 22 सैंपल्स चेक किए गए। इनमें सिर्फ पांच ही जांच में सफल पाए गए।
 
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देश में आयुर्वेदिक दवाईयां बनाने वाली कंपनियों के अलावा दर्जनों दूसरी कंपनियां शहद बेचती हैं। शहद कारखाने में तो बन नहीं सकता इसलिए वह गांव-जंगल में बसे हुए असंगठित लोगों से होकर इन कंपनियों तक पहुँचता है या मधुमक्खी पालकों के माध्यम से आता है। वैज्ञानिक-पड़ताल की तो पता लगा कि देश के अधिकतर ब्रांड अपने शहद में एक ऐसा चीनी प्रोडक्ट मिला रहे हैं जो कि भारत में शहद की जांच को धोखा देता है। चीन से आए हुए इस घोल को शहद में मिलाकर उसकी जांच की जाए तो वह उसे खालिस शहद ही बताता है।
 
नतीजा यह हुआ है कि देश के मधुमक्खी पालक लोग इस धंधे को छोड़ने की कगार पर हैं क्योंकि उनके तैयार किए हुए शहद से आधे से भी कम दाम पर यह चीनी सिरप आ रहा है, और खबर ऐसी भी है कि चीन की कंपनियों ने यह सिरप तैयार करने के कारखाने भारत में भी बनाए हैं। ऐसा सिरप गैर कानूनी नहीं है क्योंकि पिपरमेंट बनाने में भी इसका इस्तेमाल होता है, लेकिन इसने हिन्दुस्तान के शहद-उत्पादन और बिक्री को पूरी तरह मिलावटी बनाकर छोड़ा है।
 
जैसे-जैसे इस सिरप का इस्तेमाल भारत के शहद कारोबार में बढ़ते गया, मधुमक्खी पालकों को उनके शहद का मिलने वाला बाजार भाव गिरते चले गया। अब हिन्दुस्तान में आयुर्वेद, प्राकृतिक चिकित्सा, या घरेलू नुस्खों में शहद के फायदे ही फायदे गिनाए गए हैं। लोग तरह-तरह से इसका इस्तेमाल करते हैं। चीन से खुलेआम भारत में आने वाले ऐसे सिरप से हिन्दुस्तान के दसियों लाख मधुमक्खी पालकों के बेरोजगार होने की नौबत आ गई है। चीन के सामानों के बहिष्कार के बीच मिलावटखोर कारोबारी धड़ल्ले से चीनी उत्पाद बुला रहे हैं, और वह कानूनी रास्ते से आकर गैरकानूनी मिलावट में 50 से 80 फीसदी तक मिलाया जा रहा है, और सरकार की जांच में वह खालिस शहद साबित हो रहा है।
 
आज दुनिया के देशों में कोई कारोबार उसी हालत में चल सकते हैं जबकि वे देश-विदेश की ऐसी साजिश के शिकार न हों। आज देश का कोई ईमानदार शहद उत्पादक ब्रांड क्या खाकर मिलावटी शहद का मुकाबला कर सकता है, अगर मिलावटी शहद को शुद्ध होने का सरकारी सर्टिफ़िकेट आसानी से हासिल हो सकता है। सरकार की निगरानी एजेंसियाँ अगर ऐसे व्यापक और संगठित कारोबार को रोकने का काम नहीं कर सकतीं, तो ऐसी विदेशी मिलावट किसी भी देसी कारोबार को सडक़ पर ला सकती है। चीन के ऐसे विवादास्पद सामान हिन्दुस्तान के एक सबसे पुराने और परंपरागत दवा-सामान को धंधे से बाहर ही कर दे रहे हैं
 
यह पूरा सिलसिला एक निराशा पैदा करता है क्योंकि यह देश में कुटीर उद्योगों को खत्म करने का मामला तो है ही, यह देश में आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा की साख को खत्म करने का मामला भी है। आज देश भर में कहीं खादी ग्रामोद्योग के तहत, तो कहीं प्रदेश शासन के वनविभाग के मातहत वनवासियों के लिए शुरू किए गए मधुमक्खी पालन की अर्थव्यवस्था को ऐसी मिलावट खत्म कर रही है। जब शहद उत्पादकों को कुछ बरस पहले के दाम से आधा दाम भी आज नहीं मिल रहा है, तो जाहिर है कि उनकी रोजी-रोटी चीनी कंपनियों के मिलावट के कच्चे माल की शक्ल में आ रहे हैं, और हिन्दुस्तानी मधुमक्खियों को भी बेरोजगार कर रहे हैं।
 
भारत में लोगों को रोज़गार देने का जो सरकारी दावा है, उस दावे को कुचल-कुचलकर मारने का काम यह मिलावटी-कारोबार कर रहा है। यह सिलसिला खत्म होना चाहिए।
 

R L Francis

R.L. Francis, a Catholic Dalit, lead the Poor Christian Liberation Movement (PCLM), which wants Indian churches to serve Dalits rather than pass the buck to the government. The PCLM shares with Hindu nationalists concerns about conversion of the poor to Christianity. Francis has been writing on various social and contemporary issues.